लखनऊ: काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर विवादित बयान पर लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ. रविकांत की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और हिंदूवादी संगठनों ने उनकी बर्खास्तगी की मांग उठा दी है. हिंदूवादी संगठन हिंदू राष्ट्र शक्ति की ओर से बुधवार को विश्वविद्यालय परिसर में विरोध-प्रदर्शन कर अपनी नाराजगी जताई गई. उधर, विश्वविद्यालय परिसर में शिक्षकों के बीच इस पूरे मामले को जातिगत रंग देने की कोशिश की चर्चा रही.
संगठन के सह संस्थापक मृत्युंजय सिंह की तरफ से कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय को दिए गए पत्र में हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रविकांत को बर्खास्त करने की मांग की गई है. उनका कहना है कि डॉ. रविकांत के बयान ने धार्मिक उन्माद को फैलाने और नफरत की भावना को बढ़ाने का काम किया है. ऐसे शिक्षक विश्वविद्यालय की शिक्षा पद्धति को खराब करने का काम कर रहे हैं. इसलिए उन्हें तत्काल पद से हटा दिया जाए. उन्होंने प्रॉक्टर कार्यालय में विश्वविद्यालय प्रशासन के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता के दौरान अपना शिकायती पत्र सौंपा. बता दें, डॉ. रविकांत ने सोमवार को एक यूट्यूब चैनल डिबेट में काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर विवादित बयान जारी किया था. उनके इस बयान को लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों की तरफ से आपत्ति दर्ज कराई गई. मंगलवार को विश्वविद्यालय परिसर में हंगामा भी हुआ. देर शाम हसनगंज थाने में डॉक्टर रविकांत के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
जातिगत रंग देने की कोशिश: मामला काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर डॉ रविकांत के विवादित बयान का है. लेकिन, अब इस मामले को राजनीतिक और जातीय रंग देने की कोशिश की जा रही है. भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद ने सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर टिप्पणी की है. उन्होंने लिखा, क्या ज्ञान का ठेका चंद जातियों ने ही ले रखा है. वंचितों के मुद्दों पर मुखर एलयू प्रोफेसर रविकांत के खिलाफ एफआईआर, अपशब्द बोल कर नारेबाजी का मतलब बहुजन विचार की हत्या है.
उधर, विश्वविद्यालय के शिक्षकों के बीच भी इसको लेकर जातिगत मतभेद देखने को मिल रहा है. लखनऊ यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ के व्हाट्सएप ग्रुप पर भी काफी बयानबाजी चल रही है.
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