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आजमगढ़: हादसों को दावत दे रहीं शहर की जर्जर इमारतें - जर्जर इमारतों में चल रहे सरकारी कार्यालय

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में सरकारी कार्यालय के भवन खण्डहर में तब्दील हो चुके हैं. जर्जर भवन की वजह से कभी भी कोई बड़ा हदसा हो सकता है. कई बार शासन को पत्र लिखने के बाद भी इन जर्जर भवनों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

जर्जर भवन
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Published : Nov 15, 2019, 8:31 PM IST

आजमगढ़: जनपद में नगरपालिका और जिला पंचायत के कई भवन हैं, जो काफी पुराने हो चुके हैं. इन भवनों को गिराने के बजाय न्यायपालिका इसको किराए पर देकर मुनाफा कमा रही है. इन भवनों में महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालय होने के कारण अपनी जान की बाजी लगा कर कर्मचारी काम कर रहे हैं. सैकड़ों लोग इन कार्यालयों में काम के सिलसिले में आते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सभी जर्जर भवन वीआईपी इलाके में है.

जर्जर इमारतों में चल रहे सरकारी कार्यालय.

बरसात के मौसम में इन भवनों से पानी भी टपकता है तो अन्य मौसमों में कर्मचारियों पर प्लास्टर के टुकड़े गिरते हैं. जिम्मेदार ना तो इन भवनों की मरमत करवाते हैं और न ही उसे सील करते हैं. जेई द्वारा इन भवनों की रिपोर्ट जून माह से ही दी जा रही है, लेकिन अभी तक यह रिपोर्ट नहीं मिल सकी है ऐसे में कैसे मान लें कि नगरपालिका इन जर्जर भवन को सील करेगा.

जर्जर भवन पर नगरपालिका के ईओ डॉ. शम्भुनाथ का कहना है कि जेई से रिपोर्ट मांगी गई है और वह सर्वे कर रिपोर्ट उनको देंगे. नगरपालिका के जर्जर भवन और पालिका क्षेत्र में आने वाले सभी जर्जर भवनों को नोटिस जारी कर कार्रवाई की जाएगी.

इसे भी पढ़ें - बलरामपुर: भवन बन चुके जर्जर, जान जोखिम में डालकर बच्चे कर रहे पढ़ाई

वहीं जर्जर भवन में मौजूद जिला आपूर्ति कार्यालय भी इस समस्या से परेशान है और पूर्ति अधिकारी देवमणि मिश्र का कहना है कि कई बार लेटर लिखा गया है, लेकिन कोई मरम्मत का कार्य नहीं करवाया गया. वहीं भवन का किराया जो 5 हजार के आसपास है, उसे समय पर दिया जाता है.

आजमगढ़: जनपद में नगरपालिका और जिला पंचायत के कई भवन हैं, जो काफी पुराने हो चुके हैं. इन भवनों को गिराने के बजाय न्यायपालिका इसको किराए पर देकर मुनाफा कमा रही है. इन भवनों में महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालय होने के कारण अपनी जान की बाजी लगा कर कर्मचारी काम कर रहे हैं. सैकड़ों लोग इन कार्यालयों में काम के सिलसिले में आते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सभी जर्जर भवन वीआईपी इलाके में है.

जर्जर इमारतों में चल रहे सरकारी कार्यालय.

बरसात के मौसम में इन भवनों से पानी भी टपकता है तो अन्य मौसमों में कर्मचारियों पर प्लास्टर के टुकड़े गिरते हैं. जिम्मेदार ना तो इन भवनों की मरमत करवाते हैं और न ही उसे सील करते हैं. जेई द्वारा इन भवनों की रिपोर्ट जून माह से ही दी जा रही है, लेकिन अभी तक यह रिपोर्ट नहीं मिल सकी है ऐसे में कैसे मान लें कि नगरपालिका इन जर्जर भवन को सील करेगा.

जर्जर भवन पर नगरपालिका के ईओ डॉ. शम्भुनाथ का कहना है कि जेई से रिपोर्ट मांगी गई है और वह सर्वे कर रिपोर्ट उनको देंगे. नगरपालिका के जर्जर भवन और पालिका क्षेत्र में आने वाले सभी जर्जर भवनों को नोटिस जारी कर कार्रवाई की जाएगी.

इसे भी पढ़ें - बलरामपुर: भवन बन चुके जर्जर, जान जोखिम में डालकर बच्चे कर रहे पढ़ाई

वहीं जर्जर भवन में मौजूद जिला आपूर्ति कार्यालय भी इस समस्या से परेशान है और पूर्ति अधिकारी देवमणि मिश्र का कहना है कि कई बार लेटर लिखा गया है, लेकिन कोई मरम्मत का कार्य नहीं करवाया गया. वहीं भवन का किराया जो 5 हजार के आसपास है, उसे समय पर दिया जाता है.

Intro:एंकर- आज़मगढ़ में मौत का तांडव कभी भी देखने को मिल सकता है यहां कई महत्वपूर्ण कार्यालय के भवन खंडहर में तब्दील हो चुके है तो वही जिलापंचायत और नगरपालिका अपने इन टूटे भवनों से किराया वसूलने में लगे है।


Body:विवो1-आज़मगढ़ में नगरपालिका और जिलापंचायत के कई भवन है जो काफी पुराने हो चुके है इन भवनों को गिराने के बजाय इसको किराए पर देकर मुनाफा कमा रहे है तो वही दूसरी तरफ इन भवनों में महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालय होने के कारण डर के साये में अधिकारी और कर्मचारी कार्य करने को मजबूर है तो सैकड़ो लोग इन कार्यालयों में काम के सिलसिले में आते है। ऐसे में यहाँ कभी भी मौत का तांडव देखने को मिल सकता है। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सभी जर्जर भवन वीआईपी इलाके में है।


वीवो2- जर्जर भवन पर नगरपालिका के ईओ डॉ शुभनाथ का कहना है कि जेई से रिपोर्ट मांगी गई है और वह सर्वे कर यह रिपोर्ट उनको देंगे। नगरपालिका के जर्जर भवन और पालिका क्षेत्र में आने वाले सभी जर्जर भवनों को नोटिस जारी कर कार्यवाही की जाएगी।

लेकिन जेई द्वारा इन भवनों की रिपोर्ट जून माह से ही दी जा रही है लेकिन अभी तक यह रिपोर्ट नही मिल सकी है ऐसे में कैसे मान ले कि नगरपालिका इन जर्जर भवन को सील करेगा।


Conclusion:बरसात के मौसम में इन भवनों से पानी टपकता है तो अन्य मौसमो में कर्मचारियों पर प्लास्टर के टुकड़े गिरते है। जिमेदार ना तो इन भवनों की मरमत करवाते है और न ही उसे सील करते है।

वही जर्जर भवन में मौजूद जिला आपूर्ति कार्यालय भी इस समस्या से परेशान है और पूर्ति अधिकारी देवमणि मिश्र का कहना है कि कई बार लेटर लिखा गया है लेकिन कोई मरम्मत का कार्य नही करवाया गया। वही भवन का किराया जो 5 हज़ार के आसपास है उसे समय पर दिया जा रहा है।


प्रत्युष सिंह
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