अलीगढ़: सीएए और एनआरसी को लेकर भड़काऊ भाषण देकर चर्चा में आये डॉ. कफील खान को जमानत पर अगली सुनाई 19 अगस्त को होगी. एएमयू में सीएए व एनआरसी को लेकर भड़काऊ बयान के मामले में डॉ. कफील खान मथुरा जेल में बंद हैं. उन्हें सीजेएम कोर्ट से जमानत तो मिल गई थी, लेकिन रिहाई से पहले ही उनके खिलाफ एनएसए लगा दिया गया था. डॉ. कफील की गिरफ्तारी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी अपील की गई है.
जेएन मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने चलाई मुहिम
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जेएन मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने डॉ. कफील को रिहा करने के लिए सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई है. डॉ. कफील खान को आजाद करो के नाम से ट्विटर पर हैशटैग ट्रेंड कर रहा है. प्रियंका गांधी के साथ ही बॉलीवुड की हस्तियां जिसमें स्वरा भाष्कर, ऋचा चड्ढा ने भी अपना समर्थन दिया है.
सीएए और एनआरसी के खिलाफ दिया था भड़काऊ भाषण
सामाजिक कार्यकर्ता व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान पर पिछले साल दिसम्बर माह में एएमयू में सीएए और एनआरसी के विरोध में भड़काऊ भाषण देने पर थाना सिविल लाइन में मुकदमा दर्ज किया गया था. यूपी एसटीएफ ने इस साल 29 जनवरी को डॉक्टर कफील को मुंबई से गिरफ्तार किया था. मथुरा जेल में बंद डॉ. कफील को 10 जनवरी को सीजेएम कोर्ट से जमानत मिल गई थी. लेकिन जेल से उनकी रिहाई नहीं हुई. वहीं डॉ. कफील पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून तामील कर दिया गया. हालांकि कोर्ट से जमानत मिलने के बाद 3 दिनों तक डॉ. कफील कारागार में ही रहे और जमानत के बाद उन पर रासुका लगाई गई.
रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हमजा मलिक ने बताया कि राज्य सरकार के इशारे पर कार्रवाई की गई. जबकि कोर्ट के जमानती आदेश के बाद रासुका नहीं लगाई जा सकती. डॉ. कफील के खिलाफ जो भी मामले दर्ज हैं, उनमें सभी में जमानत दी गई है लेकिन रासुका की कार्रवाई समझ से परे है.
डॉ. हमजा मलिक ने बताया कि रासुका 3 महीने के लिए लगती है. इसके बाद एडवाइजरी बोर्ड से रासुका बढ़ाने की संस्तुति होती है. राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत सरकार को किसी भी व्यक्ति को हिरासत में रखने की शक्ति देता है. इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को एक साल तक जेल में रखा जा सकता है. रासुका उस स्थिति में लगती है जब किसी व्यक्ति से देश की सुरक्षा को खतरा हो या फिर कानून व्यवस्था बिगड़ती हो.
सोशल मीडिया पर चल रहा अभियान
डॉ. हमजा मलिक ने बताया कि मथुरा जेल में रहते हुए डॉ. कफील ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था और यह पत्र सोशल मीडिया में भी वायरल हुआ था. पत्र में कोरोना काल में जेल में अव्यवस्थाओं पर सवाल उठाया गया था. बड़ा सवाल यह है कि कोरोना काल में डॉ. कफील से किस तरह देश की सुरक्षा व कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है? डॉ. हमजा मलिक कहते हैं कि उन्हें सिर्फ राजनीतिक कारणों से निशाने पर लिया गया है. डॉ. कफील की रिहाई के लिए सोशल मीडिया पर कई तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं. लगातार लोग डॉ. कफील की रिहाई के लिए ट्वीट कर रहे हैं.