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अयोध्या: राजमहल में 30 वर्षों से लेटी है हनुमान प्रतिमा, मंदिर निर्माण में की जाएगी खड़ी

राम नगरी अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण की नींव रखी जा रही है. राम मंदिर निर्माण विवाद के दौरान राम जन्मभूमि परिषद के मुख्य द्वार पर हनुमान जी की प्रतिमा को संकल्प के साथ कारसेवकों ने दशरथ गद्दी पर लिटा दिया था और राम मंदिर निर्माण के बाद ही प्रतिमा को खड़ा करने का संकल्प लिया था.

लेटे हुए हनुमान की प्रतिमा.
लेटे हुए हनुमान की प्रतिमा.
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Published : Aug 3, 2020, 6:09 PM IST

अयोध्या: राम नगरी में 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण की शुरुआत होने जा रही है. इसकी नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों रखी जाएगी. ऐसे में अयोध्या विवाद से जुड़ी कई यादें भी ताजा हो रही हैं. अयोध्या में राम मंदिर को निर्माण के लिए कई कारसेवकों ने अपनी जान गंवाई थी. वहीं राम जन्मभूमि परिषद के मुख्य द्वार पर खड़ी हनुमान जी की प्रतिमा को संकल्प के साथ कारसेवकों ने दशरथ गद्दी पर लिटा दिया था.

जानकारी देते पुजारी राजकुमार दास.

रामनगरी में कनक भवन से कुछ देरी पर स्थित दशरथ गंदी महल है, जो कि अयोध्या का विशिष्ट अस्थल है. मान्यता है कि त्रेता युग में अवध की राजा दशरथ यहीं से न्याय किया करते थे. यह शासन का मुख्य केंद्र था. वर्ष 1992 में जब बाबरी विध्वंस के बाद राम जन्मभूमि परिसर का समतलीकरण किया गया. उस समय श्री राम जन्म भूमि के मुख्य गेट पर स्थित बजरंग बली की प्रतिमा को कारसेवक लेकर दशरथ गद्दी परिसर में पहुंचे, जहां उन्होंने इस प्रतिमा को लिटाकर स्थापित किया और एक संकल्प लिया कि जब अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थान पर मंदिर का निर्माण किया जाएगा, तभी इस प्रतिमा को वहां खड़ाकर स्थापित किया जाएगा.

9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भगवान राम के जन्म स्थान पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ. इसके बाद ट्रस्ट ने 5 अगस्त 2020 को मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया है. तो ऐसे में लेटे हनुमान का संकल्प भी पूरा हो गया है. वहीं लेटी हुई हनुमान जी की प्रतिमा को राम मंदिर निर्माण के दौरान खड़ा किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- जानें राम मंदिर निर्माण में कैसे अहम भूमिका निभाई हरिद्वार ने

अयोध्या: राम नगरी में 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण की शुरुआत होने जा रही है. इसकी नींव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों रखी जाएगी. ऐसे में अयोध्या विवाद से जुड़ी कई यादें भी ताजा हो रही हैं. अयोध्या में राम मंदिर को निर्माण के लिए कई कारसेवकों ने अपनी जान गंवाई थी. वहीं राम जन्मभूमि परिषद के मुख्य द्वार पर खड़ी हनुमान जी की प्रतिमा को संकल्प के साथ कारसेवकों ने दशरथ गद्दी पर लिटा दिया था.

जानकारी देते पुजारी राजकुमार दास.

रामनगरी में कनक भवन से कुछ देरी पर स्थित दशरथ गंदी महल है, जो कि अयोध्या का विशिष्ट अस्थल है. मान्यता है कि त्रेता युग में अवध की राजा दशरथ यहीं से न्याय किया करते थे. यह शासन का मुख्य केंद्र था. वर्ष 1992 में जब बाबरी विध्वंस के बाद राम जन्मभूमि परिसर का समतलीकरण किया गया. उस समय श्री राम जन्म भूमि के मुख्य गेट पर स्थित बजरंग बली की प्रतिमा को कारसेवक लेकर दशरथ गद्दी परिसर में पहुंचे, जहां उन्होंने इस प्रतिमा को लिटाकर स्थापित किया और एक संकल्प लिया कि जब अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थान पर मंदिर का निर्माण किया जाएगा, तभी इस प्रतिमा को वहां खड़ाकर स्थापित किया जाएगा.

9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद भगवान राम के जन्म स्थान पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ. इसके बाद ट्रस्ट ने 5 अगस्त 2020 को मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया है. तो ऐसे में लेटे हनुमान का संकल्प भी पूरा हो गया है. वहीं लेटी हुई हनुमान जी की प्रतिमा को राम मंदिर निर्माण के दौरान खड़ा किया जाएगा.

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