गोंडा : जिले में नगर कोतवाली थाना क्षेत्र के दुआ बाजार की रहने वाली जिस विवाहिता की हत्या के मामले में पुलिस ने उसके पति सहित ससुराल के अन्य लोगों पर एफआईआर दर्ज की थी, वह 3 साल बाद लखनऊ से जिंदा बरामद हुई है. बताते चलें कि हाईकोर्ट में तलब होने के बाद एक्शन में आई जिले की नगर कोतवाली पुलिस व एसओजी टीम ने महिला को लखनऊ के डालीगंज से बरामद कर लिया है. उसे पुलिस गोंडा लाई है और वन स्टाफ सेंटर के हवाले कर दिया है. पुलिस के मुताबिक महिला प्रेम संबंध में घर छोड़कर चली गई थी.
क्या है पूरा मामला : नगर कोतवाली क्षेत्र के दुआ बाजार की रहने वाले विनय कुमार की शादी 17 दिसंबर 2017 में नवाबगंज थाना क्षेत्र के सेमरा शेखपुरा की 24 वर्षी कविता से हुई थी. शादी के 4 साल तक दोनों के बीच में सब कुछ ठीक रहा, लेकिन 5 मई 2021 को कविता अचानक लापता हो गई. जिसके बाद पति विनय कुमार ने कविता के गायब होने की सूचना मायकेवालों को दी. मायके वालों ने 26 में 2021 को कविता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. इसके बाद मायके पक्ष ने कविता की हत्या का आरोप लगाते हुए उसके पति विनय कुमार, देवर निरंजन, रतन और नंद और सास पर दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया. इसके बाद पति विनय कुमार ने भी कविता के भाई अखिलेश बहादुर, रिश्तेदार धर्मेंद्र उर्फ साहिल, अरविंद कुमार, अर्जुन कुमार, मीना देवी और गुड़िया के खिलाफ पत्नी का अपहरण कर बंधक बनाए जाने की रिपोर्ट दर्ज करा दी.
हाईकोर्ट ने पुलिस को तलब किया: नगर कोतवाली पुलिस और महिला थाने की पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही थी लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. इसके बाद दोनों पक्षों के लोगों ने हाईकोर्ट में अलग-अलग अपील दाखिल की, इस मामले की सुनवाई को लेकर हाईकोर्ट ने गोंडा नगर पुलिस को तलब किया था. हाईकोर्ट में मामला जाने के बाद पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने बताया कि एसओजी और नगर कोतवाली पुलिस को कविता की बरामदगी कर घटना का खुलासा का निर्देश दिया गया था. जिसके बाद पुलिस ने 3 साल से लापता कविता को डालीगंज, लखनऊ से बरामद कर लिया है. कविता प्रेम संबंध में घर छोड़कर चली गई थी.
प्रेमी के साथ रह रही थी कविता : पुलिस के मुताबिक लखनऊ के डालीगंज में जिस मकान में कविता बरामद हुई है, वह सत्यनारायण गुप्ता का है. सत्यनारायण गुप्ता कविता के मायके सेमरा शेखपुरा गांव के बगल दुर्जनपुर घाट का रहने वाला है. वह लखनऊ के डालीगंज में मकान बनाकर रहता है. ससुराल से निकलकर कविता सत्यनारायण के पास ही गई थी. वह 3 साल से सत्यनारायण के साथ रह रही थी. इस दौरान उसने ना तो अपने ससुराली जनों से संपर्क किया न ही मायके वालों से कोई बातचीत की थी.
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