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बलरामपुर: राप्ती नदी में कटान जारी, ग्रामीणों की बढ़ी मुश्किलें - balrampur rapti river harvesting

बलरामपुर जिले में राप्ती नदी में हो रहे कटान के कारण लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. राप्ती नदी के कटान के कारण लोगों के घर, जमीन और उनकी फसलें छिन रही है. नदी के कटान को रोकने के लिए प्रशासन की तरफ से किया जा रहा प्रयास सफल नहीं हो पा रहा है. ऐसे में ग्रामीण प्रशासन के प्रयासों से नाखुश नजर आ रहे हैं.

राप्ती नदी में कटान
राप्ती नदी में कटान.
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Published : Aug 7, 2020, 9:57 AM IST

बलरामपुर: जिले में राप्ती नदी और उससे जुड़े पहाड़ी नालों का कहर लगातार जारी है. जिले में बाढ़ की स्थिति तो नहीं है, लेकिन पहाड़ी नालों व राप्ती में आने वाली लगातार बाढ़ ग्रामीणों को परेशान कर रही है. वहीं, जिले के कुछ इलाके ऐसे हैं, जो राप्ती नदी से बड़े पैमाने पर प्रभावित नजर आ रहे हैं. जहां पर राप्ती नदी न केवल कटान कर रही है, बल्कि लोगों से उनका घर, जमीन और उनकी फसलें छीन रही है.

राप्ती नदी में कटान.
36 गांव में नदी का कटान जारीजिले के दो तहसील बलरामपुर व उतरौला राप्ती नदी के कटान के कहर से प्रभावित नजर आ रहे हैं. जिले के करीब 36 गांवों में राप्ती नदी का कटान जारी है. नदी के कटान को रोकने के लिए प्रशासन की तरफ से किया जा रहा प्रयास जमीन पर सफल नहीं हो पा रहा है, जिससे ग्रामीण प्रशासन के प्रयासों से नाखुश नजर आ रहे हैं. सदर तहसील के कल्याणपुर गांव का प्राथमिक स्कूल राप्ती नदी की धारा में समाहित हो गया है. बाढ़ खंड के अधिकारियों की तरफ से स्कूल को बचाने के लिए बालू की बोरियां व अन्य सामग्रियों को नदी में डालकर कटान रोकने का प्रयास तो किया गया, लेकिन इसका कोई प्रभाव पड़ता नजर नहीं आ रहा है.नाव की सुविधा सुनिश्चित की गईकटान से प्रभावित गांवों की अगर बात की जाए तो सदर तहसील के ग्राम कठौवा, कोडरी, काशीपुर, बेल्हा, दतरंगवा, तुरकौलिया, रेहार, कटरा शंकरनगर, दुल्हापुर, बल्लीपुर, लालपुर, फगुइया व भीखपुर में बड़े पैमाने पर कटान हो रहा है. इन जगहों पर नावों की उपलब्धता प्रशासन की ओर से सुनिश्चित करवा दी गई है. बाढ़ प्रभावित गांवों में राजस्व निरीक्षकों व हल्का लेखपालों को आकलन करने का निर्देश दिया गया है, ताकि आख्या प्राप्त होने पर प्रभावित लोगों को नियमानुसार सहायता जल्द से जल्द उपलब्ध करवाई जा सके.इसके साथ जिले के उतरौला तहसील में स्थित भड़रिया तटबंध पर बंबू क्रेट व नायलॉन क्रेट में मिट्टी भरी बोरियां रखकर कटान को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है. सुरैयादेवर व लालनगर के करीब 300 घरों को बचाने की जद्दोजहद प्रशासन की ओर से शुरू कर दी गई है. बेल्हा चरंगहिया पर मरम्मत कार्य कराकर लालाजोत गांव को कटान से सुरक्षा प्रदान करने की कोशिश की जा रही है.वहीं, अगर अन्य कटान प्रभावित गांवों की बात करें तो ग्राम महरी में राप्ती लगातार कटान कर रही है. यहां पर भी नियंत्रण के लिए कार्य शुरू कर दिया गया है. ग्रामसभा परसोना, इमलिया खादर तटबंध, भोजपुर, शाहपुर तटबंध पर भी हो रहे कटान को अधिकारी लगातार नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में आने का नाम नहीं ले रही है.

ग्रामीणों ने जताई नाराजगी

ग्रामीणों का कहना है कि हमारे गांव में सुध लेने के लिए कोई नहीं पहुंच रहा है. जो भी बाढ़ नियंत्रण के लिए कार्य करवाए जा रहे हैं वह कतई हमें सहायता नहीं प्रदान कर पा रहे हैं. वहीं, अगर अधिकारियों के निरीक्षण की बात की जाए तो कोई भी अधिकारी हमारी सुध लेने तक के लिए हमारे गांव तक नहीं पहुंच सका है. कटान के कारण फसलें, घर व खेत हम सब कुछ खो रहे हैं.

