ETV Bharat / state

राम जन्मभूमि की मिट्टी किष्किंधा ले जा रहे स्वामी गोविंदानंद

श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में मंदिर निर्माण के साथ हनुमान जन्मस्थली के विकास के लिए बड़े स्तर पर अभियान शुरू होने जा रहा है. कर्नाटक के पंपा क्षेत्र स्थित हंपी गांव में बजरंगबली की विशालकाय प्रतिमा स्थापित करने की योजना है. इसके लिए समूचे भारतवर्ष में 12 वर्ष तक अभियान चलाने की तैयारी है.

स्वामी गोविंदानंद
स्वामी गोविंदानंद
author img

By

Published : Mar 4, 2021, 7:15 PM IST

अयोध्या : अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के साथ हनुमान जन्मस्थली के विकास के लिए बड़े स्तर पर अभियान शुरू होने जा रहा है. कर्नाटक के पंपा क्षेत्र स्थित हंपी गांव में बजरंगबली की विशालकाय प्रतिमा स्थापित करने की योजना है. इसके लिए समूचे भारतवर्ष में 12 वर्ष तक अभियान चलाने की तैयारी है. हनुमान जी की जन्मस्थली के विकास के लिए 1200 करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य है. इसके लिए महाशिवरात्रि से अभियान शुरू होगा. इसी के तहत स्वामी गोविंदानंद राम जन्मभूमि अयोध्या पहुंचे, जहां से वो मिट्टी लेकर कर्नाटक के पंपा क्षेत्र के हंपी गांव जाएंगे.

किष्किंधा का था अयोध्या से अटूट नाता

माना जाता है कि त्रेतायुग में किष्किंधा का अयोध्या से अटूट नाता रहा है. जिसे और अधिक प्रगाढ़ बनाने के लिए अब भगवान राम का आशीष लेकर हनुमत जन्मस्थली के विकास के महा अभियान की शुरुआत की जा रही है. रामनगरी पहुंचे हंपी के संत गोविंदानंद ने भगवान राम के आशीर्वाद स्वरूप एक चरण पादुका का रामलला मंदिर में विधिवित पूजन कराया. इस चरण पादुका के साथ वे राम जन्मभूमि की मिट्टी अयोध्या से लेकर जा रहे हैं.

कर्नाटक में स्थापित होगी हनुमान जी की विशाल प्रतिमा

दरअसल, गोविंदानंद ने कर्नाटक के हंपी गांव स्थित हनुमान की जन्मस्थली के विकास का संकल्प लिया है. उनका मानना है कि वर्तमान में तकनीकि और विज्ञान के प्रसार के चलते धर्म और आस्था के प्रति लोग उदासीन हो रहे हैं. ऐसे में लोगों को जागरुक करने की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि भगवान राम की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट गठित होने के साथ ही हनुमत जन्म स्थली पर मंदिर निर्माण के लिए न्यास गठित किया गया था. दोनों ट्रस्ट एक ही दिन गठित किए गए थे. भगवान के जन्म स्थान पर मंदिर निर्माण के साथ हनुमान की जन्मस्थली पर एक विशाल प्रतिमा स्थापित करने की योजना है.

आंजनाद्रि पर्वत पर हनुमान का हुआ था जन्म

आपको बता दें कि कर्नाटक राज्य के पंपा क्षेत्र में हम्पी गांव स्थित है. इस गांव में कई त्रेता युगीन मंदिर हैं. पंपा क्षेत्र के आंजनाद्रि पर्वत पर भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त हनुमान की जन्मस्थली है. मान्यता है कि पंपा गांव स्थित आंजनाद्रि पर्वत पर हनुमान का जन्म हुआ था. इसी मान्यता के चलते यहां हनुमान मंदिर है. इस क्षेत्र में अन्य कई त्रेता युग की मान्यता से जुड़े मंदिर स्थापित हैं. यहां ब्रह्माजी का बनाया हुआ पम्पा सरोवर, बाली की गुफा और सुग्रीव का निवास स्थान ऋषम्यूक पर्वत भी यहीं स्थित है. चिंतामणि मंदिर, जहां से राम ने बाली के ऊपर तीर चलाया था, वो भी इसी जगह के अंतर्गत आता है. बेल्लारी जिले के अंतर्गत आने वाले किष्किंधा के दूसरे भाग में भगवान राम ने जहां चार्तुमास किया था, वो माल्यवंत पर्वत और हनुमान आदि वानरों ने सीता का पता लगाकर लौटते वक्त जिस वन में फल खाए थे, वो मधुवन यहां पड़ता है. इसके अतिरिक्त कई छोटे-बड़े मंदिर और शिवलिंग इस क्षेत्र में हैं.

