अंबेडकर नगर: पुलिसिया थाने खाकी के खौफ में चलते हैं, ये तो सभी जानते हैं, लेकिन किसी थाने में खाकी किसी अनजान आत्मा की खौफ में रह रही हो ये कम ही लोग जानते होंगे. आज हम आप को एक ऐसे ही तिलिस्मी थाने से रूबरू कराएंगे, जहां आने वाले फरियादी ही नहीं, वहां रहने वाले पुलिस और अधिकारी भी उस अनजान रहस्यमयी शक्ति से डरते हैं.
डरते ही नहीं उस शक्ति को प्रसन्न करने के लिए हर वो जतन करते हैं जो उनके वश में हो, कहा तो यह जाता है कि जिस किसी पर इस शक्ति की नजर लगती है. उसका अनिष्ट हो जाता है. शायद यही वजह है कि तकरीबन तीन दशक के अंदर इस थाना परिसर में तीन पुलिसकर्मियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है और उसी शक्ति के डर से तकरीबन एक दशक से इस थाने के मुख्य द्वार पर ताला लगा है .
जिले से 35 किमी. दूर पूरब दिशा में स्थित है जैतपुर थाना
जनपद मुख्यालय से तकरीबन 35 किमी दूर पूरब दिशा में एक थाना जैतपुर है. जिसका निर्माण 1992 में हुआ था. आतंक की नर्सरी कहे जाने वाले जिले आजमगढ़ बॉर्डर से सटा होने के कारण इस थाने की सुरक्षा को लेकर बड़ा महत्व है. लोगों की नजर में जितनी अहमियत इस थाने की है. उससे ज्यादा चर्चा यहां घटित घटनाओं और इसके रहस्यमयी कहानी को लेकर है .
हम कोई अंधविश्वास नहीं फैला रहे हैं न ही लोगों को डरा कर कोई सनसनी पैदा करना चाह रहे हैं. हमारी मंशा तो सिर्फ यहां की हकीकत से लोगों को रूबरू कराना है. थाने का मुख्यद्वार सड़क के मुख्य हाईवे पर है. बताया जा रहा है कि इस द्वार का निर्माण यहां तैनात रहे तत्कालीन थानाध्यक्ष एमएल खान ने कराया था, लेकिन कुछ ही दिनों के बाद थाने के अंदर अजीबो-गरीब हरकतें होने लगीं और ये गेट बंद कर दिया गया.
स्थानीय लोगों का कहना है अदृश्य शक्ति के नाराज हो जाने से होती हैं घटनाएं
विभागीय अधिकारी तो कुछ नहीं कहते, लेकिन स्थानीय लोग जरूर यहां के तिलिस्म की कहानी बयां करते हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक इस थाने के अंदर एक अदृश्य मजार है. मुख्य द्वार से जब लोग आते जाते थे तो उस मजार के ऊपर चढ़ जाते थे, जिससे वह शक्ति नाराज हो जाती है और कोई न कोई अनिष्ट हो जाता है.कहा तो यहां तक जाता है कि यदि मजार के ऊपर से कोई गाड़ी गुजरती तो वह आगे ही नहीं बढ़ती थी और इसी वजह से मुख्यद्वार को बंद दूसरे दिशा में दूसरा द्वार खोल दिया गया.
2010 में तत्कालीन एसपी आर. के. स्वर्णकार ने कराई थी मजार की बाउंड्रीवाल
स्थानीय लोग जिस मजार की बात कर रहे हैं. उसकी सुरक्षा के लिए उसे चारों तरफ से बाउंड्रीवाल से घेर दिया गया. स्थानीय लोगों द्वारा बताई कहानी को इस बात से और भी बल मिलता है कि वर्ष 2010 में तत्कालीन एसपी आर. के. स्वर्णकार ने ही बाउंड्रीवाल कराकर यहां एक पीपल का पेड़ लगाया, जिसका यहां लगे शिलापट्ट पर उल्लेख है, लेकिन कहा जाता है कि एसपी ने जिस पीपल के पेड़ को लगाया था, वह रात्रि में गायब हो गया.
हर आने-जाने वाला इंसान मजार को करता है प्रणाम
जमीन के जिस हिस्से को घेरा गया है उसे रोज साफ किया जाता. वहां न तो कोई चप्पल पहनकर जाता है और न कोई थूकता है. यहां आने वाला हर कोई इंसान, वह चाहे फरियादी हो या यहां तैनात सुरक्षा कर्मी इस मजार को प्रणाम जरूर करता है, वरना उसको भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है.
कई पुलिसकर्मियों के हो चुकी है मौत
इस बात को यहां के पुलिस कर्मी भी स्वीकार करते हैं. तीन दशक के अंदर थाने के अंदर तीन पुलिसकर्मियों की संदिग्ध मौत ने भी इस थाने के तिलिस्म को और बढ़ा दिया है. बुधवार को थानाध्यक्ष बाबू मिश्रा की मौत के पहले गत नवम्बर माह में एक महिला आरक्षी की संदिग्ध मौत उसके आवास पर हुई थी, जबकि कुछ वर्ष पहले एक अन्य की भी मौत थाने के अंदर इसी तरह हुई थी.