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चीन से युद्ध को लेकर भारत की अभेद तैयारी! - green corridor

बंगाल से उत्तराखंड तक ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण शुरू हो गया है. बिहार-यूपी की सीमा से होते हुए उत्तराखंड तक पहुंचने वाली इस सड़क में मंडल के सिद्धार्थनगर, महराजगंज, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी व पीलीभीत जिले शामिल हैं. इंडो-नेपाल बॉर्डर कॉरिडोर परियोजना की लागत 1,900 करोड़ रुपये की है. जिसमें 112 छोटे व 35 बड़े पुल बनाए जाएंगे.

ग्रीन कॉरिडोर.
ग्रीन कॉरिडोर.
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Published : Mar 19, 2021, 7:41 AM IST

Updated : Mar 19, 2021, 12:05 PM IST

बस्ती: बंगाल से उत्तराखंड तक ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण शुरू हो गया है. सेना की क्विक कांबिंग और मूवमेंट के लिए गृह मंत्रालय का यह निर्णय और काम भी युद्ध स्तर पर शुरू हो गया है. बिहार-यूपी की सीमा से होते हुए उत्तराखंड तक पहुंचने वाली इस सड़क मेें मंडल के सिद्धार्थनगर, महराजगंज, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी व पीलीभीत जिले शामिल किए गए है. इंडो-नेपाल बॉर्डर कॉरिडोर परियोजना की लागत 1,900 करोड़ रुपये की है. जिसमें 112 छोटे व 35 बड़े पुल भी बनाए जाने है. गोरखपुर व बस्ती मंडल में 13 ब्रिज बनेंगे. जिनसे सिद्धार्थनगर के तीन पुलों पर कार्य शुरू करने की तैयारी अंतिम चरण में पहुंच गई है. इसका मकसद है कि विषम परिस्थितियों में सेना की अनुमति पर ही इस रूट पर अन्य आवागमन संभव हो सकेगा.

जानकारी देते आयुक्त अनिल सागर.

देश की सीमा सुरक्षा को लेकर तंत्र सक्रिय हो गया है. प्रधानमंत्री ने इसके लिए तमाम आदेश-निर्देश दे रखें हैं. वहीं, गृह मंत्रालय भी उनके सुर में सुर मिला रहा है. इसलिए तो हाई सेंस्टिविटी इंडो चाइना व इंडो नेपाल से सटे सीमाई इलाकों के क्षेत्र पर क्विक कांबिंग हो सके और सेना की क्विक मूवमेंट बनी रहे. इसे लेकर बंगाल से लेकर उत्तराखंड, बिहार व उ.प्र. की सीमा से सटे चीन व नेपाल सीमा पर 640 किमी लंबी सड़क बनाने का निर्णय गृह मंत्रालय ने लिया है. पूरी परियोजना पर जहां 1900 करोड़ रुपये सुरक्षा की दृष्टि से खर्च होगा तो वहीं इस परियोजना पर सेना के लिए यातायात को सुगम बनाने के लिए 112 छोटे, 35 बड़े पुलों के निर्माण का लक्ष्य भी रखा गया है. गोरखपुर व बस्ती मंडील के कुछ जिले भी इस परियोजना में शामिल हैं.

लंबे समय से भारत, चीन व नेपाल सीमा पर सेना की गतिविधियां न सिर्फ सक्रिय हुई हैं, बल्कि जाबांज जवानों की बहादुरी से देश की सीमाएं पूरी तरह से विषम स्थितियों से भी सुरक्षित र‌हीं हैं. देश के सीमा की सुरक्षा और चौकस हो इसे लेकर केंद्र सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता को जाहिर किया है. आयुक्त अनिल सागर ने बताया कि महानिर्माण योजना के तहत देश की सबसे महत्वाकांक्षी बार्डर सड़क परियोजना शुरू किए जाने की कवायद को अमली जामा पहनाने की तैयारी शुरू कर दी गई. वहीं परियोजना का निर्माण करवा रही एजेंसी सेतु निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि चीन से युद्ध की परिस्थिति से निपटने के लिए इस कॉरिडोर का निर्माण हो रहा है.

इसे भी पढे़ं- एशिया के सबंसे बड़े गांव में स्वतंत्र देव सिंह ने की चुनावी चौपाल

बस्ती: बंगाल से उत्तराखंड तक ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण शुरू हो गया है. सेना की क्विक कांबिंग और मूवमेंट के लिए गृह मंत्रालय का यह निर्णय और काम भी युद्ध स्तर पर शुरू हो गया है. बिहार-यूपी की सीमा से होते हुए उत्तराखंड तक पहुंचने वाली इस सड़क मेें मंडल के सिद्धार्थनगर, महराजगंज, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर खीरी व पीलीभीत जिले शामिल किए गए है. इंडो-नेपाल बॉर्डर कॉरिडोर परियोजना की लागत 1,900 करोड़ रुपये की है. जिसमें 112 छोटे व 35 बड़े पुल भी बनाए जाने है. गोरखपुर व बस्ती मंडल में 13 ब्रिज बनेंगे. जिनसे सिद्धार्थनगर के तीन पुलों पर कार्य शुरू करने की तैयारी अंतिम चरण में पहुंच गई है. इसका मकसद है कि विषम परिस्थितियों में सेना की अनुमति पर ही इस रूट पर अन्य आवागमन संभव हो सकेगा.

जानकारी देते आयुक्त अनिल सागर.

देश की सीमा सुरक्षा को लेकर तंत्र सक्रिय हो गया है. प्रधानमंत्री ने इसके लिए तमाम आदेश-निर्देश दे रखें हैं. वहीं, गृह मंत्रालय भी उनके सुर में सुर मिला रहा है. इसलिए तो हाई सेंस्टिविटी इंडो चाइना व इंडो नेपाल से सटे सीमाई इलाकों के क्षेत्र पर क्विक कांबिंग हो सके और सेना की क्विक मूवमेंट बनी रहे. इसे लेकर बंगाल से लेकर उत्तराखंड, बिहार व उ.प्र. की सीमा से सटे चीन व नेपाल सीमा पर 640 किमी लंबी सड़क बनाने का निर्णय गृह मंत्रालय ने लिया है. पूरी परियोजना पर जहां 1900 करोड़ रुपये सुरक्षा की दृष्टि से खर्च होगा तो वहीं इस परियोजना पर सेना के लिए यातायात को सुगम बनाने के लिए 112 छोटे, 35 बड़े पुलों के निर्माण का लक्ष्य भी रखा गया है. गोरखपुर व बस्ती मंडील के कुछ जिले भी इस परियोजना में शामिल हैं.

लंबे समय से भारत, चीन व नेपाल सीमा पर सेना की गतिविधियां न सिर्फ सक्रिय हुई हैं, बल्कि जाबांज जवानों की बहादुरी से देश की सीमाएं पूरी तरह से विषम स्थितियों से भी सुरक्षित र‌हीं हैं. देश के सीमा की सुरक्षा और चौकस हो इसे लेकर केंद्र सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता को जाहिर किया है. आयुक्त अनिल सागर ने बताया कि महानिर्माण योजना के तहत देश की सबसे महत्वाकांक्षी बार्डर सड़क परियोजना शुरू किए जाने की कवायद को अमली जामा पहनाने की तैयारी शुरू कर दी गई. वहीं परियोजना का निर्माण करवा रही एजेंसी सेतु निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि चीन से युद्ध की परिस्थिति से निपटने के लिए इस कॉरिडोर का निर्माण हो रहा है.

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Last Updated : Mar 19, 2021, 12:05 PM IST
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