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यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला : चार्टर्ड अकाउंटेंट ललित गोयल की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज - भारत सरकार की गाइडलाइंस

सीबीआई के विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला मामले में वांछित चार्टर्ड अकाउंटेंट ललित गोयल की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज को कर दिया है. दो नवंबर, 2019 को यूपीपीसीएल के इस पीएफ घोटाला मामले की एफआईआर वर्तमान सचिव ट्रस्ट आईएम कौशल ने थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी.

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चार्टड एकाउटेंट ललित गोयल की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज
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Published : Apr 26, 2022, 10:24 PM IST

लखनऊ: सीबीआई के विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला मामले में वांछित चार्टर्ड अकाउंटेंट ललित गोयल की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दिया है. कोर्ट ने प्रथम दृष्टया अभियुक्त के खिलाफ साक्ष्य मौजूद होने के साथ ही अपराध को गंभीर बताया है. सीबीआई ने अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्त द्वारा एक आपराधिक साजिश के तहत दस करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम को सात फर्जी फर्मों में जमा कराया गया. इसे बाद में लोक सेवक अभियुक्तों द्वारा निकाल लिया गया. इसके खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल हो चुका है.

दो नवंबर, 2019 को यूपीपीसीएल के इस पीएफ घोटाला मामले की एफआईआर वर्तमान सचिव ट्रस्ट आईएम कौशल ने थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी. इसकी विवेचना ईओडब्ल्यू कर रही थी. उसने इस मामले में यूपीपीसीएल के तत्कालीन आला अधिकारियों समेत 17 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था.

इसे भी पढ़ेंः आय से अधिक संपत्ति के मामले में डॉक्टर दंपति की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज

इन पर एक साजिश के तहत भारत सरकार की गाइडलाइंस का उल्लघंन कर सीपीएफ व जीपीएफ का कुल दो हजार 267 करोड़ की रकम प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों में गलत तरीके से निवेश करने का आरोप है. पांच मार्च, 2020 को इस मामले की विवेचना सीबीआई को सौंप दी गई. उल्लेखनीय है कि इस मामले में मुख्य अभियुक्त एपी मिश्रा समेत सह-अभियुक्त अमित प्रकाश, इशांत अग्रवाल, संजय कुमार, अभिनव गुप्ता और विकास चावला को जमानत मिल चुकी है. हालांकि इन सभी अभियुक्तों को जेल में निरुद्धि के दौरान नियमित जमानत दी गई है.
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लखनऊ: सीबीआई के विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने यूपीपीसीएल पीएफ घोटाला मामले में वांछित चार्टर्ड अकाउंटेंट ललित गोयल की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दिया है. कोर्ट ने प्रथम दृष्टया अभियुक्त के खिलाफ साक्ष्य मौजूद होने के साथ ही अपराध को गंभीर बताया है. सीबीआई ने अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्त द्वारा एक आपराधिक साजिश के तहत दस करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम को सात फर्जी फर्मों में जमा कराया गया. इसे बाद में लोक सेवक अभियुक्तों द्वारा निकाल लिया गया. इसके खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल हो चुका है.

दो नवंबर, 2019 को यूपीपीसीएल के इस पीएफ घोटाला मामले की एफआईआर वर्तमान सचिव ट्रस्ट आईएम कौशल ने थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी. इसकी विवेचना ईओडब्ल्यू कर रही थी. उसने इस मामले में यूपीपीसीएल के तत्कालीन आला अधिकारियों समेत 17 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था.

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इन पर एक साजिश के तहत भारत सरकार की गाइडलाइंस का उल्लघंन कर सीपीएफ व जीपीएफ का कुल दो हजार 267 करोड़ की रकम प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों में गलत तरीके से निवेश करने का आरोप है. पांच मार्च, 2020 को इस मामले की विवेचना सीबीआई को सौंप दी गई. उल्लेखनीय है कि इस मामले में मुख्य अभियुक्त एपी मिश्रा समेत सह-अभियुक्त अमित प्रकाश, इशांत अग्रवाल, संजय कुमार, अभिनव गुप्ता और विकास चावला को जमानत मिल चुकी है. हालांकि इन सभी अभियुक्तों को जेल में निरुद्धि के दौरान नियमित जमानत दी गई है.
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