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आगरा के इस सेंटर में बढ़ रही भालुओं की उम्र, जानें भालू संरक्षण केंद्र की खासियत

आगरा-दिल्ली हाईवे पर सूर सरोवर पक्षी विहार सबसे बड़ा 'स्लॉथ भालू' संरक्षण केंद्र है, जो करीब 25 एकड़ में फैला है. संरक्षण केन्द्र में 115 भालूओं का 50 से ज्यादा कर्मचारी बच्चों की तरह ख्याल रखते हैं. भालूओं का मौसम के हिसाब से रहन-सहन, देखरेख और बेहतरीन चिकित्सा व्यवस्था मिलने से उनकी उम्र बढ़ी है. आइए आज जानते हैं कैसे देख भाल होती हैं इन भालुओं की.

जानें भालू संरक्षण केंद्र की खासियत
जानें भालू संरक्षण केंद्र की खासियत
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Published : Sep 15, 2021, 2:13 PM IST

आगरा: ताजमहल के शहर में भालुओं को खूब दुलार, प्यार और अच्छी देखभाल मिल रही हैं. जिससे यहां रह रहे भालू औसत उम्र का आंकड़ा पार कर गए हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं. आगरा-दिल्ली हाईवे पर सूर सरोवर पक्षी विहार में स्थित दुनियां के सबसे बड़े 'स्लॉथ भालू' संरक्षण केंद्र की, जो करीब 25 एकड़ में फैला है. संरक्षण केन्द्र में 115 भालूओं का 50 से ज्यादा कर्मचारी बच्चों की तरह ख्याल रखते हैं. भालूओं का मौसम के हिसाब से रहन-सहन, देखरेख और बेहतरीन चिकित्सा व्यवस्था मिलने से उनकी उम्र बढ़ी है. यहां पर चार भालू 25 साल से ज्यादा उम्र के हो गए हैं तो 30 साल का आंकड़ा भी भालू छू चुके हैं.


कीठम सूर सरोवर परिसर में वाइल्ड लाइफ एसओएस का भालू संरक्षण केंद्र संचालित है. यहां पर कलंदरों से मुक्त कराए गए भालुओं को लाया गया है. यह 'स्लॉथ भालू' का सबसे सुरक्षित संरक्षण केंद्र हैं. जहां हर भालू के खानपान की व्यवस्था उम्र के हिसाब की जाती है. यहां पर हर भालू के खाने की पसंद और नापसंद का पूरा ख्याल रखा जाता है. हर भालू की हेल्थ का रिकॉर्ड भी मेंटेन किया जाता है.

जानें भालू संरक्षण केंद्र की खासियत
वाइल्ड लाइफ एसओएस के डिप्टी डायरेक्टर वेटनरी डॉ. इलया राजा ने बताया कि, यहां पर हमारे पास 115 भालू हैं. हर भालू की उम्र के हिसाब से डाइट चार्ट बनाया है. उसी हिसाब से भालू को दलिया, फल और दवाएं दी जाती हैं. यहां दिनभर दिन में तीन से पांच किलोग्राम दलिया खिलाया जाता है. भालुओं को सुबह खाने में मिक्स अनाज का मीठा दलिया दिया जाता है. भालुओं की पसंद के मुताबिक, दलिया में शहद, दूध और खजूर भी दिया जाता है. दोपहर में भालुओं को तरबूज, पपीता, केला, चीकू, अंगूर और अनार खिलाए जाते हैं. उसके बाद शाम को फिर दलिया दिया जाता है.
कलंदरों से भालू किए गए रेस्क्यू
भालू संरक्षण केंद्र में देशभर से कलंदरों से रेस्क्यू किए गए भालुलों को लाया गया था. यहां पर चार साल से लेकर वयस्क भालू आए थे. चमेली नाम की मादा भालू को 12 साल की उम्र में रेस्क्यू करके संरक्षण केंद्र लाया गया था. जबकि, कलंदर से रेस्क्यू के समय इंद्रा की उम्र 11 साल थी. बाबर 10 साल की उम्र में और गणेश की रेस्क्यू के समय उम्र 8 साल थी.

