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बुलंदशहर: सरकारी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में शिक्षकों की कमी

यूपी के बुलंदशहर के गुलावठी ब्लॉक के भोगपुर गांव में सरकारी अंग्रेजी माध्यम का विद्यालय संचालित होता है. इस विद्यालय में शिक्षकों की कमी है. इतना ही नहीं अभी तक बच्चों को ड्रेस और किताबें भी नहीं मिली हैं.

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Published : Nov 3, 2019, 12:22 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में शिक्षकों की कमी.

बुलंदशहर: जिले में अभी भी सरकार के मॉडल इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पर्याप्त शिक्षकों का टोटा बना हुआ है. जिले के अंग्रेजी माध्यम के सरकारी स्कूलों में तो अव्यवस्था का जैसे बोलबाला है. ईटीवी भारत के जांच में भोगपुर गांव के स्कूल में शिक्षक की कमी के साथ ड्रेस और किताबों की कमी भी सामने आई.

अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में शिक्षकों की कमी.


स्कूल में शिक्षकों की कमी
सरकार की मंशा है कि कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज पर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए. जिले में अधिकारी सरकार के इस मंशा को पलीता लगा रहे हैं. नवंबर से शुरू हुए सत्र को काफी समय बीत चुका है, लेकिन अब तक अंग्रेजी माध्यम के मॉडल स्कूलों में पर्याप्त स्टाफ तक नहीं हैं. इंग्लिश मीडियम के विद्यालयों में नए शासनादेश के बाद प्रत्येक विद्यालय में पांच टीचर होने अनिवार्य हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर गुलावठी ब्लॉक के भोगपुर गांव में अंग्रेजी माध्यम का विद्यालय संचालित है. इस विद्यालय में सिर्फ प्रधानाचार्य और एक सहायक अध्यापिका ही तैनात है.


जानिए क्या है शिक्षकों का कहना
हालांकि स्कूल में और भी खामियां देखने को मिली. बच्चों को जिस क्लास रूम में बैठकर पढ़ाया जा रहा था, उसमें बिजली की व्यवस्था तक नहीं थी. इस बारे में प्रधानाध्यापक का कहना है कि बिजली आपूर्ति बाधित होने की वजह से परेशानी तो होती है.

इसे भी पढ़ें:- ETV EMPACT: जर्जर स्कूल का हो रहा जीर्णोद्धार, बच्चों को मिलेंगी अब ये सुविधाएं

सहायक अध्यापिका चंचल नेहरा का कहना है कि अगर इंग्लिश मीडियम के इस मॉडल विद्यालय के कुछ बच्चों को ही किताबें मिली हैं. बिना किताबों के ही हम बच्चों को पढ़ाते हैं. उन्होंने बताया कि हम बच्चों को टीएलएम की मदद से पढ़ाते हैं. वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्रवाई करने की बात करते नजर आए.

बुलंदशहर: जिले में अभी भी सरकार के मॉडल इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पर्याप्त शिक्षकों का टोटा बना हुआ है. जिले के अंग्रेजी माध्यम के सरकारी स्कूलों में तो अव्यवस्था का जैसे बोलबाला है. ईटीवी भारत के जांच में भोगपुर गांव के स्कूल में शिक्षक की कमी के साथ ड्रेस और किताबों की कमी भी सामने आई.

अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में शिक्षकों की कमी.


स्कूल में शिक्षकों की कमी
सरकार की मंशा है कि कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज पर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए. जिले में अधिकारी सरकार के इस मंशा को पलीता लगा रहे हैं. नवंबर से शुरू हुए सत्र को काफी समय बीत चुका है, लेकिन अब तक अंग्रेजी माध्यम के मॉडल स्कूलों में पर्याप्त स्टाफ तक नहीं हैं. इंग्लिश मीडियम के विद्यालयों में नए शासनादेश के बाद प्रत्येक विद्यालय में पांच टीचर होने अनिवार्य हैं, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर गुलावठी ब्लॉक के भोगपुर गांव में अंग्रेजी माध्यम का विद्यालय संचालित है. इस विद्यालय में सिर्फ प्रधानाचार्य और एक सहायक अध्यापिका ही तैनात है.


जानिए क्या है शिक्षकों का कहना
हालांकि स्कूल में और भी खामियां देखने को मिली. बच्चों को जिस क्लास रूम में बैठकर पढ़ाया जा रहा था, उसमें बिजली की व्यवस्था तक नहीं थी. इस बारे में प्रधानाध्यापक का कहना है कि बिजली आपूर्ति बाधित होने की वजह से परेशानी तो होती है.

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सहायक अध्यापिका चंचल नेहरा का कहना है कि अगर इंग्लिश मीडियम के इस मॉडल विद्यालय के कुछ बच्चों को ही किताबें मिली हैं. बिना किताबों के ही हम बच्चों को पढ़ाते हैं. उन्होंने बताया कि हम बच्चों को टीएलएम की मदद से पढ़ाते हैं. वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्रवाई करने की बात करते नजर आए.

