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टीईटी की अनिवार्यता 2010 से पहले से कार्यरत अध्यापकों पर लागू नहीं : हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएसए प्रतापगढ़ की नियुक्ति को वैध न मानने के आदेश को रद कर दिया है और नए सिरे से 2 माह में आदेश पारित करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जूनियर, सीनियर बेसिक स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्ति में टीईटी की अनिवार्यता कानून पहले से कार्यरत अध्यापकों पर लागू नहीं होगा.

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Published : Feb 25, 2019, 11:51 AM IST

प्रयागराज :इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जूनियर, सीनियर बेसिक स्कूलों में अध्यापकोंकी नियुक्ति में टीईटी की अनिवार्यता कानून पहले से कार्यरत अध्यापकों पर लागू नहींहोगा. कोर्ट ने कहा कि 2010 से पहले से कार्यरत अध्यापक के प्रधानाचार्य नियुक्ति मामले में 5 वर्ष का अध्यापन अनुभव रखने वाले अध्यापक की नियुक्ति अवैध नहीं मानी जा सकती. टीईटी अनिवार्यता इस कानून के लागू होने से पहले के अध्यापकों पर लागू नहीं होगी. ऐसे में बिना टीईटी पास किये अध्यापन अनुभव के आधार पर प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति की जा सकती है. कोर्ट ने बीएसए प्रतापगढ़ के नियुक्ति को वैध न मानने के आदेश को रद्द कर दिया है और नए सिरे से 2 माह में आदेश पारित करने का निर्देश दिया है.

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यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली नेदिया है. याची अधिवक्ता सन्तोष कुमार त्रिपाठी का कहना था कि याची 2007 में सहायक अध्यापक नियुक्त हुआ, उस समय अध्यापक नियुक्ति में टीईटी अनिवार्य नहीं थी.याची की नियुक्ति पूर्णतया वैध थी. जूनियर हाई स्कूल के प्रधानाचार्य की नियुक्ति का 2018 में विज्ञापन निकाला गया. याची औरअन्य लोग शामिल हुए. याची का चयन कर अनुमोदन के लिए बीएसए को भेजा गया. बीएसए प्रतापगढ़ ने नियुक्ति को यह कहते हुए वैध नहीं माना कि याची टीईटी पास नहीं है.

जिसे चुनौती दी गयी. तर्क दिया गया कि टीईटी की अनिवार्यता का कानून 2010 में लागू हुआ. राज्य सरकार ने 2012 में प्रभावी किया. याची इसके लागू होने के पहले से अध्यापक है. प्रधानाचार्य के लिए 5 वर्ष के अनुभव सहित कानून के तहत निर्धारित योग्यता रखता है. उस पर बाद में लागू हुआ कानून लागू नहीं होगा. प्रधानचार्य के लिए नियमावली में निर्धारित योग्यता रखने के कारण उसकी नियुक्ति नियमानुसार होने के नाते वैध है. जिसे कोर्ट ने न्यायिक निर्णयों और कानूनी प्रावधानों पर विचार करते हुए सही माना. वहींबीएसए को सकारण आदेश पारित करने का निर्देश देते हुए याचिका स्वीकार कर ली है.

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प्रयागराज :इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जूनियर, सीनियर बेसिक स्कूलों में अध्यापकोंकी नियुक्ति में टीईटी की अनिवार्यता कानून पहले से कार्यरत अध्यापकों पर लागू नहींहोगा. कोर्ट ने कहा कि 2010 से पहले से कार्यरत अध्यापक के प्रधानाचार्य नियुक्ति मामले में 5 वर्ष का अध्यापन अनुभव रखने वाले अध्यापक की नियुक्ति अवैध नहीं मानी जा सकती. टीईटी अनिवार्यता इस कानून के लागू होने से पहले के अध्यापकों पर लागू नहीं होगी. ऐसे में बिना टीईटी पास किये अध्यापन अनुभव के आधार पर प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति की जा सकती है. कोर्ट ने बीएसए प्रतापगढ़ के नियुक्ति को वैध न मानने के आदेश को रद्द कर दिया है और नए सिरे से 2 माह में आदेश पारित करने का निर्देश दिया है.