कलंदरों से भालू किए गए रेस्क्यू
कलंदरों से भालू किए गए रेस्क्यू

दुनियां का सबसे बड़ा स्लॉथ बियर का केंद्र
वाइल्ड लाइफ एसओएस के डिप्टी डायरेक्टर वेटनरी डॉ. इलया राजा ने बताया कि, हमारे यहां चार साल से लेकर 25 साल तक की उम्र वाले भालू हैं. सभी भालू कलंदरों से रेस्क्यू करके यहां पर लाया गया है. भालुओं को हमने एज ग्रुप के हिसाब से अलग-अलग जगह रखा है. जिससे हम सभी की अच्छी तरह से देखभाल कर सकते हैं. भालुओं की औसत उम्र 20-25 वर्ष है. मगर, हमारे यहां अभी चमेली नाम की मादा भालू की उम्र 30 साल हो गई है. इंद्रा की उम्र 26 साल है. जबकि, गणेशा और बाबर की उम्र 25-25 साल पार है. संरक्षण केंद्र में आने से प्रिया नाम की मादा भालू 32 साल तक जीवित रही थी.

भालू संरक्षण केंद्र में अत्याधुनिक अस्पताल
भालू संरक्षण केंद्र में अत्याधुनिक अस्पताल
भालू संरक्षण केंद्र में अत्याधुनिक अस्पताल
वाइल्ड लाइफ एसओएस के डिप्टी डायरेक्टर वेटनरी डॉ. इलया राजा ने बताया कि, भालू संरक्षण केंद्र में अस्पताल भी है. यहां पर बीमार और वृद्ध भालुओं की विशेष चिकित्सा की व्यवस्था है. हमारे पास थर्मल इमेजिंग कैमरा, डिजिटल एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, दंत सुइट, ऑपरेशन थिएटर सहित अन्य तमाम अत्याधुनिक उपकरण मौजूद हैं. जिससे बीमार भालुओं का इलाज किया जाता है. कलंदर से रेस्क्यू करके लाए गए अधितर भालुओं के दांत खराब हैं. दातों की साफ सफाई के साथ भालुओं की पाचन क्रिया सही रखने लिए दवाएं देते हैं. कुछ भालू अंधे भी हैं. कुछ भालुओं की उम्र के चलते आंखों की रोशनी कम हो गई है. ऐसे भालुओं को विटामिन-ए और अन्य दवाएं दी जाती हैं. वृद्ध भालुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. इसलिए साल में 4 बार ऐसे वृद्ध भालुओं का एक विशेष कोर्स होता है, जिसमें उन्हें कैलशियम सप्लीमेंट्स के साथ अन्य तमाम दवाएं दी जाती हैं. जिससे उनका लिवर और किडनी अच्छी तरह से काम करें.

कलंदरों से भालू किए गए रेस्क्यू
कलंदरों से भालू किए गए रेस्क्यू
संरक्षण केंद्र से टूट रही जंगल से भालुओं को लाने की चेन

वाइल्ड लाइफ एसओएस के डायरेक्टर बैजू राज ने बताया कि, संरक्षण केंद्र को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य यही था कि जंगल से भालूओं को लाने की चेन बंद हो जाए. जितने हमारे पास भालू हैं, उन्हें बचाया जा सके. यहां पर भालूओं की बेहतर देखरेख की जा रही है. इसके साथ ही उनकी पसंद और नापसंद के हिसाब से डाइट चार्ट भी बनाया जाता है. क्योंकि तमाम भालू ऐसे हैं, जो अलग अलग चीज खाना पसंद करते हैं. बहुत भालू दूध पीते हैं. कई भालू दलिया में दूध खाना पसंद करते हैं तो कई भालू नारियल को बड़े चाव से खाते हैं. कई भालू ऐसे हैं जो खजूर खाना आप बहुत पसंद करते हैं. कई भालू ऐसे हैं, जो गर्मी में भी तरबूज खाना नहीं चाहते हैं. बेहतर डाइट और देखभाल से भालुओं की उम्र बढ़ी है.
जानें भालू संरक्षण केंद्र की खासियत
जानें भालू संरक्षण केंद्र की खासियत
बता दें कि वाइल्ड लाइफ एसओएस ने साल 1995 से देशभर में भालू के संरक्षण और संवर्धन पर काम शुरू किया. साल 2002 तक लगातार जागरूकता फैलाने के बाद पहला भालू रेस्क्यू किया गया और 2009 तक वाइल्डलाइफ एसओएस ने 628 से ज्यादा मादा भालू रेस्क्यू किए गए हैं.

