बाराबंकी: जिले में रामनगर तहसील के नारायनापुर गांव में आज भी लोग घास-फूस की झोपड़ी में रहने को लोग मजबूर हैं. चुनाव के समय नेताओं ने वादे तो बड़े-बड़े किए, लेकिन गांव वालों को मिला कुछ भी नहीं. लोकसभा चुनाव के दौरान इस गांव में आए नेताओं ने कहा था कि, उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया जाएगा, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. महादेवा धाम से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव घाघरा नदी के तलहटी इलाके में आता है. इस गांव में बिजली के खंभे तो लगे हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों के घरों में कनेक्शन नहीं है. गरीबों को शौचालय का लाभ नहीं मिला है तो वहीं उज्जवला कनेक्शन के तहत गैस सिलेंडर तो मिला है, लेकिन खाली हो जाने के बाद लोग उसे भरवा नहीं पाते.
छप्पर में रहने को मजबूर लोग
घाघरा नदी के तलहटी इलाके के नारायनापुर गांव में आज भी आपको घास-फूस के छप्पर में रहते हुए लोग दिख जाएंगे. 2019 के लोकसभा चुनाव में इन्हें आवास योजना का लाभ देने की भी बात कही गई थी, लेकिन अभी तक तमाम ऐसे घर हैं, जहां शौचालय तक उपलब्ध नहीं है. आवास योजना की तो क्या बात करें. इस गांव में बिजली लोकसभा चुनाव से पहले पहुंच गई थी, खंभे भी लग गए थे, लेकिन ज्यादातर घर विद्युत कनेक्शन से अछूते रह गए.
गांव के ही एक परिवार से 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ईटीवी भारत ने बातचीत की थी. जब ईटीवी भारत दोबारा उस गांव में वापस गया और उनसे बातचीत की तो पता चला कि आज भी वह परिवार तमाम सुविधाओं से अछूता है. उज्जवला कनेक्शन के तहत इस परिवार को गैस सिलेंडर मिला था, जिसे वह दोबारा रिफिल करवाने में सक्षम नहीं हो सके और घास-फूस के छप्पर में किसी तरीके से जीवन यापन कर रहे हैं.