फर्रुखाबाद: जिले में शिक्षक की मौत मामले में शिक्षा विभाग के लिपिक और प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया गया है. खंड शिक्षा अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए अपर शिक्षा निदेशक को लिखा गया है. शुक्रवार को तीन अफसर पर मुकदमा भी पंजीकृत हो गया है.
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने शुक्रवार को प्रेस नोट जारी किया है. जिसमें बताया गया कि अनिल कुमार त्रिपाठी के आत्महत्या करने का पत्र वायरल हुआ था. इस पत्र में अनिल कुमार त्रिपाठी ने कायमगंज खंड शिक्षा अधिकारी गिर्राज सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय सहायक सुरेंद्रनाथ अवस्थी कनिष्ठ और कायमगंज विकासखंड झब्बूपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय के हेड मास्टर निर्देश गंगवार को आत्महत्या के लिए उकसाने का जिम्मेदार बताया था. इस प्रकरण की गंभीरता से जांच के लिए दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई है. जिसमें खंड शिक्षा अधिकारी मुख्यालय व खंड शिक्षा अधिकारी शमशाबाद शामिल हैं.
बेसिक शिक्षा अधिकारी के मुताबिक, समिति ने गुरुवार को इस प्रकरण में गिर्राज सिंह, सुरेंद्रनाथ अवस्थी कनिष्ठ और निर्देश गंगवार को प्रकरण में लापरवाही बरतने का दोषी पाया है. जिसमें गिर्राज सिंह के खिलाफ कार्रवाई के लिए अपर शिक्षा निदेशक उत्तर प्रदेश प्रयागराज को प्रेषित किया गया है. वहीं, सुरेंद्रनाथ अवस्थी और निर्देश गंगवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर संबंधित के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी.
शिक्षक अनिल कुमार त्रिपाठी के बेटे आशीष त्रिपाठी ने इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. आशीष त्रिपाठी ने बताया था कि बुधवार की सुबह पिता अनिल त्रिपाठी खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय गए थे. वहां से लौटकर आने के बाद वह सीधे अपने कमरे में चले गए. जब उसने कमरे में जाकर देखा तो पिता अनिल कुमार जमीन पर पड़े हुए थे. उन्होंने जान देने की कोशिश की थी. हालत बिगड़ने पर उन्हें कायमगंज सीएचसी में भर्ती कराया गया. जहां से डॉक्टरों ने अनिल त्रिपाठी को हायर सेंटर रेफर कर दिया. जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. आशीष ने बताया कि पिता ने एक सुसाइड छोड़ था. जिसमें उन्होंने 96 माह से वेतन नहीं मिलने की बात कही थी. वहीं, शिक्षा विभाग के अफसर, क्लर्क और प्रधानाध्यापक पर उत्पीड़न करने का आरोप लगाते हुए आत्महत्या करने के लिए उकसाने का आरोप लगाया था.
आशीष त्रिपाठी ने बताया कि पिता अनिल कुमार त्रिपाठी पूर्व माध्यमिक विद्यालय झब्बूपुर में सहायक अध्यापक पद पर तैनात थे. जनवरी 2016 में उनकी सेवा समाप्त कर दी गई थी. जिस पर पिता ने सेवा समाप्ति के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में रिट दायर की थी. इस पर स्टे होने के कारण तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी ने मार्च में बहाल कर दिया था. मार्च में वेतन भुगतान करने का आदेश भी जारी किया था. तभी से वह कार्यभार ग्रहण करने और पूर्व का वेतन पाने के लिए विभागीय अफसरों के पास चक्कर लगा रहे थे. अधिकारियों को करीब 450 प्रार्थना पत्र भी दिए, फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई.
गुरुवार को प्रभारी बीएसए राजीव कुमार ने बताया कि संबंधित शिक्षक अनिल कुमार त्रिपाठी की नियुक्ति वर्ष 1999 में मृतक आश्रित में हुई थी. सन् 1996 में अनिल कुमार त्रिपाठी की इंटर की मार्कशीट फर्जी पाए जाने के मामले में इनको बर्खास्त कर दिया गया. इस आदेश के खिलाफ अनिल कुमार त्रिपाठी न्यायालय गए थे. वहां उनको स्टे मिल गया. स्टे के क्रम में तत्कालीन बीएसए ने एबीएसए कायमगंज को जॉइन करने का व वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया था.
लेकिन, स्कूल में अभिलेख देखे गए तो वहां पर अनिल कुमार त्रिपाठी की विद्यालय में हाजिरी नहीं थी. उनकी जॉइनिंग वहां पर नहीं मिली. इसलिए अनिल कुमार त्रिपाठी को वेतन वहां से नहीं निकला. इस मामले में कार्रवाई करते हुए संबंधित लिपिक और विद्यालय के हेड मास्टर को निलंबित किया जा चुका है. खंड शिक्षा अधिकारी के विरुद्ध अपर शिक्षा निदेशक को कार्रवाई के लिए लिखा जा चुका है.