गाजीपुर: जिले की रामलीला 400 साल पुरानी है. 400 साल पुरानी अति प्राचीन रामलीला हरिशंकरी का मंचन ऐतिहासिक होता है. रामनगर, चित्रकूट और गाजीपुर की रामलीला का मंचन एक साथ ही शुरू हुआ था. यहां की रामलीला में सभी धर्मों और किन्नर समुदाय के लोग भी भाग लेते हैं. जिले की इस अनोखी रामलीला को देखने दूर-दूर से लोग लंका मैदान में पहुंचते हैं.
किन्नर समुदाय के लोग भी कर रहे रामलीला मंचन
रायगंज रायबरेली के रहने वाले पंडित राजा भैया तिवारी बताते हैं कि वह लगभग 20 सालों से रामलीला का मंचन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अधिकतर कलाकार रायबरेली के रहने वाले हैं. मंडली में पढ़ने वाले विद्यार्थी भी हैं जो पढ़ाई भी कर रहे हैं और रामलीला के मंचन के माध्यम से कार्य कर रहे हैं. मंडली में किन्नर समुदाय के लोग भी हैं जो सखी वेश में रहते हैं. उन्होंने रावण और बाणासुर का संवाद सुनाया और ठहाके भी लगाए.
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गाजीपुर की रामलीला में हर तरह के पात्र लेते हैं भाग
लक्ष्मण का पात्र निभाने वाले शिवा जो पढ़ाई भी करते हैं और रामलीला में अभिनय भी करते हैं. उन्होंने लक्ष्मण और मेघनाथ का संवाद सुनाया. गाजीपुर की रामलीला में हर तरह के पात्र हैं. किन्नर समुदाय से आने वाली अंचल कैकेई का अभिनय करती हैं. जो कन्नौज से आती हैं.
गंगा जमुनी तहजीब का जीता जागता उदाहरण है गाजीपुर की रामलीला
गाजीपुर की रामलीला में सभी रंग हैं. छात्र, नाट्य कला मंच से जुड़े लोग और किन्नर समुदाय के लोग भी गाजीपुर की रामलीला में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं. खास बात यह है कि गाजीपुर में बनने वाले विकराल रावण की निर्माण में सभी धर्मों के लोगों के सहयोग से बनता है. जो गंगा जमुनी तहजीब का जीता जागता उदाहरण है. जहां महिला, पुरुष और किन्नर सभी को समान अवसर दिया जाता है.