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लॉकडाउन का असर: फसल काटने को नहीं मिल रहे मजदूर, किसान हुए परेशान - agricultural news

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. किसानों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण मजदूर अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं, ऐसे में तैयार फसल कटवाने में समस्याएं आ रही हैं.

गेहूं की कटाई में देरी से किसान परेशान.
गेहूं की कटाई में देरी से किसान परेशान.
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Published : Apr 9, 2020, 2:15 PM IST

बरेली: लॉकडाउन के कारण किसानों की भी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. एक तरफ गेहूं की फसल तैयार है, लेकिन मजदूर नहीं मिलने के कारण किसानों को फसल कटवाने में दिक्कतें रही हैं. इन समस्याओं को लेकर किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

गेहूं की कटाई में देरी से किसान परेशान.

किसानों का कहना है कि हम लोग अगर कंबाइन से गेहूं कटवाते हैं तो पूरे साल का पशु चारा बर्बाद हो जाएगा. फसल कटाई में देरी होती है तो मौसम खराब होने पर किसानों को नुकसान के अलावा कुछ हाथ नहीं लगेगा.

इसे भी पढ़ें-COVID-19: UP में कोरोना के 22 नए मामले आए सामने, आंकड़ा पहुंचा 387

किसानों का कहना है कि मशीन से गेहूं कटाते हैं तो उसका रेट भी 600 से लेकर 800 रुपये तक है. इस बार वह रेट बढ़ने के आसार हैं, क्योंकि मजदूर के न मिलने से यह समस्या आ रही है. ऐसे में अधिकांश किसानों को कंबाइन पर ही निर्भर रहना पड़ेगा, जिसके कारण प्रति एकड़ कटाई का रेट 1,200 रुपये तक पहुंच सकता है.

किसानों का कहना है कि कंबाइन से भी गेहूं कटवाते हैं तो उन्हें लेकर मंडी भी जाना है. मजदूरों की जरूरत तो फिर भी रहेगी. इस बार कटाई का सीजन लंबा चलना तय है. इसलिए बीच में मौसम की मार भी झेलनी पड़ सकती है. ज्यादातर कंबाइन पंजाब से आती हैं. हालांकि उत्तर प्रदेश के तराई के इलाकों में बड़े किसानों के पास कंबाइन उपलब्ध हैं.

बरेली: लॉकडाउन के कारण किसानों की भी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. एक तरफ गेहूं की फसल तैयार है, लेकिन मजदूर नहीं मिलने के कारण किसानों को फसल कटवाने में दिक्कतें रही हैं. इन समस्याओं को लेकर किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

गेहूं की कटाई में देरी से किसान परेशान.

किसानों का कहना है कि हम लोग अगर कंबाइन से गेहूं कटवाते हैं तो पूरे साल का पशु चारा बर्बाद हो जाएगा. फसल कटाई में देरी होती है तो मौसम खराब होने पर किसानों को नुकसान के अलावा कुछ हाथ नहीं लगेगा.

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किसानों का कहना है कि मशीन से गेहूं कटाते हैं तो उसका रेट भी 600 से लेकर 800 रुपये तक है. इस बार वह रेट बढ़ने के आसार हैं, क्योंकि मजदूर के न मिलने से यह समस्या आ रही है. ऐसे में अधिकांश किसानों को कंबाइन पर ही निर्भर रहना पड़ेगा, जिसके कारण प्रति एकड़ कटाई का रेट 1,200 रुपये तक पहुंच सकता है.

किसानों का कहना है कि कंबाइन से भी गेहूं कटवाते हैं तो उन्हें लेकर मंडी भी जाना है. मजदूरों की जरूरत तो फिर भी रहेगी. इस बार कटाई का सीजन लंबा चलना तय है. इसलिए बीच में मौसम की मार भी झेलनी पड़ सकती है. ज्यादातर कंबाइन पंजाब से आती हैं. हालांकि उत्तर प्रदेश के तराई के इलाकों में बड़े किसानों के पास कंबाइन उपलब्ध हैं.

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