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बाराबंकी: एक ऐसा दुर्गा पंडाल जो कराता है वैष्णो देवी के दर्शन की अनुभूति

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में एक ऐसा दुर्गा पंडाल लगाया गया है, जहां वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन करने जैसी अनुभूति होती है. इस दुर्गा पंडाल में भगवान अमरनाथ के भी दर्शन कराए जाते हैं और प्रतिदिन बर्फ से शिवलिंग का निर्माण किया जाता है.

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Published : Oct 8, 2019, 9:07 AM IST

संवाददाता आलोक कुमार शुक्ला.

बाराबंकी: जिले में एक अनोखा दुर्गा पंडाल पिछले 15 सालों से लगाया जा रहा है. आवास विकास कॉलोनी के बड़े पार्क में दुर्गा पंडाल हर साल लगाया जाता है. इस पंडाल में इस बात का ख्याल रखा जाता है कि भक्तों को ठीक उसी प्रकार की अनुभूति हो जैसा कि वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन करने पर होती है.

इस दुर्गा पंडाल में जो ज्योति जलती है वह ज्वाला देवी मंदिर से जागृत कर 7 दिनों की यात्रा के बाद यहां लाई जाती है. नवरात्रि के उपरांत मूर्ति विसर्जन के साथ घाघरा में विसर्जित कर दी जाती है. इस दुर्गा पंडाल में भगवान अमरनाथ के भी दर्शन कराए जाते हैं और प्रतिदिन बर्फ से शिवलिंग का निर्माण किया जाता है.

एक ऐसा दुर्गा पंडाल जो वैष्णो देवी के दर्शन की अनुभूति कराता है.

लखनऊ के कारीगरों ने तैयार किया पंडाल
यह पूरा आयोजन आशुतोष वर्मा का देख-रेख में होता है. ईटीवी भारत ने जब आशुतोष वर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि 15 वर्षों से यह आयोजन होता चला आ रहा है. लोगों के सहयोग से दिन-प्रतिदिन माता रानी का आशीर्वाद मिल रहा है. अमरनाथ जी के शिवलिंग के आकार की छाया, माता ज्वाला देवी की ज्योत, वैष्णो देवी एवं भैरव भैया की विशेष प्रतिमाएं लोगों के लिए आकर्षण और श्रद्धा का केंद्र हैं.

आशुतोष वर्मा ने बताया कि इस दुर्गा पंडाल को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग 9 दिन तक दर्शन करते हैं. नवमी के दिन विशेष भीड़ रही. वास्तव में यह दुर्गा पंडाल अपने आप में अनोखा और अद्वितीय है. इस खास दुर्गा पंडाल में जाने के लिए हमने भी अपने सैनिकों को जम्मू-कश्मीर-लद्दाख परिक्षेत्र में सलामी देने के लिए उसी तरीके का वस्त्र धारण किया.

बाराबंकी: जिले में एक अनोखा दुर्गा पंडाल पिछले 15 सालों से लगाया जा रहा है. आवास विकास कॉलोनी के बड़े पार्क में दुर्गा पंडाल हर साल लगाया जाता है. इस पंडाल में इस बात का ख्याल रखा जाता है कि भक्तों को ठीक उसी प्रकार की अनुभूति हो जैसा कि वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन करने पर होती है.

इस दुर्गा पंडाल में जो ज्योति जलती है वह ज्वाला देवी मंदिर से जागृत कर 7 दिनों की यात्रा के बाद यहां लाई जाती है. नवरात्रि के उपरांत मूर्ति विसर्जन के साथ घाघरा में विसर्जित कर दी जाती है. इस दुर्गा पंडाल में भगवान अमरनाथ के भी दर्शन कराए जाते हैं और प्रतिदिन बर्फ से शिवलिंग का निर्माण किया जाता है.

एक ऐसा दुर्गा पंडाल जो वैष्णो देवी के दर्शन की अनुभूति कराता है.

लखनऊ के कारीगरों ने तैयार किया पंडाल
यह पूरा आयोजन आशुतोष वर्मा का देख-रेख में होता है. ईटीवी भारत ने जब आशुतोष वर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि 15 वर्षों से यह आयोजन होता चला आ रहा है. लोगों के सहयोग से दिन-प्रतिदिन माता रानी का आशीर्वाद मिल रहा है. अमरनाथ जी के शिवलिंग के आकार की छाया, माता ज्वाला देवी की ज्योत, वैष्णो देवी एवं भैरव भैया की विशेष प्रतिमाएं लोगों के लिए आकर्षण और श्रद्धा का केंद्र हैं.

