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बलरामपुर: सरकारी बजट स्वाहा, सड़कों-खेतों से नहीं हट रहे गोवंश - सड़कों और खेतों से नहीं हट रहे गोवंश

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में गोवंशों से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं सरकार की तरफ से गोवंशों के लिए बनाई गईं गोशालाएं नाकाफी हो रही हैं.

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गोवंशो के लिए सरकारी बजट स्वाहा.
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Published : Jan 29, 2020, 11:21 AM IST

बलरामपुर: एक तरफ किसान अपनी फसल बचाने के लिए कई तरह की तरकीबें लगा रहे हैं, तो वहीं गोवंश किसानों की फसलें बर्बाद कर रहे हैं. कहीं न कहीं किसान गोवंशों से खासा परेशान हैं. नाराजगी का आलम यह है कि अब किसान सरकार द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट को भी नकार रही है.

गोवंशो के लिए सरकारी बजट स्वाहा.

शायद किसानों की इसी नाराजगी को दूर करने के लिए योगी सरकार ने न्याय पंचायत और नगर निकाय स्तर पर पशु आश्रय स्थल और गोशालाओं का निर्माण करवाया था, लेकिन पशु आश्रय स्थलों और गोशालाओं में न तो गोवंश टिक रहे हैं और न ही गोशालाओं का सही तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है. लाखों की लागत से बने ये प्रोजेक्ट सरकारी योजनाओं पर पलीता लगा रहे हैं.

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

गोवंशों के लिए योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार जिले में अब तक 6 करोड़ से ज़्यादा का बजट पास कर चुकी है. इनमें से ज्यादातर बजट महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार योजना के अंतर्गत बनाए गए हैं. अगर जिला पशु विभाग के आंकड़ों को देखा जाए, तो गोशाला में अभी 1810 गोवंश पाले जा रहे हैं.

ग्रामीणों का दर्द

ग्रामीणों ने बताया कि आवारा पशु द्वारा तमाम तरह का नुकसान हो रहा है. फसलों को बचाने के लिए सरकार की तरफ से की जा रही सारी कवायत फेल नजर आ रही है. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि सरकार द्वारा लागू की गई पशुओं को संरक्षित करने की योजना जमीनी स्तर पर पूरी तरह से फेल है.

इसे भी पढ़ें- बलरामपुर: सड़क हादसे में हुई थी पति की मौत, अब रोजी-रोटी को मोहताज हुआ परिवार

तकरीबन 1800 गोवंशों को पशु आश्रय स्थलों और अन्य जगहों पर संरक्षित किया जा रहा है. कई और जगहों पर पशु आश्रय स्थल निर्मित करवाए जा रहे हैं. जल्द ही किसानों और राहगीरों को इस समस्या से राहत मिलेगी.
कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी, बलरामपुर

बलरामपुर: एक तरफ किसान अपनी फसल बचाने के लिए कई तरह की तरकीबें लगा रहे हैं, तो वहीं गोवंश किसानों की फसलें बर्बाद कर रहे हैं. कहीं न कहीं किसान गोवंशों से खासा परेशान हैं. नाराजगी का आलम यह है कि अब किसान सरकार द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट को भी नकार रही है.

गोवंशो के लिए सरकारी बजट स्वाहा.

शायद किसानों की इसी नाराजगी को दूर करने के लिए योगी सरकार ने न्याय पंचायत और नगर निकाय स्तर पर पशु आश्रय स्थल और गोशालाओं का निर्माण करवाया था, लेकिन पशु आश्रय स्थलों और गोशालाओं में न तो गोवंश टिक रहे हैं और न ही गोशालाओं का सही तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है. लाखों की लागत से बने ये प्रोजेक्ट सरकारी योजनाओं पर पलीता लगा रहे हैं.

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

गोवंशों के लिए योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार जिले में अब तक 6 करोड़ से ज़्यादा का बजट पास कर चुकी है. इनमें से ज्यादातर बजट महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार योजना के अंतर्गत बनाए गए हैं. अगर जिला पशु विभाग के आंकड़ों को देखा जाए, तो गोशाला में अभी 1810 गोवंश पाले जा रहे हैं.

