वाराणसी: महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के एक दलित गेस्ट लेक्चरर ने नवरात्रि में महिलाओं को व्रत रखने को लेकर बयान दिया था. गेस्ट लेक्टरर डॉ. मिथिलेश कुमार गौतम ने लिखा था कि महिलाएं नवरात्रि में व्रत रखने के बजाय संविधान और हिंदू कोड बिल पढ़ें तो उनका ज्यादा भला होगा. इस बयान पर उठे विवाद के बाद काशी विद्यापीठ ने बीते शुक्रवार को गेस्ट लेक्टरर को निलंबित कर दिया था. अब गेस्ट लेक्चरर के निलंबन पर विरोध शुरू हो गया है. काशी विद्यापीठ की इस कार्रवाई पर बहुजन समाज के लोगों ने आपत्ति जताई है. उन्होंने कुलपति को ज्ञापन सौंप कर निलंबन रद्द करने की मांग की है.
दरअसल, डॉ. मिथिलेश कुमार गौतम ने नवरात्रि में महिलाओं को व्रत रखने को लेकर सोशल मीडिया में एक पोस्ट किया था. मिथिलेश कुमार ने अपनी पोस्ट में लिखा था कि महिलाएं नवरात्रि के दौरान 9 दिन व्रत रखने के बजाय संविधान और हिंदू कोड बिल पढ़ें तो उनका ज्यादा भला होगा. उनकी जिंदगी गुलामी और डर से आजाद हो जाएगी. सोसल मीडिया पर गेस्ट लेक्चरर यह बयान वायरल होने के बाद इस पर विवाद शुरू हो गया. इस पर कार्रवाई करते हुए काशी विद्यापीठ ने बीते शुक्रवार को दलित गेस्ट लेक्चरर डॉ. मिथिलेश कुमार गौतम को निलंबित कर दिया था.
काशी विद्यापीठ की कार्रवाई के बाद अब इस मामले ने और तूल पकड़ लिया है. दरअसल दलित समुदाय के लोग उनके गेस्ट लेक्चरर के समर्थन पर उतर आए हैं और विश्वविद्यालय की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं. शनिवार को सैकड़ो छात्रों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया. इस मामले में छात्रों ने विश्वविद्यालय के कुलपति को एक ज्ञापन भी सौंपा है. ज्ञापन में उन्होंने लिखा है कि अध्यापन के दौरान शिक्षक की तरफे से किसी धर्म या आस्था को ठेस पहुंचाई जाती तो कार्रवाई में कोई आपत्ति नहीं थी. लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत अगर उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी बात रखी है तो उसमें विश्वविद्यालय को उनका निलंबन नहीं करना चाहिए. छात्रों ने इस मामले की जांच के साथ निलंबन रद्द करने की मांग की है.
पढ़ें- गेस्ट प्रोफेसर का मां दुर्गा पर आपत्तिजनक पोस्ट, काशी विद्यापीठ के छात्रों ने किया हंगामा
कुलपति को ज्ञापन सौंपने वाले बहुजन समाज के नेता अरविंद कुमार ने कहा कि विद्यापीठ प्रशासन ने मनमानी कार्रवाई की है. किसी नोटिस के राजनीतिक विज्ञान के गेस्ट लेक्चरर को निलंबित कर दिया है, जबकि विश्वविद्यालय को यह अधिकार नहीं है. सोशल मीडिया पर पोस्ट साइबर सेल का मामला है. वहीं प्रो. दिलीप मंडल ने ट्वीट कर गेस्ट लेक्चरर का सपोर्ट किया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि इस पोस्ट पर एक शिक्षक पर कार्रवाई करना बेहद शर्मनाक है. शिक्षक का काम ही वैज्ञानिक चेतना पहुंचाना है और संविधान के तहत यही उनका कर्तव्य है.
गौरतलब है कि वाराणसी में काशी विद्यापीठ (Mahatma Gandhi Kashi Vidyapeeth) पूर्वांचल में बड़ी यूनिवर्सिटी मानी जाती है. शिक्षा और संस्कारों को लेकर यह यूनिवर्सिटी हमेशा चर्चा में रहती है. लेकिन गेस्ट लेक्चरर एक पोस्ट विवाद का कारण बन गया है. डॉ. मिथिलेश गौतम ने सोशल मीडिया पर मां दुर्गा (Objectionable Post On Maa Durga) को लेकर एक आपत्तिजनक पोस्ट किया था. पोस्ट में उन्होंने आचरण को लेकर सवाल उठाए थे. साथ ही कमेंट में उन्होंने लिखा था कि नवरात्र में 9 दिन व्रत करने से अच्छा है कि महिलाएं संविधान और हिन्दू लॉ को पढ़ लें. उनका जीवन गुलामी और भय मुक्त हो जाएगा.
पढ़ें- हर घर नल योजना की धीमी रफ्तार पर मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा खफा, एक्सईएन को दी चेतावनी