लखनऊ: कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा कि आज से कुछ ही दिनों में सरकार अपना बजट पेश करने वाली है. यह बजट देश का भविष्य तय करेगा, क्या अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी या नौकरियां मिलेंगी? क्या उपभोग बढ़ेगा, क्या निवेश होगा? क्या लोगों पर जो महंगाई की मार है वह कम होगी? और सबसे अहम सवाल क्या आम आदमी से जो जबरन टैक्स वसूला जा रहा है. उसमें कुछ राहत मिलेगी, आजाद हिन्दुस्तान में पहली बार सूट बूट की इस सरकार में इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स से कहीं ज्यादा है. मतलब बड़े बड़े पूंजीपति आज आप से कम टैक्स दे रहे हैं.
हेल्थ बीमा से जीएसटी हटाने की मांग: कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत्र ने लखनऊ स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र की भाजपा मोदी सरकार द्वारा देश की आम जनता पर भारी टैक्स लगाने का आरोप लगाया. जीएसटी गब्बर सिंह टैक्स से पीड़ित आम जनता को आगामी बजट में राहत देने की मांग की. साथ ही आवश्यक घरेलू वस्तुओं और हेल्थ बीमा से जीएसटी हटाने की मांग की.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने गब्बर सिंह टैक्स के माध्यम से जिसे इस देश के सबसे अमीर और सबसे गरीब आदमी के लिए एक बराबर होना चाहिए. लेकिन इस सरकार ने ना सिर्फ जीएसटी का रायता फैलाया हुआ है, बल्कि असलियत ये है कि आपके आटा, दही, दवाई, पढ़ाई और यहां तक कि पॉपकॉर्न और पुरानी गाड़ी बेचने पर भी जमकर जबरन जीएसटी वसूला जा रहा है. आज आम आदमी पर टैक्स ज्यादा है और कॉर्पोरेट उद्योगपतियों पर टैक्स कम.
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जीएसटी की मार गरीबों पर: सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा कि मोदी सरकार हर महीने जीएसटी कलेक्शन करके खुशियां मनाती है. वो ये भी नहीं समझते कि जीएसटी एक कंसम्पशन टैक्स है. मतलब यह टैक्स लोग उपभोग पर देते हैं. और गरीब अपनी अधिकांश आय का उपभोग करते हैं, जबकि अमीर अपनी आय का बड़ा हिस्सा बचाते हैं. इसीलिए जीएसटी की मार गरीबों पर ज्यादा पड़ती है. औसतन कलेक्शन का 64% हिस्सा देश की आर्थिक रूप से निचली आधी आबादी मतलब बॉटम 50% से आता है.
GST का केवल 3% शीर्ष 10% से आता है. यह गरीबों पर लगने वाला टैक्स है, जो बढ़ता ही जा रहा है. इस भार का सबसे खराब प्रभाव मध्यम वर्ग और गरीबों पर पड़ रहा है. लोग भोजन और शिक्षा जैसी आवश्यक वस्तुओं पर कम खर्च कर रहे हैं. खासतौर से बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण जीवन और स्वास्थ्य बीमा जैसी आवश्यक सेवाओं पर जीएसटी रेट 18% है.
मंगलसूत्र नरेंद्र मोदी छीन रहे हैं : सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा कि आज आम आदमी की जेब में पैसा नहीं है जिस वजह से FMCG कंपनियों में छोटे पैकेजों की मांग बढ़ी है. मतलब लोगों के पास जरूरी चीजें खरीदने के लिए पैसा और उतना सामर्थ्य नहीं है. इसी जबरदस्त टैक्स, कमरतोड़ महंगाई, बेरोजगारी, कम आय, के कारण उपभोग जो हमारे GDP का 2/3 हिस्सा है,उसमें भारी गिरावट आई है. यही नहीं, आज लोग भविष्य की बचत से खर्च करने को मजबूर हैं. घरेलू बचत 50 साल के सबसे निचले स्तर पर है. जेवर गिरवी रखने वालों की संख्या करीब 50% बढ़ गई है.
लोग ऋण चुकाने में असमर्थ हैं, डिफॉल्ट में 30% की वृद्धि हुई है. मंगलसूत्र तो नरेंद्र मोदी छीन रहे हैं, सेकेंड्री स्कूल के एडमिशन में गिरावट और विश्वविद्यालयों से बिना डिग्री के पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर छात्र भी आर्थिक बर्बादी का प्रमाण हैं. सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा कि भाजपा की असंवेदनशील सरकार का युवा विरोधी चरित्र सामने है कि आज नौकरियों के फार्म फीस पर भी 18 % GST लिया जा रहा है, मोदी सरकार गरीबों से टैक्स वसूली का जश्न मनाती है - पर जब अमीरों की बात आती है, तो कॉर्पोरेट टैक्स घटा कर पूंजीपतियों का 4.5 लाख करोड़ का लाभ पहुंचाती है.
सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा कि जीएसटी की गुत्थी तो मानवजाति के लिए सुलझाना असंभव है. आप भी सोचिए एक पॉपकॉर्न पर तीन दरें, 5%, 12% और 18% लगाने का क्या मतलब है? यह Good and Simple Tax के सिद्धांत के ही विपरीत है. हमारी कांग्रेस पार्टी एक या ज़्यादा से ज़्यादा दो GST रेट की पैरोकार है. यहाँ तो अलग अलग चीज़ों के लिए 0%, 0.25%, 1.5%, 3%, 7.5% और 28% को शामिल करें तो वर्तमान में कुल 9 जीएसटी दरें हैं. उसके ऊपर से अगर सरचार्ज और सेस जैसी चीज़ें देखें तो जीएसटी कई लेयर में वसूला जा रहा है. इतनी सारी दरों ने न सिर्फ उपभोक्ताओं को भ्रमित किया है बल्कि छोटे व्यवसायों के लिए काम करना मुश्किल कर दिया है. लेकिन इस पूरे रायते में कुछ लोग फायदा भी उठा रहे हैं.
जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय में हालिया धोखाधड़ी के आंकड़े गौरतलब हैं. 2023-24 में 2 लाख करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी हुई, इनपुट टैक्स क्रेडिट में धोखाधड़ी आम है. इसमें 35,132 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई, 25,000 करोड़ रुपये की GST चोरी से जुड़ी 18,000 फर्जी संस्थाओं का खुलासा हुआ. सुप्रिया श्रीनेत्र ने कहा कि सरकार के खुद के आंकड़ें ही बता रहे हैं कि इस साल जीएसटी ग्रोथ मात्र 6.4% होने वाली है. यह ना सिर्फ 4 साल में सबसे कम है, बल्कि कोरोना महामारी के बाद की सबसे निचली ग्रोथ रेट है. इसका मतलब है नौकरियां खत्म होंगी, निवेश और उपभोग कम होगा और उसपर महंगाई और टैक्स की मार से जीना दूभर है.
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