ग्रामीणों का दर्द

ग्रामीणों ने बताया कि आवारा पशु द्वारा तमाम तरह का नुकसान हो रहा है. फसलों को बचाने के लिए सरकार की तरफ से की जा रही सारी कवायत फेल नजर आ रही है. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि सरकार द्वारा लागू की गई पशुओं को संरक्षित करने की योजना जमीनी स्तर पर पूरी तरह से फेल है.

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तकरीबन 1800 गोवंशों को पशु आश्रय स्थलों और अन्य जगहों पर संरक्षित किया जा रहा है. कई और जगहों पर पशु आश्रय स्थल निर्मित करवाए जा रहे हैं. जल्द ही किसानों और राहगीरों को इस समस्या से राहत मिलेगी.
कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी, बलरामपुर

Intro:(डेस्क के साथियों से विशेष अनुरोध है कि पैकेज पब्लिश करने से पहले एक बार कृपया पूरे वीडियो को एक कलर स्कीम में ले आएं। क्योंकि शूट करते समय लाइट इधर उधर होती है और इसी कलर स्कीम के साथ जब पैकेज पब्लिश कर दिया जाता है तो कितना भी अच्छा काम हो, क्वालिटी अच्छी नहीं लगती। आपका, योगेंद्र)

एक तरफ जहां किसान अपनी फसल को बचाने के लिए जगराता कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ, गोवंशों के कारण राहगीर और वाहन चालक दुर्घटनाओं की भेंट चढ़ रहे हैं। छुट्टा जानवरों के कारण हर तबका कहीं न कहीं परेशान नज़र आता है। सभी की परेशानी इस हद तक है कि लोग अब सरकार से इस मुद्दे पर नाराज़ दिख रहे हैं।
योगी सरकार ने शायद इसी नाराज़गी को दूर करने के लिए न्याय पंचायत और नगर निकाय स्तर पर पशु आश्रय स्थल व गोशालाओं का निर्माण करवाया था। लेकिन इस योजना में भ्रष्टाचार और उदासीनता सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ के सपनों पर पानी फेर रहा है। पशु आश्रय स्थलों और गोशालाओं में ना तो गोवंश टिक रहे हैं। ना ही उनका निर्माण इस तरह से करवाया गया कि वहां पर गोवंश सुविधाजनक स्थिति में रह सके। लाखों की लागत से बने ये केंद्र हजारों के लागत स्तर के भी नज़र नहीं आते। ऊपर से पशुओं को यहां रखने के नाम पर आने वाली धनराशि का भी बंदरबाट कर लिया जाता है।


क्या कहते हैं आंकड़े...

निराश्रित और सड़कों-खेतों पर आतंक का पर्याय बन चुके गोवंशों को आश्रय देने के लिए प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार ने जिले में अब तक 6 करोड़ से ज़्यादा का बजट खर्च कर चुकी है। जिनमें से ज़्यादातर बजट महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार योजना के अंतर्गत पक्के तौर ओर गांवों में बनाए गए पशु आश्रय स्थलों पर किया गया है। अब तक 45 पशु आश्रय स्थलों के निर्माण जिले में किया जा चुका है। जबकि 2 पर निर्माण कार्य जारी है। वहीं, जिले के सभी 101 न्याय पंचायतों में इसी तरह के पशु आश्रय स्थलों का निर्माण किया जाना है।

वहीं, नगरीय क्षेत्रों के लोगों को इस समस्या से निज़ात दिलाने के लिए हर नगरीय क्षेत्र के आसपास एक कान्हा गौशाला का निर्माण किया जाना है। जिनमें से दो पर निर्माण कार्य चल रहा है। इन सभी के निर्माण कार्य पर अब तक 101.08 लाख रुपए व्यय हो चुका है। जबकि दो के लिए जमीन चिन्हित किया जा चुका है। वहीं, तुलसीपुर के परसपुर करौदा में 1.10 करोड़ के लागत से 300 गोवंशों की क्षमता वाला एक वृहद गो संवर्धन केंद्र बनाया जा चुका है। जहां पर 50 गायों को कागज में तो कम से कम पाला ही जा रहा है।
अगर जिला पशु विभाग के आंकड़ों को देखा जाए तो अभी तक कुल 1810 गोवंश सभी जगहों पर पाले जा रहे हैं। जिनमें, कांजी हाउस में 290, 44 अस्थाई पशु आश्रय स्थलों पर 1320, वृहद गो संरक्षण केंद्रों पर कुल 200, गोवंश संरक्षित हैं। जिन पर 72.50 लाख रुपए दिसंबर माह तक खर्च किया जा चुका है। वहीं, जिला पशु विभाग के पास ये आंकड़े नहीं है कि कितने निराश्रित गोवंश सड़कों या खेतों में टहल रहे हैं। इसके साथ पशु चिकित्सा अभी तक जिले के सभी निराश्रित गोवंशों की गिनती करने में भी असफल रहा है।