क्या कहते हैं जिलाधिकारी
जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश कहते हैं कि कटान रोकने के लिए तमाम तरह के प्रयास लगातार जारी हैं. कटान वाले स्थलों पर जिओ ट्यूब, बंबू सपोर्ट, जियो बैग, बालू व मिट्टी की बोरियां इत्यादि डलवा कर कटान रोकने का प्रयास किया जा रहा है. ग्रामीणों की सुविधा के लिए डिप व बाढ़ वाले स्थलों पर नावों की उपलब्धता सुनिश्चित करवा दी गई है. जिससे किसी भी ग्रामीण को बाढ़ के कारण मुख्यालय से कट जाने वाली समस्या का सामना न करना पड़े.

बलरामपुर: जिले में राप्ती नदी और उससे जुड़े पहाड़ी नालों का कहर लगातार जारी है. जिले में बाढ़ की स्थिति तो नहीं है, लेकिन पहाड़ी नालों व राप्ती में आने वाली लगातार बाढ़ ग्रामीणों को परेशान कर रही है. वहीं, जिले के कुछ इलाके ऐसे हैं, जो राप्ती नदी से बड़े पैमाने पर प्रभावित नजर आ रहे हैं. जहां पर राप्ती नदी न केवल कटान कर रही है, बल्कि लोगों से उनका घर, जमीन और उनकी फसलें छीन रही है.

राप्ती नदी में कटान.
36 गांव में नदी का कटान जारीजिले के दो तहसील बलरामपुर व उतरौला राप्ती नदी के कटान के कहर से प्रभावित नजर आ रहे हैं. जिले के करीब 36 गांवों में राप्ती नदी का कटान जारी है. नदी के कटान को रोकने के लिए प्रशासन की तरफ से किया जा रहा प्रयास जमीन पर सफल नहीं हो पा रहा है, जिससे ग्रामीण प्रशासन के प्रयासों से नाखुश नजर आ रहे हैं. सदर तहसील के कल्याणपुर गांव का प्राथमिक स्कूल राप्ती नदी की धारा में समाहित हो गया है. बाढ़ खंड के अधिकारियों की तरफ से स्कूल को बचाने के लिए बालू की बोरियां व अन्य सामग्रियों को नदी में डालकर कटान रोकने का प्रयास तो किया गया, लेकिन इसका कोई प्रभाव पड़ता नजर नहीं आ रहा है.नाव की सुविधा सुनिश्चित की गईकटान से प्रभावित गांवों की अगर बात की जाए तो सदर तहसील के ग्राम कठौवा, कोडरी, काशीपुर, बेल्हा, दतरंगवा, तुरकौलिया, रेहार, कटरा शंकरनगर, दुल्हापुर, बल्लीपुर, लालपुर, फगुइया व भीखपुर में बड़े पैमाने पर कटान हो रहा है. इन जगहों पर नावों की उपलब्धता प्रशासन की ओर से सुनिश्चित करवा दी गई है. बाढ़ प्रभावित गांवों में राजस्व निरीक्षकों व हल्का लेखपालों को आकलन करने का निर्देश दिया गया है, ताकि आख्या प्राप्त होने पर प्रभावित लोगों को नियमानुसार सहायता जल्द से जल्द उपलब्ध करवाई जा सके.इसके साथ जिले के उतरौला तहसील में स्थित भड़रिया तटबंध पर बंबू क्रेट व नायलॉन क्रेट में मिट्टी भरी बोरियां रखकर कटान को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है. सुरैयादेवर व लालनगर के करीब 300 घरों को बचाने की जद्दोजहद प्रशासन की ओर से शुरू कर दी गई है. बेल्हा चरंगहिया पर मरम्मत कार्य कराकर लालाजोत गांव को कटान से सुरक्षा प्रदान करने की कोशिश की जा रही है.वहीं, अगर अन्य कटान प्रभावित गांवों की बात करें तो ग्राम महरी में राप्ती लगातार कटान कर रही है. यहां पर भी नियंत्रण के लिए कार्य शुरू कर दिया गया है. ग्रामसभा परसोना, इमलिया खादर तटबंध, भोजपुर, शाहपुर तटबंध पर भी हो रहे कटान को अधिकारी लगातार नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में आने का नाम नहीं ले रही है.

ग्रामीणों ने जताई नाराजगी

ग्रामीणों का कहना है कि हमारे गांव में सुध लेने के लिए कोई नहीं पहुंच रहा है. जो भी बाढ़ नियंत्रण के लिए कार्य करवाए जा रहे हैं वह कतई हमें सहायता नहीं प्रदान कर पा रहे हैं. वहीं, अगर अधिकारियों के निरीक्षण की बात की जाए तो कोई भी अधिकारी हमारी सुध लेने तक के लिए हमारे गांव तक नहीं पहुंच सका है. कटान के कारण फसलें, घर व खेत हम सब कुछ खो रहे हैं.

क्या कहते हैं जिलाधिकारी
जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश कहते हैं कि कटान रोकने के लिए तमाम तरह के प्रयास लगातार जारी हैं. कटान वाले स्थलों पर जिओ ट्यूब, बंबू सपोर्ट, जियो बैग, बालू व मिट्टी की बोरियां इत्यादि डलवा कर कटान रोकने का प्रयास किया जा रहा है. ग्रामीणों की सुविधा के लिए डिप व बाढ़ वाले स्थलों पर नावों की उपलब्धता सुनिश्चित करवा दी गई है. जिससे किसी भी ग्रामीण को बाढ़ के कारण मुख्यालय से कट जाने वाली समस्या का सामना न करना पड़े.

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