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Child Labour: बाल मजदूरी करने वाले बच्चों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं सिपाही रिंकी सिंह

अपने बच्चों का ख्याल तो सभी मां रखती हैं, लेकिन जो बच्चे घुटन और बाल मजदूरी की जिंदगी जी रहे हैं, उनकी जिंदगी बदलने की जिम्मेदारी कौन उठाये? इन सवालों का जवाब देते हुए फिरोजाबाद की महिला सिपाही रिंकी सिंह ने करीब 300 बच्चों को बाल मजदूरी, बाल भिक्षुओं के कार्य से मुक्त कराया है. रिंकी सिंह के इस कार्य के लिए सरकार ने उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.

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Published : Sep 4, 2021, 10:20 AM IST

Updated : Sep 4, 2021, 5:58 PM IST

सिपाही रिंकी सिंह.
सिपाही रिंकी सिंह.

फिरोजाबाद: यूपी के फिरोजाबाद जिले में तैनात महिला कांस्टेबल रिंकी सिंह अन्य पुलिसकर्मियों के लिए नजीर पेश कर रही हैं. रिंकी सिंह एचटीयू यानी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में बतौर कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं. जहां उन्होंने अपने टीम के साथ मिलकर ऐसे करीब 300 बच्चों को मुक्त करवाया है जो मजदूरी और बाल भिक्षा के दलदल में फंसे थे. रिंकी सिंह के काम से प्रभावित होकर सरकार और आईजी रेंज आगरा ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है. वहीं, रिंकी सिंह के पति पदम सिंह एसएसपी दफ्तर में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात है.

21 अगस्त को रिंकी सिंह को 'मिशन शक्ति' के तहत राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया गया था. रिंकी सिंह ने अपने ड्यूटी को बखूबी निभाते हुए 300 बालकों को बाल मजदूरी और बाल भिक्षा के दलदल से मुक्त करा कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया था. इन बच्चों को मुक्त कराने के बाद सीडब्ल्यूसी के जरिए जहां उन्होंने इन बच्चों की शिक्षा और दीक्षा का इंतजाम कराया. वहीं, विभिन्न योजनाओं से इनके परिजनों को आच्छादित करा कर उनकी आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने का काम किया.

जानकारी देती महिला सिपाही रिंकी सिंह.

रिंकी सिंह बताती हैं कि उन्होंने अपने अधिकारियों और टीम और श्रम विभाग के अफसरों के साथ मिलकर 2020 में 153 बाल मजदूरों को होटल, ढाबा, हलवाई की दुकान, गैरिज, कूड़ा बीनने से आजाद कराया था. इसी तरह 90 बच्चे ऐसे थे जो भिक्षु यानी भीख मांगते थे. उनसे भी यह काम छुड़वाया गया और इन बच्चों को सीडब्ल्यूसी के सामने पेश किया गया. जहां से सीडब्ल्यूसी के आदेश के बाद उन्हें विभिन्न बाल श्रमिक स्कूलों में शिक्षा के लिए प्रवेश दिलाया गया. उनके इस काम से प्रभावित होकर आगरा रेंज के आईजी नवीन अरोरा ने भी इन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है.

फिरोजाबाद के एसएससी अशोक कुमार का कहना है कि रिंकी उन महिलाओं के लिए भी एक उदाहरण है. जिनके बारे में यह कहा जाता है कि महिलाएं पुरुषों की बराबरी नहीं कर सकती. साफ देख सकते हैं कि ओलंपिक में महिला द्वारा सर्वाधिक पदक जीते गए. जोकि महिलाओं के सशक्तिकरण का उदाहरण है. रिंकी सिंह ने पुलिस महकमे का सम्मान और महिलाओं का गौरव बढ़ाया है.

इसे भी पढें- हरदोई जिला कारागार को राज्यपाल ने दिया 'चल वैजयंती सम्मान', 3 सालों से आ रहा प्रथम स्थान

फिरोजाबाद: यूपी के फिरोजाबाद जिले में तैनात महिला कांस्टेबल रिंकी सिंह अन्य पुलिसकर्मियों के लिए नजीर पेश कर रही हैं. रिंकी सिंह एचटीयू यानी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में बतौर कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं. जहां उन्होंने अपने टीम के साथ मिलकर ऐसे करीब 300 बच्चों को मुक्त करवाया है जो मजदूरी और बाल भिक्षा के दलदल में फंसे थे. रिंकी सिंह के काम से प्रभावित होकर सरकार और आईजी रेंज आगरा ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है. वहीं, रिंकी सिंह के पति पदम सिंह एसएसपी दफ्तर में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात है.

21 अगस्त को रिंकी सिंह को 'मिशन शक्ति' के तहत राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया गया था. रिंकी सिंह ने अपने ड्यूटी को बखूबी निभाते हुए 300 बालकों को बाल मजदूरी और बाल भिक्षा के दलदल से मुक्त करा कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया था. इन बच्चों को मुक्त कराने के बाद सीडब्ल्यूसी के जरिए जहां उन्होंने इन बच्चों की शिक्षा और दीक्षा का इंतजाम कराया. वहीं, विभिन्न योजनाओं से इनके परिजनों को आच्छादित करा कर उनकी आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने का काम किया.

जानकारी देती महिला सिपाही रिंकी सिंह.

रिंकी सिंह बताती हैं कि उन्होंने अपने अधिकारियों और टीम और श्रम विभाग के अफसरों के साथ मिलकर 2020 में 153 बाल मजदूरों को होटल, ढाबा, हलवाई की दुकान, गैरिज, कूड़ा बीनने से आजाद कराया था. इसी तरह 90 बच्चे ऐसे थे जो भिक्षु यानी भीख मांगते थे. उनसे भी यह काम छुड़वाया गया और इन बच्चों को सीडब्ल्यूसी के सामने पेश किया गया. जहां से सीडब्ल्यूसी के आदेश के बाद उन्हें विभिन्न बाल श्रमिक स्कूलों में शिक्षा के लिए प्रवेश दिलाया गया. उनके इस काम से प्रभावित होकर आगरा रेंज के आईजी नवीन अरोरा ने भी इन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है.

फिरोजाबाद के एसएससी अशोक कुमार का कहना है कि रिंकी उन महिलाओं के लिए भी एक उदाहरण है. जिनके बारे में यह कहा जाता है कि महिलाएं पुरुषों की बराबरी नहीं कर सकती. साफ देख सकते हैं कि ओलंपिक में महिला द्वारा सर्वाधिक पदक जीते गए. जोकि महिलाओं के सशक्तिकरण का उदाहरण है. रिंकी सिंह ने पुलिस महकमे का सम्मान और महिलाओं का गौरव बढ़ाया है.

इसे भी पढें- हरदोई जिला कारागार को राज्यपाल ने दिया 'चल वैजयंती सम्मान', 3 सालों से आ रहा प्रथम स्थान

Last Updated : Sep 4, 2021, 5:58 PM IST
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