स्वामी गोविंदानंद
स्वामी गोविंदानंद

त्रेता युगीन मान्यता के मंदिरों की अधिकता के कारण हंपी का अयोध्या से अटूट नाता है. इसे और अधिक प्रगाढ़ करने के लिए हम्पी के संत गोविंदानंद अयोध्या पहुंचे हैं. गोविंदानंद ने बताया कि पंपा क्षेत्र में हनुमान मंदिर के विकास के साथ बजरंगबली के 215 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इसके साथ ही पंपा क्षेत्र में हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा. उन्होंने बताया के हनुमत जन्मस्थली के लिए पिछले 10 वर्ष से प्रयास किया जा रहा है.

12 वर्षों तक चलेगा महा अभियान

गोविंदानंद सरस्वती ने बताया कि महाशिवरात्रि से पूरे भारत में जागरण अभियान शुरु करने की योजना है. किष्किंधा रथ यात्रा के जरिए देशभर में भ्रमण कर लोगों को भगवान राम और हनुमान के प्रति आस्था को प्रबल किया जाएगा. गोविंदानंद का मानना है कि वर्तमान समय में तकनीकि और विज्ञान को लोग अधिक मानते हैं. इससे हमारी सनातन संस्कृति के लोगों में आस्था के प्रति उदासीनता की स्थिति पैदा हो गई है. किष्किंधा रथ यात्रा के जरिए समाज से इसे दूर किया जाएगा. हनुमत जन्मस्थली के विकास के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की जा रही है.

किष्किंधा में जन्मे थे हनुमान जी

किष्किंधा रथ यात्रा देश के कोने- कोने में भ्रमण करेगी. इसके लिए 40 लाख रथ किए जा रहे हैं. इन रथों में भगवान राम की पादुका, ठाकुर जी और वेदों को रखकर भ्रमण किया जाएगा. जगह-जगह भजन, कीर्तन और राम कथा के जरिए राम और हनुमान के जीवन प्रसंगों से लोगों को अवगत कराया जाएगा. यह रथ यात्रा समूचे भारत में 12 वर्ष तक विभिन्न स्थानों पर जाएगी. हनुमत जन्मस्थली के प्रति जागरूकता को व्यापक स्तर पर प्रसारित किया जाएगा. इसके लिए देशभर में भ्रमण करने वाली किष्किंधा रथ यात्रा हनुमान और भगवान की लीला के साथ मां सीता से जुड़े सभी प्रमुख स्थलों को कवर करेगी. किष्किंधा रथयात्रा हनुमान जन्मस्थली के भगवान राम के जन्म स्थान और मां सीता के जन्मस्थान सीतामढ़ी नेपाल तक जाएगी. जनसामान्य में आस्था को बढ़ावा देना, अयोध्या और किष्किंधा के प्रगाढ़ संबंधों को प्रदर्शित करना, हनुमत जन्मस्थली के विकास इस यात्रा का लक्ष्य है.

महाशिवरात्रि से अभियान शुरू होगा

हनुमान की जन्मस्थली के विकास के लिए 1200 करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य है. इसके लिए महाशिवरात्रि से अभियान शुरू होगा. माना जाता है कि त्रेतायुग में किष्किंधा का अयोध्या से अटूट नाता रहा है. जिसे और अधिक प्रगाढ़ बनाने के लिए अब भगवान राम का आशीष लेकर हनुमत जन्मस्थली के विकास के लिए महा अभियान की शुरुआत की जा रही है.

चरण पादुका के साथ राम जन्मभूमि की ले जा रहे मिट्टी

रामनगरी पहुंचे हंपी के संत गोविंदानंद ने भगवान राम के आशीर्वाद स्वरूप एक चरण पादुका का रामलला मंदिर में विधिवित पूजन कराया. इस चरण पादुका के साथ वे राम जन्मभूमि की मिट्टी अयोध्या से लेकर जा रहे हैं.