Body:क्या कहता है जमीनी सत्यापन :-

जब पशु आश्रय स्थलों और कान्हा गोशाला की जमीनी हकीकत जानने के उतरौला ब्लॉक के तिलकी बढ़या में नगर पालिका परिषद के निर्माणाधीन और इसी गांव में 5.13 लाख रुपए के लागत से बनाए गए पशु आश्रय स्थल पर तकरीबन 40 गाय दिखाई दे दोनों जगह पर पशुओं को पालने के लिए जिस तरह की समुचित व्यवस्था व्यवस्था की जानी चाहिए थी वह बिल्कुल नहीं दिखाई दी ना ही यहां पर कोई व्यक्ति मिला जो स्थिति से अवगत करा सकें। इसी तरह श्रीदत्तगंज ब्लॉक के गायडीह में 3.54 लाख रुपए की लागत से बने पशु आश्रय स्थल पर एक भी गोवंश नहीं दिखा। यहां के खंड विकास अधिकारी ने बताया कि श्रीदत्तगंज ब्लॉक के किसी भी पशु आश्रय स्थल पर कोई भी गाय नहीं पा ली जा रही है क्योंकि इससे ऐसी जगह बनवाया ही गया है जहां पर बरसात के महीने में बाढ़ आ जाया करती है।

क्या है ग्रामीणों का दर्द :-

ग्रामीण कहते हैं कि आवारा पशुओं द्वारा तमाम तरह का नुकसान हो जाए करता है फसलों को बचाने के लिए की जा रही कवायद अक्सर फेल हो जाती है क्योंकि जब 1020 की संख्या में आवारा पशुओं का झुंड हमारे खेतों पर हमला करता है तो पूरा गांव मिलकर भी उन्हें भगा नहीं पाता
ग्रामीण आरोप लगाते हुए कहते हैं कि योगी सरकार द्वारा लागू की गई पशुओं को संरक्षित करने की योजना जमीन पर पूरी तरह से फेल है पशु आश्रय स्थल और गौशाला में ना तो गोवंश पाली जा रहे हैं बल्कि इनके नाम पर खूब पैसा लूटा जा रहा है।
ग्रामीण कहते हैं कि अपनी फसलों को बचाने के लिए हम लोग रात भर जागकर खेतों की रख़वाली करते हैं। अगर ऐसा करने में हम किसी भी रात चूक जाए तो उस फसली सीजन का पूरा मेहनत चला जाता है। और हम भूखों मरने को मजबूर हो जाते हैं।


Conclusion:क्या कहते हैं अधिकारी :-

जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश इस समस्या पर कहते हैं कि तकरीबन 1800 गोवंशों को पशु आश्रय स्थलों और अन्य जगहों पर संरक्षित किया जा रहा है। कई और जगहों पर पशु आश्रय स्थल निर्मित करवाए जा रहे हैं। जल्द ही किसानों और राहगीरों को इस समस्या से राहत मिलेगी।

अधिकारी कुछ भी कहे लेकिन योगी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक निराश्रित गोवंश ओं को संरक्षित करने की योजना खटाई में पड़ती नज़र आ रही है। इन गोवंशों के कारण ना केवल किसान और राहगीर परेशान हैं। बल्कि फसलों के नुकसान से कहीं न कहीं लोग भुखमरी के कगार पर भी पहुँच रहे हैं।

बाईट क्रमशः :-
01 :- राजमती, ग्रामीण
02 :- मोहम्मद रईस, ग्रामीण
03 :- राजकुमार, ग्रामीण
04 :- कृष्णा करुणेश, जिलाधिकारी बलरामपुर
पीटीसी :- योगेंद्र त्रिपाठी, 9839325432
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