लखनऊ। भिंडी की फसल पर सफेद मक्खी कीट के प्रकोप से किसानों की मुश्किलें बढ़ी हैं. गर्मियों में भिंडी सब्जियों में अच्छी मानी जाती है. प्रमुख रूप से ग्रीष्म तथा वर्षा ऋतु में किसान इसकी खेती करके अच्छी आमदनी कमा सकते हैं, लेकिन वातावरण में हो रहे निरंतर परिवर्तन के कारण भिंडी के ऊपर कीटों का भीषण प्रकोप इस समय दिखाई पड़ रहा है. किसान कीटनाशक का छिड़काव भी कर रहे हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बीकेटी में रहने वाले किसान परशुराम यादव ने बताया कि हमने इस समय भिंडी और लुबिया की फसल लगा रखी है. इन फसलों पर इस समय कीटों का बहुत ज्यादा प्रकोप बढ़ गया है. जिससे फसल खराब हो रही है. कई बार दवा का छिड़काव करने के बाद भी राहत नहीं मिल रही है. उन्होंने बताया कि बाजारों में मिलावटी दवा मिलने के कारण फसल पर कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है. कुछ दिन असर दिखाई देता है फिर कीटों का झुंड दिखने लगता है.
वहीं इस पूरे मामले पर कृषि कीट वैज्ञानिक डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि जब बहुत अधिक गर्मी होती है तो भिंडी की फसल पर सफेद मक्खी का भीषण प्रकोप होता है. इतनी अधिक संख्या में कीट बढ़ जाती है कि इसका प्रबंधन करना भी मुश्किल होता है. उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा समस्या यह होती है कि किसान इन कीटों की पहचान नहीं कर पाता है. डॉ सिंह ने बताया कि समय पर पहचान होने से फसल प्रभावित होने से बच सकती है.
ये भी पढ़ें : ध्यान रखें, निर्दोष का उत्पीड़न न हो, दोषी एक भी न बचे: योगी आदित्यनाथ
डॉ सिंह ने बताया कि इस कीट की पहचान होने के बाद शाम के समय इमिडाक्लोप्रिड 17.8, एसएल 0.5 (एमएल) को 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव लाभकारी होता है. वहीं डाईमेथोएट कीटनाशक (1ml) को 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए. इसके साथ ही खेत की भी निगरानी करते रहें. एक सप्ताह बाद यदि समस्या फिर से दिखाई देती है तो फिर से कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग करें. कीटनाशक दवाई के प्रयोग से पहले कीट की सही जानकारी कर लें.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप