वाराणसी: नवरात्र में मां भगवती की आराधना की जाती है. मुख्य तौर पर वासंतिक और शारदीय नवरात्र मां भगवती का दिन माना जाता है. लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि इन दो नवरात्र के अलावा गुप्त नवरात्र मनाई जाती है. गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व होता है. इस वर्ष आषाढ़ माह में 30 जून से गुप्त नवरात्र की शुरूआत हो रही है. बड़ी बात यह है कि इस नवरात्रि में गोपनीय साधना की जाती है. भक्त तांत्रिक पूजा कर मां जगदंबा से हर बाधाओं को दूर करने की कामना करते हैं. आइए जानते हैं क्या है गुप्त नवरात्र, कैसे करते हैं मां भगवती की आराधना?
कब है मुहूर्त: पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि 30 जून को गुप्त नवरात्र की शुरुआत हो रही है और 8 जुलाई तक उसका समापन होगा. उन्होंने बताया कि घट स्थापना का मुहूर्त 30 जून सुबह 8:55 तक है. इसके पूर्व ही घटस्थापना कर ली जाएगी. उसके बाद मां की आराधना की जाएगी. गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्या मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रुमावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है.
क्या है पूजन विधि: पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि गुप्त नवरात्र में भी मां शक्ति की आराधना उसी तरह की जाती है जैसे चैत्र व शारदीय नवरात्र में की जाती है. इसमें 9 दिनों तक सुबह शाम मां दुर्गा की आराधना की जाती है. मां दुर्गा का शृंगार किया जाता है. अक्षय, रोली, चना बतासा, लौंग इत्यादि मां को अर्पित किए जाते हैं. इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती, महाविद्या का पाठ किया जाता है.
इन मंत्रों का करें जाप: उन्होंने बताया कि इस नवरात्रि में सिद्धि पूजा का मुख्य महत्व है. लोग अलग-अलग सिद्धि अलग-अलग मनोकामना के अनुसार मां दुर्गा का जाप करते हैं. ऐसे में सर्व सिद्धि के लिए एक खास मंत्र का जाप किया जाता है. ॐ क्लीं सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्यविंतम,मनुष्यों मत प्रसादेन भविष्यति न संचयः मन्त्र का जाप काफी फलदायक है.
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