आगरा: ताजमहल के शहर में भालुओं को खूब दुलार, प्यार और अच्छी देखभाल मिल रही हैं. जिससे यहां रह रहे भालू औसत उम्र का आंकड़ा पार कर गए हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं. आगरा-दिल्ली हाईवे पर सूर सरोवर पक्षी विहार में स्थित दुनियां के सबसे बड़े 'स्लॉथ भालू' संरक्षण केंद्र की, जो करीब 25 एकड़ में फैला है. संरक्षण केन्द्र में 115 भालूओं का 50 से ज्यादा कर्मचारी बच्चों की तरह ख्याल रखते हैं. भालूओं का मौसम के हिसाब से रहन-सहन, देखरेख और बेहतरीन चिकित्सा व्यवस्था मिलने से उनकी उम्र बढ़ी है. यहां पर चार भालू 25 साल से ज्यादा उम्र के हो गए हैं तो 30 साल का आंकड़ा भी भालू छू चुके हैं.


कीठम सूर सरोवर परिसर में वाइल्ड लाइफ एसओएस का भालू संरक्षण केंद्र संचालित है. यहां पर कलंदरों से मुक्त कराए गए भालुओं को लाया गया है. यह 'स्लॉथ भालू' का सबसे सुरक्षित संरक्षण केंद्र हैं. जहां हर भालू के खानपान की व्यवस्था उम्र के हिसाब की जाती है. यहां पर हर भालू के खाने की पसंद और नापसंद का पूरा ख्याल रखा जाता है. हर भालू की हेल्थ का रिकॉर्ड भी मेंटेन किया जाता है.

जानें भालू संरक्षण केंद्र की खासियत
वाइल्ड लाइफ एसओएस के डिप्टी डायरेक्टर वेटनरी डॉ. इलया राजा ने बताया कि, यहां पर हमारे पास 115 भालू हैं. हर भालू की उम्र के हिसाब से डाइट चार्ट बनाया है. उसी हिसाब से भालू को दलिया, फल और दवाएं दी जाती हैं. यहां दिनभर दिन में तीन से पांच किलोग्राम दलिया खिलाया जाता है. भालुओं को सुबह खाने में मिक्स अनाज का मीठा दलिया दिया जाता है. भालुओं की पसंद के मुताबिक, दलिया में शहद, दूध और खजूर भी दिया जाता है. दोपहर में भालुओं को तरबूज, पपीता, केला, चीकू, अंगूर और अनार खिलाए जाते हैं. उसके बाद शाम को फिर दलिया दिया जाता है.
कलंदरों से भालू किए गए रेस्क्यू
भालू संरक्षण केंद्र में देशभर से कलंदरों से रेस्क्यू किए गए भालुलों को लाया गया था. यहां पर चार साल से लेकर वयस्क भालू आए थे. चमेली नाम की मादा भालू को 12 साल की उम्र में रेस्क्यू करके संरक्षण केंद्र लाया गया था. जबकि, कलंदर से रेस्क्यू के समय इंद्रा की उम्र 11 साल थी. बाबर 10 साल की उम्र में और गणेश की रेस्क्यू के समय उम्र 8 साल थी.

