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चार सौ साल पुरानी है गाजीपुर की रामलीला, किन्नर भी लेते हैं भाग

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की 400 साल पुरानी रामलीला का मंचन ऐतिहासिक होता है. इस रामलीला के अधिकतर कलाकार रायबरेली के रहने वाले हैं. इस अनोखी रामलीला को देखने दूर-दूर से लोग लंका मैदान में पहुंचते हैं. इसमें किन्नर भी भाग लेते हैं.

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Published : Oct 8, 2019, 12:45 PM IST

चार सौ साल पुरानी है गाजीपुर की रामलीला.

गाजीपुर: जिले की रामलीला 400 साल पुरानी है. 400 साल पुरानी अति प्राचीन रामलीला हरिशंकरी का मंचन ऐतिहासिक होता है. रामनगर, चित्रकूट और गाजीपुर की रामलीला का मंचन एक साथ ही शुरू हुआ था. यहां की रामलीला में सभी धर्मों और किन्नर समुदाय के लोग भी भाग लेते हैं. जिले की इस अनोखी रामलीला को देखने दूर-दूर से लोग लंका मैदान में पहुंचते हैं.

चार सौ साल पुरानी है गाजीपुर की रामलीला.

किन्नर समुदाय के लोग भी कर रहे रामलीला मंचन
रायगंज रायबरेली के रहने वाले पंडित राजा भैया तिवारी बताते हैं कि वह लगभग 20 सालों से रामलीला का मंचन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अधिकतर कलाकार रायबरेली के रहने वाले हैं. मंडली में पढ़ने वाले विद्यार्थी भी हैं जो पढ़ाई भी कर रहे हैं और रामलीला के मंचन के माध्यम से कार्य कर रहे हैं. मंडली में किन्नर समुदाय के लोग भी हैं जो सखी वेश में रहते हैं. उन्होंने रावण और बाणासुर का संवाद सुनाया और ठहाके भी लगाए.

इसे भी पढ़ें- अलीगढ़ः इस बार का दशहरा होगा खास, बाण लगने के बाद खून के आंसू रोएगा रावण

गाजीपुर की रामलीला में हर तरह के पात्र लेते हैं भाग
लक्ष्मण का पात्र निभाने वाले शिवा जो पढ़ाई भी करते हैं और रामलीला में अभिनय भी करते हैं. उन्होंने लक्ष्मण और मेघनाथ का संवाद सुनाया. गाजीपुर की रामलीला में हर तरह के पात्र हैं. किन्नर समुदाय से आने वाली अंचल कैकेई का अभिनय करती हैं. जो कन्नौज से आती हैं.

गंगा जमुनी तहजीब का जीता जागता उदाहरण है गाजीपुर की रामलीला
गाजीपुर की रामलीला में सभी रंग हैं. छात्र, नाट्य कला मंच से जुड़े लोग और किन्नर समुदाय के लोग भी गाजीपुर की रामलीला में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं. खास बात यह है कि गाजीपुर में बनने वाले विकराल रावण की निर्माण में सभी धर्मों के लोगों के सहयोग से बनता है. जो गंगा जमुनी तहजीब का जीता जागता उदाहरण है. जहां महिला, पुरुष और किन्नर सभी को समान अवसर दिया जाता है.

गाजीपुर: जिले की रामलीला 400 साल पुरानी है. 400 साल पुरानी अति प्राचीन रामलीला हरिशंकरी का मंचन ऐतिहासिक होता है. रामनगर, चित्रकूट और गाजीपुर की रामलीला का मंचन एक साथ ही शुरू हुआ था. यहां की रामलीला में सभी धर्मों और किन्नर समुदाय के लोग भी भाग लेते हैं. जिले की इस अनोखी रामलीला को देखने दूर-दूर से लोग लंका मैदान में पहुंचते हैं.

चार सौ साल पुरानी है गाजीपुर की रामलीला.

किन्नर समुदाय के लोग भी कर रहे रामलीला मंचन
रायगंज रायबरेली के रहने वाले पंडित राजा भैया तिवारी बताते हैं कि वह लगभग 20 सालों से रामलीला का मंचन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अधिकतर कलाकार रायबरेली के रहने वाले हैं. मंडली में पढ़ने वाले विद्यार्थी भी हैं जो पढ़ाई भी कर रहे हैं और रामलीला के मंचन के माध्यम से कार्य कर रहे हैं. मंडली में किन्नर समुदाय के लोग भी हैं जो सखी वेश में रहते हैं. उन्होंने रावण और बाणासुर का संवाद सुनाया और ठहाके भी लगाए.

