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PM VISIT: जिसकी जितनी भीड़ भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी, रैली बनी राजनीतिक प्रतिष्ठा का विषय

वाराणसी में 25 अक्टूबर को होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा में प्रियंका गांधी की रैली से अधिक भीड़ लाने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी है. बीजेपी नेताओं का दावा है कि पीएम मोदी की रैली में प्रियंका गांधी से ज्यादा संख्या में लोग आएंगे.

जिसकी जितनी भीड़ भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी.
जिसकी जितनी भीड़ भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी.
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Published : Oct 24, 2021, 10:09 PM IST

वाराणसीः जिसकी जितनी भीड़ भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी.आमतौर पर यह कहावत चुनाव में पड़ने वाले वोटों की संख्या के लिए कही जाती है. लेकिन वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राजनीति पर यह लाइन बिल्कुल सटीक बैठती है. क्योंकि कहीं न कहीं वर्तमान दौर में दल अपनी रैली और जनसभा में भीड़ को एकत्रित करके शक्ति प्रदर्शन दिखा रहे हैं. जिससे आम जनता के साथ-साथ विपक्ष पर भी मानसिक प्रभाव डाल सके.

जिसकी जितनी भीड़ भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी.

इसी क्रम में प्रियंका गांधी ने वाराणसी से 2022 विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर लाखों की भीड़ एकत्रित की थी. वहीं, 25 अक्टूबर को वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा में भीड़ एकत्रित करना कहीं न कहीं बीजेपी भी राजनीतिक प्रतिष्ठा का विषय बना ली है. यही वजह है कि लगातार भारतीय जनता पार्टी के नेता व कार्यकर्ताओं द्वारा पीएम मोदी की जनसभा में भीड़ एकत्रित करने की कवायद तेज है. बीजेपी नेताओं के द्वारा यह कहा जा रहा है कि पीएम मोदी की रैली में प्रियंका गांधी से ज्यादा संख्या में लोग आएंगे.


चुनावी दौर में शुरू हुई भीड़ तंत्र की राजनीति
बता दें कि वर्तमान समय में भीड़ तंत्र वाली राजनीति स्पष्ट रूप से देखने को मिल रही है, क्योंकि जिस तरीके से प्रियंका गांधी ने वाराणसी में जनसभा करके एक लाख की संख्या में लोगों का जुटा कर शक्ति प्रदर्शन किया था. इसके बाद कहीं ना कहीं बीजेपी भी अब प्रियंका गांधी से बड़ी एक लकीर खींचने की कवायद में जुटी हुई है. यही वजह है कि विधानसभा वार सभी कार्यकर्ताओं व नेताओं को एक निश्चित संख्या में रैली में लोगों को लाने के लिए निर्देश दिया गया है. हालांकि इस बाबत बीजेपी नेता महेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि पीएम की रैली या फिर जनसभा जब भी होती है तब स्थानीय स्तर पर ही भीड़ इतनी ज्यादा आ जाती है कि बाहर से लोगों को बुलाने की जरूरत नहीं पड़ती है.


पैसे पर जुटाए जा रहे हैं लोगः कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेश मिश्रा ने कहा कि प्रियंका गांधी कोई बड़ी मंत्री नहीं है, न ही उन्होंने वाराणसी में कोई बड़ी रैली की है. लेकिन इसके बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी उनके जनसभा में आए लोगों को देखकर डरी हुई है और पैसे खर्च करके लोगों को जुटाने में लगी हुई हैं. इस बात से यह स्पष्ट होता है कि सरकार किस तरीके के मानासिक द्वंद में है. यही हमारी जीत है.

इसे भी पढ़ें-कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी अपने समर्थक से बोले- पुलिस की ऐसी की तैसी, वीडियो वायरल



जिसकी भीड़ उसकी है राजनीति
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. रवि प्रकाश पांडेय का कहना है कि भीड़तंत्र हमेशा से राजनीति का हिस्सा रहा है. क्योंकि जिसकी भीड़, उसकी राजनीति है. इसी राजनीति पर सत्ता चलती है. हर राजनीतिक दल भीड़ जुटाने का काम करते हैं और यही वर्तमान में पीएम मोदी की रैली में भी देखा जा रहा है. एक उदाहरण ओपी राजभर का है, जो भीड़ न होने की वजह से इधर-उधर भटक रहे हैं और अपनी रैली में लोगों को कैसे जोड़े इसकी कवायद में जुटे हुए हैं. यह उदाहरण काफी है, समझने के लिए कि जिसकी भीड़ है उसी की राजनीति है. वर्तमान में भी राजनीति भीड़ तंत्र की राजनीति है.