विज्ञान के प्रसार के चलते धर्म और आस्था के प्रति लोग हो रहे उदासीन

दरअसल, गोविंदानंद ने कर्नाटक के हंपी गांव स्थित हनुमान की जन्मस्थली के विकास का संकल्प लिया है. उनका मानना है कि वर्तमान में तकनीकि और विज्ञान के प्रसार के चलते धर्म और आस्था के प्रति लोग उदासीन हो रहे हैं. ऐसे में लोगों को जागरुक करने की आवश्यकता है.

हनुमत जन्म स्थली पर मंदिर निर्माण के लिए न्यास गठित किया गया था

उन्होंने बताया कि भगवान राम की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट गठित होने के साथ ही हनुमत जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए न्यास गठित किया गया था. दोनों ट्रस्ट एक ही दिन गठित किए गए थे. भगवान के जन्म स्थान पर मंदिर निर्माण के साथ हनुमान की जन्मस्थली पर एक विशाल प्रतिमा स्थापित करने की योजना है.

हंपी का है अयोध्या से अटूट नाता

त्रेता युगीन मान्यता के मंदिरों की अधिकता के कारण हंपी का अयोध्या से अटूट नाता है. इसे और अधिक प्रगाढ़ करने के लिए हम्पी के संत गोविंदानंद अयोध्या पहुंचे हैं. गोविंदानंद ने बताया कि पंपा क्षेत्र में हनुमान मंदिर के विकास के साथ बजरंगबली के 215 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इसके साथ ही पंपा क्षेत्र में हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा.

हनुमत जन्मस्थली के लिए पिछले 10 वर्ष से हो रहा प्रयास

उन्होंने बताया के हनुमत जन्मस्थली के लिए पिछले 10 वर्ष से प्रयास किया जा रहा है. गोविंदानंद सरस्वती ने बताया कि महाशिवरात्रि से पूरे भारत में जागरण अभियान शुरु करने की योजना है. किष्किंधा रथ यात्रा के जरिए देशभर में भ्रमण कर लोगों को भगवान राम और हनुमान के प्रति आस्था को प्रबल किया जाएगा.

आप को बता दें कि किष्किंधा रथयात्रा हनुमान जन्मस्थली के भगवान राम के जन्म स्थान और मां सीता के जन्मस्थान सीतामढ़ी (बिहार) तक जाएगी. जन मानस में आस्था को बढ़ावा देना, अयोध्या और किष्किंधा के प्रगाढ़ संबंधों को प्रदर्शित करना, हनुमत जन्मस्थली के विकास इस यात्रा का लक्ष्य है.

अयोध्या : अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के साथ हनुमान जन्मस्थली के विकास के लिए बड़े स्तर पर अभियान शुरू होने जा रहा है. कर्नाटक के पंपा क्षेत्र स्थित हंपी गांव में बजरंगबली की विशालकाय प्रतिमा स्थापित करने की योजना है. इसके लिए समूचे भारतवर्ष में 12 वर्ष तक अभियान चलाने की तैयारी है. हनुमान जी की जन्मस्थली के विकास के लिए 1200 करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य है. इसके लिए महाशिवरात्रि से अभियान शुरू होगा. इसी के तहत स्वामी गोविंदानंद राम जन्मभूमि अयोध्या पहुंचे, जहां से वो मिट्टी लेकर कर्नाटक के पंपा क्षेत्र के हंपी गांव जाएंगे.

किष्किंधा का था अयोध्या से अटूट नाता

माना जाता है कि त्रेतायुग में किष्किंधा का अयोध्या से अटूट नाता रहा है. जिसे और अधिक प्रगाढ़ बनाने के लिए अब भगवान राम का आशीष लेकर हनुमत जन्मस्थली के विकास के महा अभियान की शुरुआत की जा रही है. रामनगरी पहुंचे हंपी के संत गोविंदानंद ने भगवान राम के आशीर्वाद स्वरूप एक चरण पादुका का रामलला मंदिर में विधिवित पूजन कराया. इस चरण पादुका के साथ वे राम जन्मभूमि की मिट्टी अयोध्या से लेकर जा रहे हैं.

