ETV Bharat / state

'मौत वाली मॉक ड्रिल' में कागजों तक सिमटी जांच कमेटियां

यूपी के आगरा में पारस हॉस्पिटल की 'मौत की मॉक ड्रिल' के मामले में जांच कछुए की चाल से चल रही है. इस संबंध में सोमवार को कुछ पीड़ितों के बयान दर्ज किए गए हैं. अधिकतर पीड़ितों को कमेटी ने बयान के लिए नोटिस नहीं दिया, जिससे आधे से ज्यादा पीड़ित बयान देने ही नहीं आए.

पारस हॉस्पिटल
पारस हॉस्पिटल
author img

By

Published : Jun 14, 2021, 10:48 PM IST

आगरा: बहुचर्चित पारस हॉस्पिटल की 'मौत की मॉक ड्रिल' की जांच के लिए गठित कमेटियां सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई हैं. सीएमओ की कमेटी की जांच कछुए की चाल से चल रही है. वहीं डीएम की जांच समिति ने सोमवार को सिर्फ पीड़ितों के बयान दर्ज किए हैं. जिसमें से अधिकतर पीड़ितों को कमेटी ने बयान के लिए नोटिस नहीं दिया, जिससे आधे से ज्यादा पीड़ित बयान देने ही नहीं आए.

बता दें कि, डीएम प्रभु नारायण सिंह ने एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है. अब तक एडीएम सिटी की अध्यक्षता वाली समिति के सामने 11 शिकायतें पहुंची हैं, जिनमें हर पीड़ित परिवार का आरोप है कि, 'मौत की मॉक ड्रिल' में उनके 'अपनों' की हॉस्पिटल संचालक डॉ. अरिंजय जैन ने हत्या की थी. इन शिकायतों से जिला प्रशासन के 26 और 27 अप्रैल को बताए गए मौत के आंकड़ों की पोल खुल रही है.

एडीएम सिटी ने दर्ज किया बयान

एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी के कार्यालय में पारस हॉस्पिटल के मामले में सोमवार शाम तक शिकायत और प्रत्यावेदन वाले पहले पीड़ित परिवार के बयान दर्ज किए. सभी ने 26 और 27 अप्रैल को ऑक्सीजन कमी से मरीजों की मौत का आरोप लगाया है. जो पीड़ित परिवार एडीएम सिटी के सामने बयान दर्ज कराने आए. उन्होंने मौत वाली मॉक ड्रिल से संबंधित अपने साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं. जिनकी जांच कमेटी करेगी. मगर, इसके अलावा 8 ऐसे पीड़ित परिवार बचे हैं. जिनके पास बयान दर्ज कराने का अभी तक जिला प्रशासन का नोटिस नहीं पहुंचा है. इसको लेकर भी जिला प्रशासन की कमेटी की जांच पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

स्वास्थ्य विभाग की जांच अटकी

सीएमओ डॉ. आरसी पांडेय ने 'मौत वाली मॉक ड्रिल' की पड़ताल के लिए एक कमेटी बनाई थी. सीएमओ की कमेटी में एसीएमओ डॉ. वीरेंद्र भारती और एसीएमओ डॉ. संजीव वर्मन शामिल हैं. एक सप्ताह के बाद भी अभी इस मामले में कमेटी की जांच रिपोर्ट अटक गई है. क्योंकि, कमेटी में शामिल एसीएमओ डॉ. वीरेंद्र भारती छुट्टी पर हैं. सीएमओ ने भले ही पारस हॉस्पिटल का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. सीएमओ की जांच कमेटी सिर्फ कागजी साबित हो रही है.

यह था मामला

ताजनगरी में आगरा-दिल्ली हाईवे स्थित पारस हॉस्पिटल संचालक के डॉ. अरिंजय जैन के 7 जून को चार वीडियो वायरल हुए. जिसमें डॉ. अरिंजय जैन अपने हॉस्पिटल में भर्ती कोविड-19 मरीजों की पांच मिनट आक्सीजन हटाने की 'मॉक ड्रिल' की बात कर रहे हैं. यह 'मॉक ड्रिल' 26 अप्रैल-2021 को हुई थी. उस समय हॉस्पिटल में 96 मरीज भर्ती थे. जिसमें से गंभीर 22 मरीजों की हालत खराब हो गई थी. इस मामले के तूल पकड़ने और हड़कंप मचने पर जिला प्रशासन ने पारस हॉस्पिटल सील करके डॉ. अरिंजय जैन के खिलाफ महामारी एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया है.