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यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली नेदिया है. याची अधिवक्ता सन्तोष कुमार त्रिपाठी का कहना था कि याची 2007 में सहायक अध्यापक नियुक्त हुआ, उस समय अध्यापक नियुक्ति में टीईटी अनिवार्य नहीं थी.याची की नियुक्ति पूर्णतया वैध थी. जूनियर हाई स्कूल के प्रधानाचार्य की नियुक्ति का 2018 में विज्ञापन निकाला गया. याची औरअन्य लोग शामिल हुए. याची का चयन कर अनुमोदन के लिए बीएसए को भेजा गया. बीएसए प्रतापगढ़ ने नियुक्ति को यह कहते हुए वैध नहीं माना कि याची टीईटी पास नहीं है.

जिसे चुनौती दी गयी. तर्क दिया गया कि टीईटी की अनिवार्यता का कानून 2010 में लागू हुआ. राज्य सरकार ने 2012 में प्रभावी किया. याची इसके लागू होने के पहले से अध्यापक है. प्रधानाचार्य के लिए 5 वर्ष के अनुभव सहित कानून के तहत निर्धारित योग्यता रखता है. उस पर बाद में लागू हुआ कानून लागू नहीं होगा. प्रधानचार्य के लिए नियमावली में निर्धारित योग्यता रखने के कारण उसकी नियुक्ति नियमानुसार होने के नाते वैध है. जिसे कोर्ट ने न्यायिक निर्णयों और कानूनी प्रावधानों पर विचार करते हुए सही माना. वहींबीएसए को सकारण आदेश पारित करने का निर्देश देते हुए याचिका स्वीकार कर ली है.

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प्रयागराज 25 फरवरी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जूनियर ,सीनियर बेसिक स्कूलों में अध्यापको की नियुक्ति में टी इ टी की अनिवार्यता कानून पहले से कार्यरत अध्यापको पर लागू नही होगा।2010 से पहले से कार्यरत अध्यापक के प्रधानाचार्य नियुक्ति मामले में 5 वर्ष का अध्यापन अनुभव रखने वाले अध्यापक की नियुक्ति अवैध नही मानी जा सकती।
टी इ टी अनिवार्यता इस कानून के लागू होने से पहले के अध्यापको पर लागू नही होगी।ऐसे में बिना टी इ टी पास किये अध्यापन अनुभव के आधार पर प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति की जा सकती है।कोर्ट ने बी एस ए प्रतापगढ़ के नियुक्ति को वैध न मानने के आदेश को रद्द कर दिया है और नए सिरे से 2 माह में आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली ने ओम प्रकाश त्रिपाठी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची अधिवक्ता सन्तोष कुमार त्रिपाठी का कहना था कि याची 2007 में सहायक अध्यापक नियुक्त हुआ ,उस समय अध्यापक नियुक्ति में टी इ टी अनिवार्य नही थी। याची की नियुक्ति पूर्णतया वैध थी।जूनियर हाई स्कूल के प्रधानाचार्य की नियुक्ति का 2018 में विज्ञापन निकाला गया।याची व् अन्य लोग शामिल हुए ।याची का चयन कर अनुमोदन के लिए बी एस ए को भेजा गया।बी एस ए प्रतापगढ़ ने नियुक्ति को यह कहते हुए वैध नही माना कि याची टी इ टी पास नही है।जिसे चुनौती दी गयी।तर्क दिया गया कि टी इ टी की अनिवार्यता का कानून 2010 में लागू हुआ ।राज्य सरकार ने 2012 में प्रभावी किया।याची इसके लागू होने के पहले से अध्यापक है।प्रधानाचार्य के लिए 5 वर्ष के अनुभव सहित कानून के तहत निर्धारित योग्यता रखता है।उसपर बाद में लागू हुआ कानून लागू नही होगा।प्रधानचार्य के लिए नियमावली में निर्धारित योग्यता रखने के कारण उसकी नियुक्ति नियमानुसार होने के नाते वैध है।जिसे कोर्ट ने न्यायिक निर्णयों व् क़ानूनी प्रावधानों पर विचार करते हुए सही माना और बी एस ए को सकारण आदेश पारित करने का निर्देश देते हुए याचिका स्वीकार कर ली है।
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