कर्नाटक में स्थापित होगी हनुमान जी की विशाल प्रतिमा

दरअसल, गोविंदानंद ने कर्नाटक के हंपी गांव स्थित हनुमान की जन्मस्थली के विकास का संकल्प लिया है. उनका मानना है कि वर्तमान में तकनीकि और विज्ञान के प्रसार के चलते धर्म और आस्था के प्रति लोग उदासीन हो रहे हैं. ऐसे में लोगों को जागरुक करने की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि भगवान राम की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट गठित होने के साथ ही हनुमत जन्म स्थली पर मंदिर निर्माण के लिए न्यास गठित किया गया था. दोनों ट्रस्ट एक ही दिन गठित किए गए थे. भगवान के जन्म स्थान पर मंदिर निर्माण के साथ हनुमान की जन्मस्थली पर एक विशाल प्रतिमा स्थापित करने की योजना है.

आंजनाद्रि पर्वत पर हनुमान का हुआ था जन्म

आपको बता दें कि कर्नाटक राज्य के पंपा क्षेत्र में हम्पी गांव स्थित है. इस गांव में कई त्रेता युगीन मंदिर हैं. पंपा क्षेत्र के आंजनाद्रि पर्वत पर भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त हनुमान की जन्मस्थली है. मान्यता है कि पंपा गांव स्थित आंजनाद्रि पर्वत पर हनुमान का जन्म हुआ था. इसी मान्यता के चलते यहां हनुमान मंदिर है. इस क्षेत्र में अन्य कई त्रेता युग की मान्यता से जुड़े मंदिर स्थापित हैं. यहां ब्रह्माजी का बनाया हुआ पम्पा सरोवर, बाली की गुफा और सुग्रीव का निवास स्थान ऋषम्यूक पर्वत भी यहीं स्थित है. चिंतामणि मंदिर, जहां से राम ने बाली के ऊपर तीर चलाया था, वो भी इसी जगह के अंतर्गत आता है. बेल्लारी जिले के अंतर्गत आने वाले किष्किंधा के दूसरे भाग में भगवान राम ने जहां चार्तुमास किया था, वो माल्यवंत पर्वत और हनुमान आदि वानरों ने सीता का पता लगाकर लौटते वक्त जिस वन में फल खाए थे, वो मधुवन यहां पड़ता है. इसके अतिरिक्त कई छोटे-बड़े मंदिर और शिवलिंग इस क्षेत्र में हैं.

स्वामी गोविंदानंद
स्वामी गोविंदानंद

त्रेता युगीन मान्यता के मंदिरों की अधिकता के कारण हंपी का अयोध्या से अटूट नाता है. इसे और अधिक प्रगाढ़ करने के लिए हम्पी के संत गोविंदानंद अयोध्या पहुंचे हैं. गोविंदानंद ने बताया कि पंपा क्षेत्र में हनुमान मंदिर के विकास के साथ बजरंगबली के 215 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इसके साथ ही पंपा क्षेत्र में हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा. उन्होंने बताया के हनुमत जन्मस्थली के लिए पिछले 10 वर्ष से प्रयास किया जा रहा है.

12 वर्षों तक चलेगा महा अभियान

गोविंदानंद सरस्वती ने बताया कि महाशिवरात्रि से पूरे भारत में जागरण अभियान शुरु करने की योजना है. किष्किंधा रथ यात्रा के जरिए देशभर में भ्रमण कर लोगों को भगवान राम और हनुमान के प्रति आस्था को प्रबल किया जाएगा. गोविंदानंद का मानना है कि वर्तमान समय में तकनीकि और विज्ञान को लोग अधिक मानते हैं. इससे हमारी सनातन संस्कृति के लोगों में आस्था के प्रति उदासीनता की स्थिति पैदा हो गई है. किष्किंधा रथ यात्रा के जरिए समाज से इसे दूर किया जाएगा. हनुमत जन्मस्थली के विकास के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की जा रही है.

