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बाराबंकी के वोटर कह रहे, मोदी के डर से हुआ गठबंधन

बाराबंकी जिले में चुनावी समीकरण को लेकर वोटर कन्फ्यूज हैं. प्रदेश में पहली बार सपा-बसपा का गठबंधन हुआ है. कई लोगों का मानना है कि गठबंधन का चुनाव पर कोई असर नहीं होगा. वहीं कुछ लोग यह भी मानते हैं कि यदि कांग्रेस भी गठबंधन में शामिल होती तो इसका असर ज्यादा बेहतर होता.

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Published : Mar 28, 2019, 6:57 PM IST

बाराबंकी: पहली बार उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने गठबंधन किया है. इसको लेकर जिले में भी चर्चाओं का बाजार गर्म है. लोग इस बार के चुनाव में गठबंधन, कांग्रेस और भाजपा को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि सपा-बसपा गठबंधन में यदि कांग्रेस जुड़ती, तब इसका असर ज्यादा सही पड़ता.

सपा-बसपा गठबंधन पर वोटर्स की राय.

इस बार के चुनावी माहौल में कुछ भी अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा है. सपा-बसपा के गठबंधन के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं. लोगों का कहना है कि गठबंधन का असर नहीं पड़ेगा. वहीं कुछ का मानना है कि मौजूदा सरकार की नीतियों से सेक्यूलर वोटर गठबंधन के पक्ष में जाता हुआ दिखाई देगा. कुछ लोग तो यहां तक मानते हैं कि यदि सपा-बसपा के गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल होती तो चुनाव में इसका ज्यादा लाभ मिलता. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि मोदी के डर से गठबंधन हुआ है.

बाराबंकी में जनसंख्या के लिहाज से मुस्लिम वोटर्स की संख्या अधिक है. सपा-बसपा गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में राम सागर रावत समाजवादी पार्टी के कोटे से चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा की ओर से जैदपुर से विधायक उपेंद्र रावत को सिटिंग भाजपा सांसद का टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा गया है. साथ ही कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया चुनाव मैदान में हैं. भाजपा के विधायक और लोकसभा प्रत्याशी उपेंद्र रावत यूपी असेंबली चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार तनुज पुनिया को शिकस्त दे चुके हैं. वहीं गठबंधन उम्मीदवार राम सागर रावत काफी अनुभवी नेता हैं.

पहली बार सपा-बसपा का गठबंधन हुआ है. ऐसे में यह गठबंधन किसी भी राजनीतिक समीकरण को धराशाई कर सकता है. इसलिए बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित भी इस बार के चुनाव में थोड़ा संभल कर अपनी बात रख रहे हैं. यही हालत बाराबंकी जिले में भी है. इस बार के चुनाव में बड़े-बड़े उलटफेर होते हुए दिखाई दे सकते हैं.


बाराबंकी: पहली बार उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने गठबंधन किया है. इसको लेकर जिले में भी चर्चाओं का बाजार गर्म है. लोग इस बार के चुनाव में गठबंधन, कांग्रेस और भाजपा को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि सपा-बसपा गठबंधन में यदि कांग्रेस जुड़ती, तब इसका असर ज्यादा सही पड़ता.

सपा-बसपा गठबंधन पर वोटर्स की राय.

इस बार के चुनावी माहौल में कुछ भी अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा है. सपा-बसपा के गठबंधन के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं. लोगों का कहना है कि गठबंधन का असर नहीं पड़ेगा. वहीं कुछ का मानना है कि मौजूदा सरकार की नीतियों से सेक्यूलर वोटर गठबंधन के पक्ष में जाता हुआ दिखाई देगा. कुछ लोग तो यहां तक मानते हैं कि यदि सपा-बसपा के गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल होती तो चुनाव में इसका ज्यादा लाभ मिलता. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि मोदी के डर से गठबंधन हुआ है.

बाराबंकी में जनसंख्या के लिहाज से मुस्लिम वोटर्स की संख्या अधिक है. सपा-बसपा गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में राम सागर रावत समाजवादी पार्टी के कोटे से चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा की ओर से जैदपुर से विधायक उपेंद्र रावत को सिटिंग भाजपा सांसद का टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा गया है. साथ ही कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया चुनाव मैदान में हैं. भाजपा के विधायक और लोकसभा प्रत्याशी उपेंद्र रावत यूपी असेंबली चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार तनुज पुनिया को शिकस्त दे चुके हैं. वहीं गठबंधन उम्मीदवार राम सागर रावत काफी अनुभवी नेता हैं.

