आगरा: ताजनगरी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संगठन की खेमेबाजी थम नहीं रही है. पहले आगरा महानगर की टीम में खेमेबाजी शुरू हुई. अब संगठनात्मक चुनाव से पहले भाजपा की खेमेबंदी तेज हो गई है. इसमें जिले के चार विधायक शामिल हैं, जो मनमाफिक जिलाध्यक्ष बनवाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं. भाजपा के चार विधायकों का एक वायरल ऑडियो अब चर्चा का विषय बन गया है. इसमें चारों कह रहे हैं कि मिलकर चलेंगे तो आंखें निकाल लेंगे. देखेंगे कैसे काम नहीं होंगे? कुछ लोग ऑडियो को एक कैबिनट मंत्री के खिलाफ बताकर विरोध में हवा बनाने में जुटे हैं. ये वायरल ऑडियो संगठन चुनाव पर्यवेक्षक संजय राय के आगमन से पहले का बताया जा रहा है. इसकी सत्यता की पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.
बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा अपना संगठन मजबूत करना चाहती है. इसलिए, लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के संगठनात्मक चुनाव का तानाबाना बुना जा रहा है. आगरा में जनप्रतिनिधियों की नब्ज टटालने और फीडबैक लेने के लिए पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश महामंत्री संजय राय आगरा आए. उन्हें पार्टी ने पर्यवेक्षक बनाकर भेजा था. उन्होंने जिले के सांसद, विधायक, मंत्री, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक और संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों से जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष के संभावित दावेदारों के नामों को लेकर फतेहाबाद रोड स्थित एक होटल में चर्चा की.
पर्यवेक्षक से मिलने से पहले विधायकों की बैठक
सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो पर्यवेक्षक संजय राय से मुलाकात से पहले चारों विधायकों की बैठक का है. इसमें तय हुआ कि पर्यवेक्षक से मिलने चारों साथ जाएंगे. कोई अकेले में बात नहीं करेगा. वायरल ऑडियो में एक विधायक चारों को एकजुट रहने का मशविरा दे रहे हैं. कह रहे हैं कि तय कर लीजिए. अकेले कोई नहीं मिलेगा. मिलकर अपनी बात रखेंगे. यह हमारा लोकतंत्र है. कुशवाह, ठाकुर, जाट और माहौर समाज की बात रखेंगे. हम चार मिलकर चलेंगे, तो आंखें निकाल लेंगे. एक विधायक ने यह भी कहा कि जिले से नौ विधायक हैं फिर भी काम नहीं हो रहे हैं.
वे मंत्री हैं हमारी नहीं सुनेंगी
वायरल ऑडियो में एक विधायक ने कहा कि बस तय हो गया. अब सभी साथ मिलकर ही जाएंगे. इसी बीच एक विधायक ने आगरा ग्रामीण से विधायक कैबिनेट मंत्री बेबीरानी मौर्य से भी बात करने को कहा. इस पर दूसरे विधायक ने कहा कि वे मंत्री हैं. हमारी कहां सुनेंगी. यह कहते-कहते उन्होंने किस्सा सुनाना शुरू कर दिया कि एक बार उन्होंने खाने पर बुलाया. हम वहां गए. लेकिन, रोटी भी नहीं मिली. कई बार मांगी. लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हो रही थी. भूखे बैठे रहे. फिर एक विधायक हिदायत देते हैं कि यह बात बाहर नहीं जानी चाहिए. इसी बीच कोई प्रभावशाली व्यक्ति उन चारों के बीच पहुंचता है और विधायक उनके स्वागत में जुट जाते हैं. वायरल ऑडियो करीब-करीब पांच मिनट वार्ता का है.
मनमाफिक जिलाध्यक्ष बनाने की योजना
आगरा के जिन चार विधायक के बैठक में शामिल होने की बात हुई है. उनमें बाह की विधायक रानी पक्षालिका सिंह, खेरागढ़ विधायक भगवान सिंह कुशवाह, फतेहाबाद विधायक छोटे लाल और फतेहपुर सीकरी के विधायक चौधरी बाबूलाल शामिल हैं. इनकी बैठक से भाजपा में जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष पद के लिए चल रही खेमेबाजी को हवा मिल रही है. पार्टी के कार्यकर्ता अब चार विधायकों के बीच हुई बातचीत को दूसरे नजरिए से देख रहे हैं. उनका मानना है कि चार विधायक मिलकर अपने मनमाफिक जिलाध्यक्ष बनाने की योजना बना रहे हैं.
जनता की समस्या पर चर्चा हुई
बाह विधायक रानी पक्षालिका सिंह का इस बारे में कहना है कि जनता की समस्या, क्षेत्र के विकास और अन्य मुद्दों पर चर्चा होती है. अधिकारियों के समक्ष साथ मिलकर अपनी बात रखते हैं तो असर ज्यादा होता है. किसी मंत्री या मुख्यमंत्री से भी साथ मिलकर क्षेत्र की समस्या रखते हैं तो नतीजे सकारात्मक होते हैं. रही बात कैबिनेट मंत्री की तो उनके खिलाफ कोई बात नहीं कही गई है.
मैंने कहा था कि सभी मिलकर राय रखेंगे
फतेहपुर सीकरी से भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल बताते हैं कि पर्यवेक्षक संजय राय से मिलने से पहले बैठक हुई थी. इसमें तय किया गया था कि चारों विधायक उनसे अलग-अलग नहीं मिलेंगे. उनसे मिलकर अपनी राय पेश करेंगे. सभी वर्गों से संभावित दावेदारों के नाम दिए जाएंगे. ये सामान्य बात है. निर्णय तो नेतृत्व को करना है. कैबिनेट मंत्री के खिलाफ कोई बात नहीं कही गई है.
फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक छोटेलाल वर्मा बताते हैं कि चारों विधायक एक स्थान पर बैठे थे. हमारी बातें हुई थीं. इसमें तय हुआ था कि पर्यवेक्षक से मिलने सभी साथ जाएंगे. सभी समाज के प्रतिनिधित्व के लिए अपनी राय देंगे. मैंने कहा था कि कोई अकेला नहीं जाएगा. इस बैठक का ऑडियो किसने, किस उद्देश्य से बनाया. कुछ नहीं कह सकता हूं. लोग गलत बयानबाजी कर रहे हैं.
बड़ा सवाल ऑडियो वायरल कैसे हुआ
वायरल ऑडियो में केवल चार विधायकों के बीच चर्चा हुई. जो आम कैसे हो गई. ऑडियो पर ज्यादा चर्चा से तो भाजपा में अब यह सवाल उठ रहा है. पार्टी कार्यकर्ता कह रहे हैं कि जब बैठक में चार विधायक आपस में बात कर रहे हैं और उनके अतिरिक्त कोई नहीं है तो ऑडियो बनाया किसने और फिर वायरल कैसे हुआ. ऑडियो वायरल करने के पीछे आखिर मकसद क्या है.
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