बहराइच: जिले में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर लगने वाला बसंत पंचमी का तीन दिवसीय मेला सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है. यहां सभी धर्मों के लोग अपनी धार्मिक रीति रिवाज और परंपराओं के अनुसार श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल
जिले में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बनी हुई है. यहां बसंत पंचमी के अवसर पर लगने वाले तीन दिवसीय मेले में सांप्रदायिक सौहार्द का संगम देखने को मिलता है. यहां हजारों की तादाद में हिंदू श्रद्धालु श्रद्धा सुमन अर्पित करने आते हैं. सभी धर्म के लोगों को अपने-अपने धर्म के अनुसार पूजा अर्चना करने और कर्म कांड करने की पूरी इजाजत होती है.
सभी धर्म के अनुसार होता है कर्मकांड
यहां सभी को अपने-अपने धर्म के अनुसार कर्मकांड करने की पूरी छूट है. यहां किसी को किसी तरह की पाबंदी नहीं है. पंडालों में जहां एक और पूजा होती है. तो वहीं दूसरी ओर फातिहा पढ़ा जाता है. इस मेले में सांप्रदायिक सौहार्द का संगम देखने को मिलता है. दरगाह में त्रिशूल गाड़ कर बसंत पंचमी की पूजा की जा रही है. यहां बसंत पंचमी के मेले में प्रसाद के रूप में खिचड़ी फल और सब्जियों की डालियां चढ़ाई जाती है. यहां यह मेला 1000 से अधिक सालों से मनाया जा रहा है.
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सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर बसंत पंचमी का मेला एक हजार सालों से लग रहा है. जहां सभी धर्मों के श्रद्धालु अपनी अपनी रीति रिवाज और धार्मिक परंपराओं के अनुसार श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं. श्रद्धालु अपनी परंपराओं का निर्वहन करते हैं. इस मेले में सांप्रदायिक सौहार्द का संगम दिखाई देता है. श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो इसलिए मेले परिसर में पेयजल प्रकाश और साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था की जाती है.
-सैयद शमशाद अहमद, अध्यक्ष, दरगाह प्रबंध कमेटी