पहली बार सपा-बसपा का गठबंधन हुआ है. ऐसे में यह गठबंधन किसी भी राजनीतिक समीकरण को धराशाई कर सकता है. इसलिए बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित भी इस बार के चुनाव में थोड़ा संभल कर अपनी बात रख रहे हैं. यही हालत बाराबंकी जिले में भी है. इस बार के चुनाव में बड़े-बड़े उलटफेर होते हुए दिखाई दे सकते हैं.


Intro:बाराबंकी ,27 मार्च । पहली बार उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने गठबंधन किया है. इसको लेकर बाराबंकी जिले में भी चर्चाएं तेज हैं. लोग इस बार के चुनाव में गठबंधन , कांग्रेस और भाजपा को लेकर असमंजस की स्थिति में है. इस बात का मिलाजुला असर है कि चुनाव में किसे जीत का स्वाद चखने को मिलेगा. कुछ लोग गठबंधन के असर को अस्वीकार कर रहे हैं ,तो कुछ लोग इसे असरदार मान रहे हैं. वहीं कुछ का कहना है कि सपा-बसपा गठबंधन में यदि कांग्रेस जुड़ती तब इसका असर ज्यादा सही पड़ता.


Body:बाराबंकी जिले में इस बार का चुनावी माहौल ऐसा हो गया है कि कोई कुछ भी सटीक अनुमान लगाने की स्थिति में नहीं है. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के बाद परिस्थितियां बदल गई है. जब हमने लोगों से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि गठबंधन का असर नहीं पड़ेगा. वहीं कुछ का कहना है कि मौजूदा सरकार की नीतियो से सेक्यूलर वोटर गठबंधन के पक्ष में जाता हुआ दिखाई देगा. तो वही कुछ लोगों का मानना है कि यदि सपा बसपा के गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल होती तो चुनाव में इसका ज्यादा लाभ मिलता जो अब कांग्रेस के अलग चुनाव लड़ने से थोड़ा कठिन दिखाई दे रहा है. बाराबंकी में जनसंख्या के लिहाज से मुस्लिम वोटर्स की संख्या ज्यादा है. सपा और बसपा गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में राम सागर रावत समाजवादी पार्टी के कोटे से चुनाव लड़ रहे हैं. तो वहीं भाजपा की ओर से वर्तमान में जैदपुर से विधायक उपेंद्र रावत को सीटिंग भाजपा सांसद का टिकट काटकर चुनाव मैदान में उतारा गया है. कांग्रेस की ओर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया चुनाव मैदान में है. भाजपा के विधायक और लोकसभा प्रत्याशी उपेंद्र रावत यूपी असेंबली चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार तनुज पुनिया को शिकस्त दे चुके हैं. वही राम सागर रावत काफी अनुभवी नेता है और बाराबंकी की जनता ने उन्हें चार बार देश की सबसे पंचायत में चुनकर भेजा है. बाराबंकी जिले में इस बार के चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है और यह बात जनता से बात करने पर भी पता चलती है.


Conclusion:हर बार की तरह इस बार भी लोकसभा चुनाव गर्मियों में पड़े हैं, लेकिन इस बार चुनावी माहौल और चुनाव की ऊर्जा थोड़ी बढ़ गई है. क्योंकि पहली बार सपा और बसपा का गठबंधन हुआ है, ऐसे में यह गठबंधन किसी भी राजनीतिक समीकरण को धराशाई कर सकता है. इसलिए बड़े बड़े राजनीतिक पंडित भी इस बार के चुनाव में थोड़ा संभल कर अपनी बात रख रहे हैं .यही हालत कमोबेश बाराबंकी जिले में भी है, यहां पर भी कोई नेता सटीक अनुमान लगा पाने में सक्षम नहीं हो पा रहा है. जनता से बात करने पर भी यही स्थिति पता चलती है, कि इस बार के चुनाव में बड़े बड़े उलटफेर होते हुए दिख सकते हैं. मौजूदा स्थिति में अभी कुछ विशेष नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना तो तय है कि इस बार लोकतंत्र का यह महापर्व दिलचस्प होने वाला है.




बाइट

1- नंदकिशोर दीक्षित ( कंप्यूटर शिक्षक , छाया चौराहा बाराबंकी )

2- देव कुमार गुप्ता ,(वरिष्ठ नागरिक एवं बिजनेसमैन , नगर पालिका .बाराबंकी )

3- रिजवान महमूद किदवई ,( वरिष्ठ नागरिक बाराबंकी)

4- चौधरी अमीरुद्दीन उस्मानी ,( नागरिक एवं कांग्रेस पार्टी समर्थक )



report - Alok Kumar Shukla ,reporter ,Barabanki 9 6 2 8 4 7 6 9 0 7
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