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गाजीपुर की रामलीला में हर तरह के पात्र लेते हैं भाग
लक्ष्मण का पात्र निभाने वाले शिवा जो पढ़ाई भी करते हैं और रामलीला में अभिनय भी करते हैं. उन्होंने लक्ष्मण और मेघनाथ का संवाद सुनाया. गाजीपुर की रामलीला में हर तरह के पात्र हैं. किन्नर समुदाय से आने वाली अंचल कैकेई का अभिनय करती हैं. जो कन्नौज से आती हैं.

गंगा जमुनी तहजीब का जीता जागता उदाहरण है गाजीपुर की रामलीला
गाजीपुर की रामलीला में सभी रंग हैं. छात्र, नाट्य कला मंच से जुड़े लोग और किन्नर समुदाय के लोग भी गाजीपुर की रामलीला में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं. खास बात यह है कि गाजीपुर में बनने वाले विकराल रावण की निर्माण में सभी धर्मों के लोगों के सहयोग से बनता है. जो गंगा जमुनी तहजीब का जीता जागता उदाहरण है. जहां महिला, पुरुष और किन्नर सभी को समान अवसर दिया जाता है.

Intro:गाजीपुर की रामलीला में किन्नर भी निभाते हैं पात्र, सुने रावण अठाहास गाजीपुर। गाजीपुर की रामलीला 400 साल पुरानी है। साल पुरानी अति प्राचीन रामलीला हरिशंकरी का मंचन ऐतिहासिक होता है। रामनगर चित्रकूट और गाजीपुर की रामलीला का मंचन एक साथ ही शुरू हुआ था। जहां की रामलीला में सभी धर्मों और महिला पुरुष और किन्नर समुदाय के लोग भी भाग लेते हैं। गाजीपुर की इस अनोखी रामलीला देखने दूर-दूर से लोग लंका मैदान में पहुंचते हैं। ईटीवी की टीम ने रामलीला के कलाकारों से खास बात की।


Body:जब हम गाजीपुर की रामलीला मैदान पहुंचे तो सभी कलाकार अपनी अपनी पात्रों से जुड़ी लाइनों का अभ्यास कर रहे थे। सबसे पहले हमारी मुलाकात रामलीला नाटक मंडली के प्रमुख राजा भैया तिवारी से हुई। जो खुद रावण का पात्र निभाते हैं। रायगंज रायबरेली के रहने वाले पंडित राजा भैया तिवारी बताते हैं। वह लगभग 20 सालों से रामलीला का मंचन कर रहे हैं।उन्होंने बताया कि अधिकांश कलाकार रायबरेली के रहने वाले हैं मंडली में पढ़ने वाले विद्यार्थी भी हैं जो पढ़ाई भी कर रहे हैं और रामलीला के मंचन के माध्यम से कार्य कर रहे हैं। मैंने बताया कि मंडली में किन्नर समुदाय के लोग भी हैं जो सखी वेश में रहते हैं। उन्होंने रावण और बाणासुर का संवाद सुनाया और ठहाके भी लगाएं। इसके बाद हमारी मुलाकात लक्ष्मण का पात्र निभाने वाले शिवा से हुई जो पढ़ाई भी करते हैं और रामलीला में अभिनय भी करते हैं। उन्होंने लक्ष्मण और मेघनाथ का संवाद सुनाया। गाजीपुर की रामलीला में हर तरह के पात्र हैं। किन्नर समुदाय से आने वाली आंचल से हमारी मुलाकात हुई। आंचल कैकेई का अभिनय करती हैं कन्नौज से आती हैं। उन्होंने हमें अभिनय करके भी दिखाया।


Conclusion:गाजीपुर की रामलीला में सभी रंग हैं। छात्र, नाट्य कला मंच से जुड़े लोग और किन्नर समुदाय के लोग भी गाजीपुर की रामलीला में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। खास बात यह है कि गाजीपुर में बनने वाले विकराल रावण की निर्माण में सभी धर्मों के लोगों के सहयोग से बनता है। जो गंगा जमुनी तहजीब का जीता जागता उदाहरण है। जहां महिला पुरुष और किन्नर सभी को समान अवसर दिया जाता है। बाइक - पंडित राजा भैया तिवारी ( मंडली अध्यक्ष, रावण का पात्र  निभाने वाले ) बाइट - शिवा ( छात्र , लक्षण का पात्र निभाने वाले ) बाइट - अंचल ( किन्नर समुदाय से कैकेई का पात्र निभाने वाली ) उज्ज्वल कुमार राय, 7905590960
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