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सहायक शिक्षक भर्ती मामलाः आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर लगी रोक में दखल से इंकार

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 (Assistant Teacher Recruitment Exam 2019) के तहत अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने के सरकार के फैसले पर एकल पीठ द्वारा 27 जनवरी को लगाई गई रोक में दखल से इंकार कर दिया है.

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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Mar 28, 2022, 9:52 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 के तहत अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने के सरकार के फैसले पर एकल पीठ द्वारा 27 जनवरी को लगाई गई रोक में दखल से इंकार कर दिया है. न्यायालय ने एकल पीठ को भी मामले के शीघ्र निस्तारण का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम की खंडपीठ ने राहुल कुमार की विशेष अपील पर पारित किया.

इसे भी पढे़ंः CAA विरोध के दौरान हिंसा का मामला, शिया धर्मगुरु कल्बे सिब्तैन की अग्रिम जमानत मंजूर

उल्लेखनीय है कि सहायक शिक्षकों की 69 हजार पदों पर भर्ती के लिए 1 दिसम्बर 2018 को विज्ञापन प्रकाशित किया गया था. इस भर्ती प्रक्रिया के पूर्ण होने के बाद आरक्षित श्रेणी के तमाम अभ्यर्थियों ने विरोध शुरू कर दिया. उनका कहना था कि उन्हें मिले मार्क्स सामान्य श्रेणी के कट-ऑफ से अधिक थे, बावजूद इसके उन्हें चयनित न करते हुए, उनसे कम मार्क्स पाए अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया. न्यायालय के समक्ष सरकार ने दलील दी थी कि मामले पर फिर से विचार करने के बाद 6800 अभ्यर्थियों के नाम वाली एक अतिरिक्त नई चयन सूची जारी करने का निर्णय लिया गया, जो आरक्षित श्रेणी के लिए है.

5 जनवरी और 25 जनवरी को जारी दोनों नई चयन सूचियों के अभ्यर्थियों ने अनारक्षित श्रेणी के कट-ऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए थे. हालांकि एकल पीठ के इस सवाल का जवाब सरकार नहीं दे सकी थी कि 69 हजार पद जब पहले ही भरे जा चुके थे, तो इन 6800 अभ्यर्थियों को किस पद पर नियुक्ति दी जाएगी. दो सदस्यीय खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि एकल पीठ के 27 जनवरी के आदेश में कुछ भी गलत नहीं है.

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लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 के तहत अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिए जाने के सरकार के फैसले पर एकल पीठ द्वारा 27 जनवरी को लगाई गई रोक में दखल से इंकार कर दिया है. न्यायालय ने एकल पीठ को भी मामले के शीघ्र निस्तारण का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम की खंडपीठ ने राहुल कुमार की विशेष अपील पर पारित किया.

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उल्लेखनीय है कि सहायक शिक्षकों की 69 हजार पदों पर भर्ती के लिए 1 दिसम्बर 2018 को विज्ञापन प्रकाशित किया गया था. इस भर्ती प्रक्रिया के पूर्ण होने के बाद आरक्षित श्रेणी के तमाम अभ्यर्थियों ने विरोध शुरू कर दिया. उनका कहना था कि उन्हें मिले मार्क्स सामान्य श्रेणी के कट-ऑफ से अधिक थे, बावजूद इसके उन्हें चयनित न करते हुए, उनसे कम मार्क्स पाए अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया. न्यायालय के समक्ष सरकार ने दलील दी थी कि मामले पर फिर से विचार करने के बाद 6800 अभ्यर्थियों के नाम वाली एक अतिरिक्त नई चयन सूची जारी करने का निर्णय लिया गया, जो आरक्षित श्रेणी के लिए है.

5 जनवरी और 25 जनवरी को जारी दोनों नई चयन सूचियों के अभ्यर्थियों ने अनारक्षित श्रेणी के कट-ऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए थे. हालांकि एकल पीठ के इस सवाल का जवाब सरकार नहीं दे सकी थी कि 69 हजार पद जब पहले ही भरे जा चुके थे, तो इन 6800 अभ्यर्थियों को किस पद पर नियुक्ति दी जाएगी. दो सदस्यीय खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि एकल पीठ के 27 जनवरी के आदेश में कुछ भी गलत नहीं है.

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