श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर सरकार ने रेसिडेंशियल और कमर्शियल दोनों ही जगहों के लिए फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) या फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) पर सभी प्रतिबंध हटाने का प्रस्ताव दिया है. साथ ही इमारत की ऊंचाई या बल्क पर प्रतिबंध भी हटाने की बात कही गई है.
18 जनवरी तक जनता के सुझावों के लिए रखे गए जम्मू-कश्मीर यूनिफाइड बिल्डिंग बायलॉज (यूबीबीएल)-2021 में प्रस्तावित संशोधनों में आवासीय और व्यावसायिक परिसरों, सिनेमा, मॉल कम मल्टीप्लेक्स, जंजघर, सामुदायिक केंद्र और बैंक्वेट हॉल सहित सभी श्रेणियों के भूखंडों के लिए फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) को हटा दिया गया है.
इसका मतलब यह है कि, कोई मालिक या डेवलपर जितनी चाहे उतनी मंजिलें जोड़ सकता है. इतना ही नहीं, सेटबैक को छोड़कर ग्राउंड कवरेज पर किसी भी प्रतिबंध के बिना निर्माण कर सकता है. आम तौर पर मौजूदा कानून में केवल तीन मंजिला घरों की अनुमति थी, लेकिन प्रस्तावित बदलाव एक मालिक को जितना चाहे उतनी मंजिलों का निर्माण करने की अनुमति देगी. ऐसी स्थिति में इसकी उपयोगिता पर सवाल उठना लाजमी है.
यह 2021 में उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन द्वारा पारित मौजूदा चार साल पुराने कानून से अलग होगा, जिसमें ऊंचाई या बल्क पर सीमा लगाई गई है. यह क्षेत्र की टोपोग्राफी के खिलाफ है और जम्मू-कश्मीर के उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र V में आने के कारण महत्वपूर्ण खतरे पैदा करता है. नए बदलाव, अगर लागू किए जाते हैं, तो श्रीनगर और जम्मू जैसे शहरों की शहरी ऐतिहासिकता बदल जाएगा.
विशेषज्ञ और टाउन प्लानर बताते हैं कि एफएआर एक इमारत की ऊंचाई और बल्क को नियंत्रित करता है और इसे हटाने का मतलब है कि निर्माण के लिए पूरे फ्लोर एरिया को कवर किया जा सकता है. प्रस्तावित बदलाव यह कहते हुए उचित ठहराते हैं कि ग्राउंड कवरेज की अवधारणा को हटा दिया गया है क्योंकि न्यूनतम सेटबैक की अवधारणा पहले से मौजूद है. इसके अलावा, दस्तावेज में सुझाव दिया गया है कि बिल्डिंग लाइनों सहित ये बदलाव 'देश के अन्य राज्यों की तुलना में जम्मू-कश्मीर में रियल एस्टेट की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए' किए गए हैं.
इसी तरह, बदलावों ने भूमि उपयोग को कम कर दिया है, जिससे आवासीय क्षेत्रों (आरआई) में वाणिज्यिक सहित सभी प्रकार के निर्माण की अनुमति मिल गई है. इससे पता चलता है कि, पहले के उपनियमों में विशेष रूप से आवासीय क्षेत्रों के लिए बनाए गए क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियां की जा सकती हैं. यह प्रस्ताव केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए मॉडल उपनियम का उल्लंघन करता है, जो पूरे देश में भवन निर्माण कानूनों के लिए मानक दस्तावेज है.
संशोधनों से हैरान सरकार के एक वरिष्ठ वास्तुकार ने कहा कि, बदलाव के पीछे का व्यक्ति न तो टाउन प्लानर हो सकता है और न ही जम्मू-कश्मीर का निवासी. उन्होंने शहरी बाढ़, यातायात की भीड़ और श्रीनगर जैसे विरासत शहरों के मुखौटे को बदलने जैसे परिणामों को सूचीबद्ध किया.
यूनेस्को ने 2021 में शिल्प और लोक कलाओं के लिए यूनेस्को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क (यूसीसीएन) के हिस्से के रूप में श्रीनगर को सूचीबद्ध किया. इसके बाद 2024 में वर्ल्ड क्राफ्ट काउंसिल (डब्ल्यूसीसी) द्वारा 'वर्ल्ड क्राफ्ट सिटी' को सूचीबद्ध किया. यहां यह पता चला कि, दोनों क्षेत्रों के वरिष्ठ योजनाकारों सहित कई लोग, जो संशोधनों को मंजूरी देने वाले प्रमुख व्यक्ति हैं, वेबसाइट पर प्रस्ताव देखकर आश्चर्यचकित थे.
एक सूत्र ने बताया कि, एक योजनाकार इन बदलावों के खिलाफ सरकार को एक नोट तैयार कर रहा है, जो उनके अनुसार मास्टर प्लान का भी उल्लंघन है. ईटीवी भारत द्वारा देखे गए आंतरिक मसौदों से पता चला है कि उन्होंने एफएआर, बिल्डिंग लाइन, जोनिंग, भूमि उपयोग और पिकेट बाड़ को हटाने सहित बड़े बदलावों को उजागर किया है. नोट में मनोरंजन के उद्देश्य से निर्धारित भूमि पर वाणिज्यिक और आवासीय दोनों तरह के निर्माण की अनुमति देने की बात भी कही गई है. इसमें सार्वजनिक पार्क, वनस्पति उद्यान आदि शामिल हैं.
नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, "यह एक बहुत ही अजीब मसौदा है. हम प्रस्तावित बदलावों का अध्ययन कर रहे हैं और हमने पाया है कि यह किसी भी क्षेत्र के लिए सही नहीं है." जमीनी स्तर पर, अधिकारी और विशेषज्ञ मानते हैं कि कुछ मुद्दे हैं जिनके लिए भवन निर्माण कानूनों में कुछ विशिष्ट बदलावों की आवश्यकता है.
यह पूरे जम्मू और कश्मीर के लिए एकीकृत उपनियमों से उपजा है, जिसमें दोनों क्षेत्रों और जिलों में विविध टोपोग्राफी है. जैसे पहाड़ी कुपवाड़ा पर लागू कानून कठुआ के मैदानी इलाकों के लिए भी हैं. इसके लिए टाउन प्लानिंग डिविजनों से कुछ संशोधनों की आवश्यकता थी, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उन्हें पिछले साल से कहीं भी शामिल नहीं किया गया, जिससे नए बदलावों के कारण पर सवाल उठ रहे हैं.
एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने आरोप लगाया कि, जम्मू-कश्मीर में कुछ विकास कार्यों के लिए लाए गए एक निजी सलाहकार ने प्रस्तावित बदलावों के पीछे दिमाग लगाया है. बैठक से जुड़े अधिकारी के अनुसार, सलाहकार ने बुधवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के समक्ष ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) पर अपनी प्रस्तुति के दौरान मसौदे में उल्लिखित लगभग उन्हीं बिंदुओं पर प्रकाश डाला.
जब जम्मू-कश्मीर आवास और शहरी विकास विभाग की आयुक्त सचिव मनदीप कौर से संपर्क किया गया, तो उन्होंने सवालों को मेल करने के लिए कहा. जवाब मिलने के बाद कहानी को अपडेट किया जाएगा. कश्मीर स्थित वकालत समूह, पर्यावरण नीति समूह ने चेतावनी दी है कि प्रस्तावित संशोधनों के दूरगामी पर्यावरणीय परिणाम हो सकते हैं. उन्होंने ग्रीन बिल्डिंग मानकों, वर्षा जल संचयन पर संभावित प्रभावों का हवाला दिया.
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