बाराबंकी: पहली बार उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने गठबंधन किया है. इसको लेकर जिले में भी चर्चाओं का बाजार गर्म है. लोग इस बार के चुनाव में गठबंधन, कांग्रेस और भाजपा को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि सपा-बसपा गठबंधन में यदि कांग्रेस जुड़ती, तब इसका असर ज्यादा सही पड़ता.
इस बार के चुनावी माहौल में कुछ भी अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा है. सपा-बसपा के गठबंधन के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं. लोगों का कहना है कि गठबंधन का असर नहीं पड़ेगा. वहीं कुछ का मानना है कि मौजूदा सरकार की नीतियों से सेक्यूलर वोटर गठबंधन के पक्ष में जाता हुआ दिखाई देगा. कुछ लोग तो यहां तक मानते हैं कि यदि सपा-बसपा के गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल होती तो चुनाव में इसका ज्यादा लाभ मिलता. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि मोदी के डर से गठबंधन हुआ है.
बाराबंकी में जनसंख्या के लिहाज से मुस्लिम वोटर्स की संख्या अधिक है. सपा-बसपा गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में राम सागर रावत समाजवादी पार्टी के कोटे से चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा की ओर से जैदपुर से विधायक उपेंद्र रावत को सिटिंग भाजपा सांसद का टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा गया है. साथ ही कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया चुनाव मैदान में हैं. भाजपा के विधायक और लोकसभा प्रत्याशी उपेंद्र रावत यूपी असेंबली चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार तनुज पुनिया को शिकस्त दे चुके हैं. वहीं गठबंधन उम्मीदवार राम सागर रावत काफी अनुभवी नेता हैं.
पहली बार सपा-बसपा का गठबंधन हुआ है. ऐसे में यह गठबंधन किसी भी राजनीतिक समीकरण को धराशाई कर सकता है. इसलिए बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित भी इस बार के चुनाव में थोड़ा संभल कर अपनी बात रख रहे हैं. यही हालत बाराबंकी जिले में भी है. इस बार के चुनाव में बड़े-बड़े उलटफेर होते हुए दिखाई दे सकते हैं.