आगराः चंबल के बीहड़ में कुख्यात बदन सिंह और उसका जिगरी दोस्त कुख्यात केशव गुर्जर का गिरोह का डेरा है. बदन सिंह यूपी, एमपी और राजस्थान पुलिस को लगातार चकमा देकर अपनी लोकेशन बदलता रहता है. जब यूपी पुलिस घेराबंदी करती है तो वह एमपी की सीमा में चला जाता है. जब एमपी पुलिस घेराबंदी करे तो राजस्थान की सीमा में ठिकाना बना लेता है. धौलपुर के बीहड़ से आगरा पुलिस और एसटीएफ ने 30 घंटे बाद अगवा किए गए वरिष्ठ चिकित्सक उमाकांत गुप्ता को बुधवार शाम को मुक्त कराया है.
आगरा पुलिस और धौलपुर पुलिस फरार बदन सिंह और उसके साथियों की कुंडली बना रही है. डॉक्टर को मुक्त कराने के दौरान पुलिस ने बदन सिंह गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है. आगरा पुलिस और राजस्थान पुलिस की पूछताछ में पकड़े गए पवन और मंगला उर्फ संध्या ने कई अहम खुलासे किए हैं. कुख्यात बदन सिंह चार से पांच दिन ही 'पकड़' (अपहरण किया गया व्यक्ति) अपने पास रखता है. जैसे ही पुलिस की घेराबंदी बढ़ी, वो अपनी 'पकड़' का सौदा कुख्यात केशव गुर्जर से करके उसके सुपुर्द कर देता है. बदन सिंह के गिरोह में परिजन, परिचित और रिश्तेदार हैं.
एसपी सिटी रोहन पी बोत्रे ने बताया कि, कुख्यात बदन सिंह और उसके फरार साथियों की तलाश की जा रही है. बदन सिंह के गिरेाह में उसके परिजन, परिचित और रिश्तेदार हैं. क्योंकि, उसे दूसरे लोगों का भरोसा नहीं है. परिजन, परिचित और रिश्तेदार पकड़े जाने पर जल्दी मुंह नहीं खोलते हैं. अपहरण करने और अपहृत को रखने की योजना भी बाहर नहीं जाती है.
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पुलिस की मानें तो बदन सिंह का आगरा से पुराना नाता है. यहां से पहले भी वह अपहरण की घटना को अंजाम दे चुका है. अक्टूबर 2017 में बदन सिंह ने सरमथुरा रोड, धौलपुर निवासी डाॅ. निखिल बंसल का सदर थाना के मधुनगर से अपहरण किया था. कारोबारी को भी गिरोह ने अगवा करके फिरौती वसूली है. गिरोह अक्सर टारगेट की गाड़ी ही वारदात में इस्तेमाल करता है. जिससे चैकिंग में पकड़े जाने का डर नहीं होता है.
बदन सिंह का साॅफ्ट टारगेट चिकित्सक और कारोबारी रहे हैं. एसपी सिटी रोहन पी बोत्रे ने बताया कि, राजस्थान, एमपी और यूपी में बदन सिंह और उसके साथियों के खिलाफ कितने मुकदमे हैं, इसकी सूची बनाई जा रही है. बदन सिंह और उसके साथियों को बक्शा नहीं जाएगा. इसलिए फरार बदन सिंह पर एक लाख रुपये और उसके चार साथियों पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है. बदन सिंह गिरोह के सदस्यों की 'कुंडली' बनाई जा रही है.
मुक्त कराए गए डाॅ. उमाकांत गुप्ता का कहना है कि, पुलिस की घेराबंदी से घबराकर बदन सिंह और उसके साथियों ने उसे दूसरे गिरोह को शिफ्ट करने तैयारी कर ली थी. मगर, पुलिस जल्द पहुंच गई. इसलिए मेरी जान बच गई. इस बारे में आगरा और धौलपुर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि, बदन सिंह अक्सर अपने पास चार से पांच दिन ही 'पकड़' रखता है. जब रुपये देने में देरी हो या पुलिस की घेराबंधी का डर बढ़ते ही बदन सिंह अपनी 'पकड़' का सौदा कुख्यात केशव गुर्जर करके खुद अलग हो जाता है. क्योंकि, कुख्यात बदन सिंह का केशव गुर्जर का जिगरी दोस्त है.