आजमगढ़: अखिलेश यादव के गढ़ आजमगढ़ में 4 साल के बाद असदुद्दीन ओवैसी का दौरा है, ऐसे में पूर्वांचल की सियासत एक बार फिर गर्म हो गई है. आजमगढ़ में ओवैसी को आने की दूसरी बार अनुमति मिली है. इतना ही नहीं उनके साथ इस बार सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा सरकार में मंत्री रहे ओमप्रकाश राजभर भी रहेंगे.
यूपी में राजनैतिक जमीन तलाशने में जुटे असदुद्दीन ओवैसी
बिहार चुनाव के बाद AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी यूपी में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटे हुए हैं. विधानसभा और पंचायत चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद आजमगढ़ में ओवैसी की पहली यात्रा है. खास बात यह है कि इस बार उनके साथ सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर भी आ रहे हैं. इसके पहले सुभासपा ने भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण से समझौता किया है. ऐसा माना जा रहा है कि इस बार चुनाव में ओमप्रकाश राजभर और ओवैसी एक साथ एक मंच पर आएंगे. जिससे मुस्लिम दलित और पिछड़ों में सेंध लगाकर वह विपक्ष की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं.
ओवैसी का आजमगढ़ का दूसरा दौरा
बता दें कि ओवैसी का आजमगढ़ में यह दूसरा दौरा है. इसके पूर्व उन्होंने कई बार आजमगढ़ आने का प्रयास किए थे, लेकिन प्रशासन ने कानून-व्यवस्था का हवाला देकर उन्हें आजमगढ़ आने से रोक लिया था. वहीं आजमगढ़ के निजामाबाद में 2016 -17 में हुए सांप्रदायिक दंगे में भी उन्होंने आने का प्रयास किया था, लेकिन वह सफल नहीं हो सके. उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कई बार कार्यक्रमों की अनुमति मांगी, लेकिन उन्हें नहीं मिली.
बता दें कि 4 साल पहले मार्च 2016 में असदुद्दीन ओवैसी अपने निजी दौरे पर पार्टी के नेता शौकत माहुली से मिलने आजमगढ़ पहुंचे थे.
निकाले जा रहे सियासी मायने
4 साल के बड़े अंतराल के बाद कार्यक्रम की अनुमति मिलने और पंचायत चुनाव को देखते हुए ओवैसी के इस दौरे के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. आजमगढ़ अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी का गढ़ है. यहां मुस्लिम वोट बैंक की पहली पसंद सपा है, ऐसे में अगर ओवैसी की पार्टी चुनाव लड़ती है तो सपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
क्या है आमजनों का रुख
आजमगढ़ के रहने वाले किसान तेज प्रताप सिंह ने बताया कि ओवैसी उत्तर प्रदेश में वोट कटवा के रूप में चुनाव लड़ेंगे. इससे जहां सपा को नुकसान उठाना पड़ेगा वहीं भाजपा को आंशिक नुकसान ही होगा.
वहीं रुद्र प्रताप सिंह ने बताया कि ओवैसी के कार्यक्रम से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, कुछ मुसलमानों में ओवैसी को लेकर चाहत है वह लोग ही उन्हें वोट देंगे. इससे सिर्फ सपा का ही नुकसान होगा.