Intro:बुलंदशहर जिले में अभी भी सरकार के मॉडल इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पर्याप्त शिक्षकों का टोटा बना हुआ है, इतना ही नहीं ईटीवी भारत ने परखी अंग्रेजी माध्यम के सरकारी स्कूलों की जमीनी हकीकत तो अव्यववस्थओं का जैसे बोलबाला इन अंग्रेजी माध्यम के विधालयों में बना हुआ है।देखिये ईटीवी भारत की एक्सक्लुसिव खबर।

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Body:सरकार की मंशा है कि इंग्लिश माध्यम से भी कॉन्वेंट स्कूल की तर्ज पर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए, ताकि पढ़ाई का स्तर सुधरे और लोगों का रुझान सरकारी विद्यालयों की तरफ बढ़े , लेकिन बुलंदशहर में इस अभियान को पलीता लगाया यहां के बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों ने, नवंबर की शुरुआत हो चली है सत्र को शुरू हुए काफी समय बीत चुका है ,लेकिन अभी तक भी बुलंदशहर के अंग्रेजी माध्यम के मॉडल स्कूलों में पर्याप्त स्टाफ तक नहीं है ,इतना ही नहीं इसके अलावा अगर गौर करें तो यहां और भी काफी खामियां ईटीवी भारत की रिपोर्ट में सामने आई। यूं तो सरकार की मंशा के मुताबिक इंग्लिश मीडियम के विद्यालयों में नए शासनादेश के बाद प्रत्येक विद्यालय में 5 टीचर होने अनिवार्य हैं, अगर देखा जाए तो जमीनी हकीकत कुछ और ही है। हमने जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर गुलावठी ब्लॉक के भोजपुर गांव का रुख किया जहां अंग्रेजी माध्यम का विद्यालय संचालित है और इस विद्यालय में सिर्फ एक प्रधानाचार्य और एक सहायक अध्यापिका ही तैनात हैं ,जबकि शिक्षामित्र भी यहां है,जबकि साफ तौर पर स्पष्ट निर्देश है कि इंग्लिश मीडियम मॉडल स्कूल्स पांच अध्यापक होने आवश्यक हैं, हालांकि और भी खामियां यहां देखने को मिली, बच्चों को जिन क्लास रूम में बैठकर बच्चे पढ़ाई कर रहे थे उनमें प्रकाश की समुचित व्यवस्था तक नहीं थी, कमरों में अंधेरा था और बच्चे किसी तरह आकृतियों को देखकर अध्यापकों की हां में हां मिला रहे थे। इस बारे में जानकारी चाही तो अध्यापकों का कहना है कि विधुत आपूर्ति बाधित होने की वजह से परेशानी तो होती है,पर्याप्त पुस्तकें हों या फिर स्कूल बैग या फिर बच्चों को मिलने वाली ड्रेस, लेकिन अभी भी स्कूल में कई स्टूडेंट्स ऐसे हैं जिन्हें न ड्रेस मिली है और न हीं पुस्तक ही अब तक मिल पाई हैं,
यानी तमाम छात्रों को सरकार की तरफ से जो अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में किताब मुहैया होनी चाहिए वह किताबें भी पर्याप्त मात्रा में बच्चों के पास नहीं थीं, जिसका बहुत ही अजीबोगरीब तरीके का जवाब दिया विद्यालय में पढ़ाने वाली सहायक अध्यापिका चंचल नेहरा ने अध्यापिका का कहना है कि अगर इंग्लिश मीडियम के इस मॉडल विद्यालय में किताबें नहीं है तो यह कोई बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है ,बिना किताबों के भी पढ़ाई संभव है और हम अच्छे से बच्चों को पढ़ा रहे हैं ,चाहे किताबे हो ना हो इससे कोई फरख नहीं पड़ता। अध्यापिका महोदय का कहना है कि अगर किताबें नहीं है तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि उन्हें अपने पढ़ाने के तरीके पर बहुत कॉन्फिडेंस है, फिलहाल किसी के आत्मविश्वास की नहीं है शासन के दिशा निर्देश की है,जिसमें लोगों को यह समझना होगा कि सरकारी विद्यालयों में अगर व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हुई तो आखिर कोई अपने बच्चों को क्यों यहां दाखिला कराएगा, फिलहाल सरकार की मंशा को पलीता लगाते नजर आए यहां के अधिकारी इस बारे में पूरी तरह से कहते हैं टीचरों का चयन इंग्लिश मीडियम के लिए किया गया था लेकिन सभी अध्यापकों ने रुचि नहीं दिखाई जिसकी वजह से कमी बनी हुई है तो वहीं और किसी सवाल का जवाब देना बेसिक शिक्षा अधिकारी ने जरूरी नहीं समझा तो वहीं दूसरी तरफ विद्यालय के प्रधानाचार्य मुकुल वर्मा का कहना है कि जो दिक्कतें बनी हुई हैं वो ऊपरी स्तर की बात है, इसमें उनके अधिकार सीमित हैं,अभी तक भी सभी छात्रों को पर्याप्त पुस्तकें तक भी नहीं हैं,तो वहीं अन्य अव्यवस्थाओं की तो बात ही छोड़िए। फिलहाल आखिर सरकार की जो मंशा थी कि इंग्लिश मॉडल स्कूल खोले जाएं और उनमें बेहतर शिक्षा प्रणाली के तहत पढ़ाई कराई जाए लेकिन जिस तरह से बुलंदशहर के इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अभी भी अध्यापकों की कमी बनी हुई है ,और अन्य अव्यवस्थाएं बनी हुई हैं उन्हें देख कर लगता है कि यहां के जिम्मेदार बेसिक शिक्षा अधिकारी शायद जरा भी गम्भीर नहीं थे।
one to one with.... मुकुल वर्मा,प्रधानाध्यापक ,इंग्लिश मीडियम, मॉडल स्कूल,भोगपुर गांव।
बाइट....चंचल नेहरा...सह्यायक अध्यापिका,प्राथमिक विद्यालय।
बाइट....स्टूडेंट..
बाइट...अम्बरीष यादव,बेसिक शिक्षा अधिकारी,बुलन्दशहर।
वाक थ्रू.....श्रीपाल तेवतिया।




Conclusion:श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर,
9213400888.
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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