आशुतोष वर्मा ने बताया कि इस दुर्गा पंडाल को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग 9 दिन तक दर्शन करते हैं. नवमी के दिन विशेष भीड़ रही. वास्तव में यह दुर्गा पंडाल अपने आप में अनोखा और अद्वितीय है. इस खास दुर्गा पंडाल में जाने के लिए हमने भी अपने सैनिकों को जम्मू-कश्मीर-लद्दाख परिक्षेत्र में सलामी देने के लिए उसी तरीके का वस्त्र धारण किया.

Intro: बाराबंकी, 07 अक्टूबर। एक ऐसा दुर्गा पंडाल जो पूरे उत्तर प्रदेश में है अनोखा. यह दर्शन करने के लिए आसपास के जिलों से भी आते हैं लोग. माता वैष्णो देवी और भगवान अमरनाथ के यहां होते हैं दिव्य दर्शन. भक्तों को होती है हुबहू वैसे ही अनुभूति जैसे कि वैष्णो देवी मंदिर में होती है. माता वैष्णो के दर्शन के बाद भैरव भैया के भी दर्शन यहां बिल्कुल वैसे ही कराया जाता है. प्रतिदिन बनाया जाता है बर्फ से अमरनाथ शिवलिंग. शिवलिंग का दर्शन करते वक्त बिल्कुल ठंडा महसूस हो इसका भी रहता है पूरा प्रबंध. ज्वाला देवी मंदिर से 7 दिनों की यात्रा करके प्रज्वलित ज्योत यह लाई जाती है. पिछले 15 साल से लगातार लोगों की श्रद्धा और भक्ति का बना हुआ है केंद्र. हम आपको इसके करा रहे हैं पूरे दर्शन.


Body:बाराबंकी जिले में यह अनोखा दुर्गा पांडाल पिछले 15 सालों से लगाया जा रहा है. जिले के आवास विकास कॉलोनी के बड़े पार्क में इसका आयोजन हर साल किया जाता है. जिसमें इस बात का ख्याल रखा जाता है कि, भक्तों को ठीक उसी प्रकार की अनुभूति हो जैसा कि वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन करने पर होती है.
खास बात यह है कि इस दुर्गा पंडाल में जो ज्योति जलती है वह ज्वाला देवी मंदिर से जागृत करके, 7 दिनों की यात्रा के बाद यहां लाई जाती है ,और नवरात्रि के उपरांत मूर्ति विसर्जन के साथ घाघरा में विसर्जित कर दी जाती है.
यहां आने वाले श्रद्धालुओं से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि , उन्हें बिल्कुल वैसा ही अनुभव होता है जैसा वैष्णो माता के मंदिर में जाने पर होता है.
भगवान अमरनाथ के भी दर्शन यहां पर कराए जाते हैं , और प्रतिदिन बर्फ से शिवलिंग का निर्माण किया जाता है, और ठीक उसी प्रकार का माहौल और परिवेश प्रदान किया जाता है. जिससे भक्तों को लगे कि वह बर्फीली वादियों में है. ,और उसी प्रकार के ठंड का अनुभव भी लोग थोड़ी देर के लिए करते हैं.
यह सारा कुछ लखनऊ के कारीगरों द्वारा तैयार किया जाता है.

पूरे आयोजन का जिनकी देखरेख में होता है ऐसे आशुतोष वर्मा जी से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि, 15 वर्षों से यह चला आ रहा है, और लोगों के सहयोग से दिन-प्रतिदिन माता रानी का आशीर्वाद मिल रहा है. अमरनाथ जी के शिवलिंग की आकार की छाया , माता ज्वाला देवी की ज्योत , वैष्णो देवी एवं भैरव भैया की विशेष प्रतिमाएं लोगों के लिए आकर्षण और श्रद्धा का केंद्र है.


Conclusion:इस दुर्गा पंडाल को देखने के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग 9 दिन तक दर्शन करते रहे ,और नवमी के दिन विशेष भीड़ रही. वास्तव में यह दुर्गा पांडाल अपने आप में अनोखा और अद्वितीय है. इस खास दुर्गा पंडाल में जाने के लिए हमने भी अपने सैनिकों को जम्मू-कश्मीर-लद्दाख परिक्षेत्र में सलामी देने के लिए उसी तरीके का वस्त्र धारण किया. जिससे कि हम भी उसी तरह की अनुभूति प्राप्त कर सकें , जैसा कि हमारे सैनिक जम्मू में , कश्मीर में ,और लद्दाख में रहकर करते हैं.




bite -

1- आशुतोष वर्मा, अध्यक्ष ,दुर्गा पंडाल ,आवास विकास कॉलोनी बाराबंकी.



रिपोर्ट-  आलोक कुमार शुक्ला , रिपोर्टर बाराबंकी, 96284 76907..




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