औरैया: सावन के महीने में हर तरफ हर-हर महादेव और बम-बम भोले की गूंज रही है. कांवड़िया हरिद्वार समेत अन्य जगहों से गंगा जल भगवान शिवशंकर के अभिषेक के लिए ला रहे हैं. प्रदेश की हर सड़कों पर कांवड़ियों की धूम है. ऐसे में एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताएंगे, जो अपने आप में अद्भुत है. औरैया की दक्षिण दिशा में यमुना नदी किनारे एक मंदिर स्थित है. मान्यता है यहां स्थापित शिवलिंग हर साल शिवरात्री पर एक जौ के बराबर बढ़ता है. विश्व का यह पहला ऐसा शिव मंदिर है, जिसे स्त्री के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का नाम है देवकली मंदिर.
मंदिर का इतिहास: मंदिर के पुजारी सौरभ महाराज ने बताया कि मंदिर का निर्माण कन्नौज के राजा जयचंद ने अपनी मुहंबोली बहन देवकला के नाम पर 11वीं शताब्दी में कराया था. राजा जयचंद ने 1125 ई. में अपनी मुंहबोली बहन देवकला की शादी जालौन के राजा विशोख देव से की थी. राजा ने अपनी बहन को तोहफे के तौर पर राज्य में पड़ने वाले 145 गांव दिया था. इस शिवमंदिर में देवकला की आस्था को देखते हुए गांव का नाम भी देवकली रखा था. यह भी कहा जाता है कि ससुराल जाते समय देवकला रात को यहां विश्राम के लिए ठहरती थीं.
मंदिर में बने थे 52 कुंए: मंदिर क्षेत्र में कभी 52 कुंए हुआ करते थे, इनमें से कई आज भी मौजूद हैं. मान्यता है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग द्वापरयुग में स्वयं प्रकट हुआ था. इसका रहस्य है कि हर शिवरात्रि पर शिवलिंग का आकर एक जौ के बराबर बढ़ जाता है. मंदिर के पुजारी ने बताया कि उनके गुरु महाराज ने यह प्रमाणित किया है कि प्रतिवर्ष शिवरात्रि पर शिवलिंग एक जौ के बराबर बढ़ता है. साथ ही शिवलिंग पर जो जल चढ़ाया जाता है, वो आज तक कोई पता नहीं लगा पाया कि जाता कहा है. सारा जल भू-भाग में कहीं समा जाता है.
मनोकामना होती है पूरी: हर बार की तरह इस बार भी सावन में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. कुछ का ध्येय दर्शन तो कुछ ध्यान लगाकर यहीं बैठे रहने की इच्छा लेकर पहुंचते हैं. देवकली मंदिर में सावन के महिन में आस-पास के जनपद कानपुर, जालौन, झांसी, इटावा के अलावा कई अन्य प्रदेशों से अपनी मनोकामना लेकर आते है. मान्यता है कि भोलेनाथ के सामने जो भी सच्चे मन से अपनी मनोकामना लेकर आता है. तो उसकी मनोकामना पूरी होती है.
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