किष्किंधा में जन्मे थे हनुमान जी

किष्किंधा रथ यात्रा देश के कोने- कोने में भ्रमण करेगी. इसके लिए 40 लाख रथ किए जा रहे हैं. इन रथों में भगवान राम की पादुका, ठाकुर जी और वेदों को रखकर भ्रमण किया जाएगा. जगह-जगह भजन, कीर्तन और राम कथा के जरिए राम और हनुमान के जीवन प्रसंगों से लोगों को अवगत कराया जाएगा. यह रथ यात्रा समूचे भारत में 12 वर्ष तक विभिन्न स्थानों पर जाएगी. हनुमत जन्मस्थली के प्रति जागरूकता को व्यापक स्तर पर प्रसारित किया जाएगा. इसके लिए देशभर में भ्रमण करने वाली किष्किंधा रथ यात्रा हनुमान और भगवान की लीला के साथ मां सीता से जुड़े सभी प्रमुख स्थलों को कवर करेगी. किष्किंधा रथयात्रा हनुमान जन्मस्थली के भगवान राम के जन्म स्थान और मां सीता के जन्मस्थान सीतामढ़ी नेपाल तक जाएगी. जनसामान्य में आस्था को बढ़ावा देना, अयोध्या और किष्किंधा के प्रगाढ़ संबंधों को प्रदर्शित करना, हनुमत जन्मस्थली के विकास इस यात्रा का लक्ष्य है.

महाशिवरात्रि से अभियान शुरू होगा

हनुमान की जन्मस्थली के विकास के लिए 1200 करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य है. इसके लिए महाशिवरात्रि से अभियान शुरू होगा. माना जाता है कि त्रेतायुग में किष्किंधा का अयोध्या से अटूट नाता रहा है. जिसे और अधिक प्रगाढ़ बनाने के लिए अब भगवान राम का आशीष लेकर हनुमत जन्मस्थली के विकास के लिए महा अभियान की शुरुआत की जा रही है.

चरण पादुका के साथ राम जन्मभूमि की ले जा रहे मिट्टी

रामनगरी पहुंचे हंपी के संत गोविंदानंद ने भगवान राम के आशीर्वाद स्वरूप एक चरण पादुका का रामलला मंदिर में विधिवित पूजन कराया. इस चरण पादुका के साथ वे राम जन्मभूमि की मिट्टी अयोध्या से लेकर जा रहे हैं.

विज्ञान के प्रसार के चलते धर्म और आस्था के प्रति लोग हो रहे उदासीन

दरअसल, गोविंदानंद ने कर्नाटक के हंपी गांव स्थित हनुमान की जन्मस्थली के विकास का संकल्प लिया है. उनका मानना है कि वर्तमान में तकनीकि और विज्ञान के प्रसार के चलते धर्म और आस्था के प्रति लोग उदासीन हो रहे हैं. ऐसे में लोगों को जागरुक करने की आवश्यकता है.

हनुमत जन्म स्थली पर मंदिर निर्माण के लिए न्यास गठित किया गया था

उन्होंने बताया कि भगवान राम की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट गठित होने के साथ ही हनुमत जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए न्यास गठित किया गया था. दोनों ट्रस्ट एक ही दिन गठित किए गए थे. भगवान के जन्म स्थान पर मंदिर निर्माण के साथ हनुमान की जन्मस्थली पर एक विशाल प्रतिमा स्थापित करने की योजना है.

हंपी का है अयोध्या से अटूट नाता

त्रेता युगीन मान्यता के मंदिरों की अधिकता के कारण हंपी का अयोध्या से अटूट नाता है. इसे और अधिक प्रगाढ़ करने के लिए हम्पी के संत गोविंदानंद अयोध्या पहुंचे हैं. गोविंदानंद ने बताया कि पंपा क्षेत्र में हनुमान मंदिर के विकास के साथ बजरंगबली के 215 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इसके साथ ही पंपा क्षेत्र में हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा.

हनुमत जन्मस्थली के लिए पिछले 10 वर्ष से हो रहा प्रयास

उन्होंने बताया के हनुमत जन्मस्थली के लिए पिछले 10 वर्ष से प्रयास किया जा रहा है. गोविंदानंद सरस्वती ने बताया कि महाशिवरात्रि से पूरे भारत में जागरण अभियान शुरु करने की योजना है. किष्किंधा रथ यात्रा के जरिए देशभर में भ्रमण कर लोगों को भगवान राम और हनुमान के प्रति आस्था को प्रबल किया जाएगा.

आप को बता दें कि किष्किंधा रथयात्रा हनुमान जन्मस्थली के भगवान राम के जन्म स्थान और मां सीता के जन्मस्थान सीतामढ़ी (बिहार) तक जाएगी. जन मानस में आस्था को बढ़ावा देना, अयोध्या और किष्किंधा के प्रगाढ़ संबंधों को प्रदर्शित करना, हनुमत जन्मस्थली के विकास इस यात्रा का लक्ष्य है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.