वाराणसीः जिसकी जितनी भीड़ भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी.आमतौर पर यह कहावत चुनाव में पड़ने वाले वोटों की संख्या के लिए कही जाती है. लेकिन वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राजनीति पर यह लाइन बिल्कुल सटीक बैठती है. क्योंकि कहीं न कहीं वर्तमान दौर में दल अपनी रैली और जनसभा में भीड़ को एकत्रित करके शक्ति प्रदर्शन दिखा रहे हैं. जिससे आम जनता के साथ-साथ विपक्ष पर भी मानसिक प्रभाव डाल सके.

जिसकी जितनी भीड़ भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी.

इसी क्रम में प्रियंका गांधी ने वाराणसी से 2022 विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर लाखों की भीड़ एकत्रित की थी. वहीं, 25 अक्टूबर को वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा में भीड़ एकत्रित करना कहीं न कहीं बीजेपी भी राजनीतिक प्रतिष्ठा का विषय बना ली है. यही वजह है कि लगातार भारतीय जनता पार्टी के नेता व कार्यकर्ताओं द्वारा पीएम मोदी की जनसभा में भीड़ एकत्रित करने की कवायद तेज है. बीजेपी नेताओं के द्वारा यह कहा जा रहा है कि पीएम मोदी की रैली में प्रियंका गांधी से ज्यादा संख्या में लोग आएंगे.


चुनावी दौर में शुरू हुई भीड़ तंत्र की राजनीति
बता दें कि वर्तमान समय में भीड़ तंत्र वाली राजनीति स्पष्ट रूप से देखने को मिल रही है, क्योंकि जिस तरीके से प्रियंका गांधी ने वाराणसी में जनसभा करके एक लाख की संख्या में लोगों का जुटा कर शक्ति प्रदर्शन किया था. इसके बाद कहीं ना कहीं बीजेपी भी अब प्रियंका गांधी से बड़ी एक लकीर खींचने की कवायद में जुटी हुई है. यही वजह है कि विधानसभा वार सभी कार्यकर्ताओं व नेताओं को एक निश्चित संख्या में रैली में लोगों को लाने के लिए निर्देश दिया गया है. हालांकि इस बाबत बीजेपी नेता महेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि पीएम की रैली या फिर जनसभा जब भी होती है तब स्थानीय स्तर पर ही भीड़ इतनी ज्यादा आ जाती है कि बाहर से लोगों को बुलाने की जरूरत नहीं पड़ती है.


पैसे पर जुटाए जा रहे हैं लोगः कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राजेश मिश्रा ने कहा कि प्रियंका गांधी कोई बड़ी मंत्री नहीं है, न ही उन्होंने वाराणसी में कोई बड़ी रैली की है. लेकिन इसके बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी उनके जनसभा में आए लोगों को देखकर डरी हुई है और पैसे खर्च करके लोगों को जुटाने में लगी हुई हैं. इस बात से यह स्पष्ट होता है कि सरकार किस तरीके के मानासिक द्वंद में है. यही हमारी जीत है.

इसे भी पढ़ें-कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी अपने समर्थक से बोले- पुलिस की ऐसी की तैसी, वीडियो वायरल



जिसकी भीड़ उसकी है राजनीति
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. रवि प्रकाश पांडेय का कहना है कि भीड़तंत्र हमेशा से राजनीति का हिस्सा रहा है. क्योंकि जिसकी भीड़, उसकी राजनीति है. इसी राजनीति पर सत्ता चलती है. हर राजनीतिक दल भीड़ जुटाने का काम करते हैं और यही वर्तमान में पीएम मोदी की रैली में भी देखा जा रहा है. एक उदाहरण ओपी राजभर का है, जो भीड़ न होने की वजह से इधर-उधर भटक रहे हैं और अपनी रैली में लोगों को कैसे जोड़े इसकी कवायद में जुटे हुए हैं. यह उदाहरण काफी है, समझने के लिए कि जिसकी भीड़ है उसी की राजनीति है. वर्तमान में भी राजनीति भीड़ तंत्र की राजनीति है.

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