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सपा कार्यकर्ताओं का आरोप, वाराणसी नगर निगम में हो रही लोकतंत्र की हत्या

वाराणसी में बिनासदन में बजट पेश और बिना सदन में उसकी चर्चा किए नगर निगम द्वारा बजट पास कर देने से सपा नेता, कार्यकर्ताओं और विधायक ने नाराजगी जाहिर करते हुए महापौर और नगर आयुक्त पर गंभीर आरोप लगाए है.

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ज्ञापन देते हुए कार्यकर्ता
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Published : Jun 23, 2022, 9:14 PM IST

वाराणसी: पीएम मोदी संसदीय क्षेत्र में समाजवादी पार्टी के नेता, कार्यकर्ता और एमएलसी ने नगर आयुक्त और महापौर पर गंभीर आरोप लगाया है. सपा कार्यकर्ताओं ने नगर आयुक्त को ज्ञापन सौंपा है. सपा पार्षदों का आरोप है कि निचली सदन यानी नगर निगम में बिना चर्चा किए ही बजट पास कर दिया गया.

जानकारी देते एमएलसी आशुतोष सिन्हा बो


एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस में नगर निगम में लोकतंत्र की हत्या हो रही है. बिना सदन में पेश किए और चर्चा किए ही नगर निगम ने बजट पास कर दिया. बनारस के इतिहास में ऐसा पहली बार ऐसा हो रहा है. नियमावली धारा 146 के तीन में लिखा हुआ है कि 10 दिसंबर से लेकर 15 फरवरी के बीच में बजट को पेश कर देना चाहिए. 96 घंटे पहले सारे पार्षदों को सूचना देनी चाहिए.

यह भी पढ़ें-अलीगढ़: भाजपा एमएलसी और बेटों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी

लेकिन बजट पास करने से पहले पार्षदों को सूचना नहीं दी गई. यह महापौर और नगर आयुक्त की मिलीभगत है. नगर निगम आचार संहिता लगने का इंतजार कर रहा था. क्योंकि इनके मन में कहीं न कहीं गलत भावना थी. महापौर और नगर आयुक्त ने सदन जब भंग था तब सरकारी तौर पर बजट पास करा किया.


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वाराणसी: पीएम मोदी संसदीय क्षेत्र में समाजवादी पार्टी के नेता, कार्यकर्ता और एमएलसी ने नगर आयुक्त और महापौर पर गंभीर आरोप लगाया है. सपा कार्यकर्ताओं ने नगर आयुक्त को ज्ञापन सौंपा है. सपा पार्षदों का आरोप है कि निचली सदन यानी नगर निगम में बिना चर्चा किए ही बजट पास कर दिया गया.

जानकारी देते एमएलसी आशुतोष सिन्हा बो


एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस में नगर निगम में लोकतंत्र की हत्या हो रही है. बिना सदन में पेश किए और चर्चा किए ही नगर निगम ने बजट पास कर दिया. बनारस के इतिहास में ऐसा पहली बार ऐसा हो रहा है. नियमावली धारा 146 के तीन में लिखा हुआ है कि 10 दिसंबर से लेकर 15 फरवरी के बीच में बजट को पेश कर देना चाहिए. 96 घंटे पहले सारे पार्षदों को सूचना देनी चाहिए.

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लेकिन बजट पास करने से पहले पार्षदों को सूचना नहीं दी गई. यह महापौर और नगर आयुक्त की मिलीभगत है. नगर निगम आचार संहिता लगने का इंतजार कर रहा था. क्योंकि इनके मन में कहीं न कहीं गलत भावना थी. महापौर और नगर आयुक्त ने सदन जब भंग था तब सरकारी तौर पर बजट पास करा किया.


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