आगरा: बहुचर्चित पारस हॉस्पिटल की 'मौत की मॉक ड्रिल' की जांच के लिए गठित कमेटियां सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई हैं. सीएमओ की कमेटी की जांच कछुए की चाल से चल रही है. वहीं डीएम की जांच समिति ने सोमवार को सिर्फ पीड़ितों के बयान दर्ज किए हैं. जिसमें से अधिकतर पीड़ितों को कमेटी ने बयान के लिए नोटिस नहीं दिया, जिससे आधे से ज्यादा पीड़ित बयान देने ही नहीं आए.

बता दें कि, डीएम प्रभु नारायण सिंह ने एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है. अब तक एडीएम सिटी की अध्यक्षता वाली समिति के सामने 11 शिकायतें पहुंची हैं, जिनमें हर पीड़ित परिवार का आरोप है कि, 'मौत की मॉक ड्रिल' में उनके 'अपनों' की हॉस्पिटल संचालक डॉ. अरिंजय जैन ने हत्या की थी. इन शिकायतों से जिला प्रशासन के 26 और 27 अप्रैल को बताए गए मौत के आंकड़ों की पोल खुल रही है.

एडीएम सिटी ने दर्ज किया बयान

एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी के कार्यालय में पारस हॉस्पिटल के मामले में सोमवार शाम तक शिकायत और प्रत्यावेदन वाले पहले पीड़ित परिवार के बयान दर्ज किए. सभी ने 26 और 27 अप्रैल को ऑक्सीजन कमी से मरीजों की मौत का आरोप लगाया है. जो पीड़ित परिवार एडीएम सिटी के सामने बयान दर्ज कराने आए. उन्होंने मौत वाली मॉक ड्रिल से संबंधित अपने साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं. जिनकी जांच कमेटी करेगी. मगर, इसके अलावा 8 ऐसे पीड़ित परिवार बचे हैं. जिनके पास बयान दर्ज कराने का अभी तक जिला प्रशासन का नोटिस नहीं पहुंचा है. इसको लेकर भी जिला प्रशासन की कमेटी की जांच पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

स्वास्थ्य विभाग की जांच अटकी

सीएमओ डॉ. आरसी पांडेय ने 'मौत वाली मॉक ड्रिल' की पड़ताल के लिए एक कमेटी बनाई थी. सीएमओ की कमेटी में एसीएमओ डॉ. वीरेंद्र भारती और एसीएमओ डॉ. संजीव वर्मन शामिल हैं. एक सप्ताह के बाद भी अभी इस मामले में कमेटी की जांच रिपोर्ट अटक गई है. क्योंकि, कमेटी में शामिल एसीएमओ डॉ. वीरेंद्र भारती छुट्टी पर हैं. सीएमओ ने भले ही पारस हॉस्पिटल का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. सीएमओ की जांच कमेटी सिर्फ कागजी साबित हो रही है.

यह था मामला

ताजनगरी में आगरा-दिल्ली हाईवे स्थित पारस हॉस्पिटल संचालक के डॉ. अरिंजय जैन के 7 जून को चार वीडियो वायरल हुए. जिसमें डॉ. अरिंजय जैन अपने हॉस्पिटल में भर्ती कोविड-19 मरीजों की पांच मिनट आक्सीजन हटाने की 'मॉक ड्रिल' की बात कर रहे हैं. यह 'मॉक ड्रिल' 26 अप्रैल-2021 को हुई थी. उस समय हॉस्पिटल में 96 मरीज भर्ती थे. जिसमें से गंभीर 22 मरीजों की हालत खराब हो गई थी. इस मामले के तूल पकड़ने और हड़कंप मचने पर जिला प्रशासन ने पारस हॉस्पिटल सील करके डॉ. अरिंजय जैन के खिलाफ महामारी एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.