कलंदरों से भालू किए गए रेस्क्यू
कलंदरों से भालू किए गए रेस्क्यू

दुनियां का सबसे बड़ा स्लॉथ बियर का केंद्र
वाइल्ड लाइफ एसओएस के डिप्टी डायरेक्टर वेटनरी डॉ. इलया राजा ने बताया कि, हमारे यहां चार साल से लेकर 25 साल तक की उम्र वाले भालू हैं. सभी भालू कलंदरों से रेस्क्यू करके यहां पर लाया गया है. भालुओं को हमने एज ग्रुप के हिसाब से अलग-अलग जगह रखा है. जिससे हम सभी की अच्छी तरह से देखभाल कर सकते हैं. भालुओं की औसत उम्र 20-25 वर्ष है. मगर, हमारे यहां अभी चमेली नाम की मादा भालू की उम्र 30 साल हो गई है. इंद्रा की उम्र 26 साल है. जबकि, गणेशा और बाबर की उम्र 25-25 साल पार है. संरक्षण केंद्र में आने से प्रिया नाम की मादा भालू 32 साल तक जीवित रही थी.

भालू संरक्षण केंद्र में अत्याधुनिक अस्पताल
भालू संरक्षण केंद्र में अत्याधुनिक अस्पताल
भालू संरक्षण केंद्र में अत्याधुनिक अस्पताल
वाइल्ड लाइफ एसओएस के डिप्टी डायरेक्टर वेटनरी डॉ. इलया राजा ने बताया कि, भालू संरक्षण केंद्र में अस्पताल भी है. यहां पर बीमार और वृद्ध भालुओं की विशेष चिकित्सा की व्यवस्था है. हमारे पास थर्मल इमेजिंग कैमरा, डिजिटल एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, दंत सुइट, ऑपरेशन थिएटर सहित अन्य तमाम अत्याधुनिक उपकरण मौजूद हैं. जिससे बीमार भालुओं का इलाज किया जाता है. कलंदर से रेस्क्यू करके लाए गए अधितर भालुओं के दांत खराब हैं. दातों की साफ सफाई के साथ भालुओं की पाचन क्रिया सही रखने लिए दवाएं देते हैं. कुछ भालू अंधे भी हैं. कुछ भालुओं की उम्र के चलते आंखों की रोशनी कम हो गई है. ऐसे भालुओं को विटामिन-ए और अन्य दवाएं दी जाती हैं. वृद्ध भालुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. इसलिए साल में 4 बार ऐसे वृद्ध भालुओं का एक विशेष कोर्स होता है, जिसमें उन्हें कैलशियम सप्लीमेंट्स के साथ अन्य तमाम दवाएं दी जाती हैं. जिससे उनका लिवर और किडनी अच्छी तरह से काम करें.

कलंदरों से भालू किए गए रेस्क्यू
कलंदरों से भालू किए गए रेस्क्यू
संरक्षण केंद्र से टूट रही जंगल से भालुओं को लाने की चेन

वाइल्ड लाइफ एसओएस के डायरेक्टर बैजू राज ने बताया कि, संरक्षण केंद्र को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य यही था कि जंगल से भालूओं को लाने की चेन बंद हो जाए. जितने हमारे पास भालू हैं, उन्हें बचाया जा सके. यहां पर भालूओं की बेहतर देखरेख की जा रही है. इसके साथ ही उनकी पसंद और नापसंद के हिसाब से डाइट चार्ट भी बनाया जाता है. क्योंकि तमाम भालू ऐसे हैं, जो अलग अलग चीज खाना पसंद करते हैं. बहुत भालू दूध पीते हैं. कई भालू दलिया में दूध खाना पसंद करते हैं तो कई भालू नारियल को बड़े चाव से खाते हैं. कई भालू ऐसे हैं जो खजूर खाना आप बहुत पसंद करते हैं. कई भालू ऐसे हैं, जो गर्मी में भी तरबूज खाना नहीं चाहते हैं. बेहतर डाइट और देखभाल से भालुओं की उम्र बढ़ी है.
जानें भालू संरक्षण केंद्र की खासियत
जानें भालू संरक्षण केंद्र की खासियत
बता दें कि वाइल्ड लाइफ एसओएस ने साल 1995 से देशभर में भालू के संरक्षण और संवर्धन पर काम शुरू किया. साल 2002 तक लगातार जागरूकता फैलाने के बाद पहला भालू रेस्क्यू किया गया और 2009 तक वाइल्डलाइफ एसओएस ने 628 से ज्यादा मादा भालू रेस्क्यू किए गए हैं.
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