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खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में बढ़कर सात प्रतिशत पर, आरबीआई बढ़ा सकता है नीतिगत दर

सब्जी, मसालों, फुटवियर (जूता-चप्पल) और ईंधन तथा प्रकाश श्रेणी में कीमतों में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. हालांकि, अंडे के मामले में मुद्रास्फीति में गिरावट आई जबकि मांस और मछली जैसे प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों की कीमतें स्थिर रहीं. मुद्रास्फीति इस साल अप्रैल में 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी. मई में यह घटकर 7.04 प्रतिशत तथा जून में 7.01 प्रतिशत पर रही थी. जुलाई में यह घटकर 6.71 प्रतिशत पर आ गयी थी.

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Published : Sep 12, 2022, 10:04 PM IST

नई दिल्ली : सब्जी, मसाले जैसे खाने के सामान के दाम बढ़ने से खुदरा महंगाई दर अगस्त महीने में बढ़कर सात प्रतिशत पर पहुंच गयी. इसके साथ पिछले तीन महीने से खुदरा मुद्रास्फीति में आ रही कमी थम गयी है. सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली. एक महीने पहले जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 6.71 प्रतिशत और पिछले साल अगस्त में 5.3 प्रतिशत थी. मुद्रास्फीति में वृद्धि के साथ भारतीय रिजर्व बैंक इस महीने पेश होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में फिर से नीतिगत दर को बढ़ा सकता है.

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति लगातार आठवें महीने रिजर्व के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पर गौर करता है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अगस्त में 7.62 प्रतिशत रही जो जुलाई में 6.69 प्रतिशत थी. वहीं पिछले साल अगस्त में यह 3.11 प्रतिशत थी.

सब्जी, मसालों, फुटवियर (जूता-चप्पल) और ईंधन तथा प्रकाश श्रेणी में कीमतों में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. हालांकि, अंडे के मामले में मुद्रास्फीति में गिरावट आई जबकि मांस और मछली जैसे प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों की कीमतें स्थिर रहीं. मुद्रास्फीति इस साल अप्रैल में 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी. मई में यह घटकर 7.04 प्रतिशत तथा जून में 7.01 प्रतिशत पर रही थी. जुलाई में यह घटकर 6.71 प्रतिशत पर आ गयी थी.

सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है. रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 28-30 सितंबर को होनी है. लगातार तीन बार में नीतिगत दर में 1.40 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है. इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि मासिक आधार पर खुदरा महंगाई में वृद्धि का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी है. अनाज, दाल, दूध, फल, सब्जी और तैयार भोजन तथा ‘स्नैक’ जैसे खाने के सामान की महंगाई बढ़ी है.

उन्होंने कहा, "हमारा अनुमान है कि एमपीसी सितंबर 2022 की मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि करेगी. इसका कारण मुख्य मुद्रास्फीति के अगस्त महीने में बढ़कर फिर से सात प्रतिशत पर पहुंचना है." आरबीआई के पूर्व कार्यकारी निदेशक और मौद्रिक नीति समिति के सदस्य मृदुल सागर ने कहा कि मुद्रास्फीति लगातार संतोषजनक स्तर से ऊंची बनी हुई है. लेकिन अक्टूबर से इसके नीचे आने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, "नीतिगत दर में कुछ और वृद्धि के साथ जमाओं पर वास्तविक रूप से नकारात्मक ब्याज दर की समस्या का समाधान हो सकता है. तुलनात्मक आधार, नीतिगत दर में वृद्धि के प्रभाव तथा आपूर्ति व्यवस्था में सुधार की वजह से अक्टूबर से महंगाई दर में कमी आने का अनुमान है."

एनएसओ ने कहा कि कीमत आंकड़े 1,114 शहरी बाजारों 1,181 गांवों से लिये गये हैं. इसमें सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल है. आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में क्रमश: 7.15 प्रतिशत और 6.72 प्रतिशत रही. मुद्रास्फीति पश्चिम बंगाल, गुजरात और तेलंगाना में आठ प्रतिशत से ऊपर रही.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सब्जी, मसाले जैसे खाने के सामान के दाम बढ़ने से खुदरा महंगाई दर अगस्त महीने में बढ़कर सात प्रतिशत पर पहुंच गयी. इसके साथ पिछले तीन महीने से खुदरा मुद्रास्फीति में आ रही कमी थम गयी है. सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली. एक महीने पहले जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 6.71 प्रतिशत और पिछले साल अगस्त में 5.3 प्रतिशत थी. मुद्रास्फीति में वृद्धि के साथ भारतीय रिजर्व बैंक इस महीने पेश होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में फिर से नीतिगत दर को बढ़ा सकता है.

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति लगातार आठवें महीने रिजर्व के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पर गौर करता है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अगस्त में 7.62 प्रतिशत रही जो जुलाई में 6.69 प्रतिशत थी. वहीं पिछले साल अगस्त में यह 3.11 प्रतिशत थी.

सब्जी, मसालों, फुटवियर (जूता-चप्पल) और ईंधन तथा प्रकाश श्रेणी में कीमतों में सालाना आधार पर 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. हालांकि, अंडे के मामले में मुद्रास्फीति में गिरावट आई जबकि मांस और मछली जैसे प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों की कीमतें स्थिर रहीं. मुद्रास्फीति इस साल अप्रैल में 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी. मई में यह घटकर 7.04 प्रतिशत तथा जून में 7.01 प्रतिशत पर रही थी. जुलाई में यह घटकर 6.71 प्रतिशत पर आ गयी थी.

सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है. रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 28-30 सितंबर को होनी है. लगातार तीन बार में नीतिगत दर में 1.40 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है. इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि मासिक आधार पर खुदरा महंगाई में वृद्धि का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी है. अनाज, दाल, दूध, फल, सब्जी और तैयार भोजन तथा ‘स्नैक’ जैसे खाने के सामान की महंगाई बढ़ी है.

उन्होंने कहा, "हमारा अनुमान है कि एमपीसी सितंबर 2022 की मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि करेगी. इसका कारण मुख्य मुद्रास्फीति के अगस्त महीने में बढ़कर फिर से सात प्रतिशत पर पहुंचना है." आरबीआई के पूर्व कार्यकारी निदेशक और मौद्रिक नीति समिति के सदस्य मृदुल सागर ने कहा कि मुद्रास्फीति लगातार संतोषजनक स्तर से ऊंची बनी हुई है. लेकिन अक्टूबर से इसके नीचे आने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, "नीतिगत दर में कुछ और वृद्धि के साथ जमाओं पर वास्तविक रूप से नकारात्मक ब्याज दर की समस्या का समाधान हो सकता है. तुलनात्मक आधार, नीतिगत दर में वृद्धि के प्रभाव तथा आपूर्ति व्यवस्था में सुधार की वजह से अक्टूबर से महंगाई दर में कमी आने का अनुमान है."

एनएसओ ने कहा कि कीमत आंकड़े 1,114 शहरी बाजारों 1,181 गांवों से लिये गये हैं. इसमें सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल है. आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में क्रमश: 7.15 प्रतिशत और 6.72 प्रतिशत रही. मुद्रास्फीति पश्चिम बंगाल, गुजरात और तेलंगाना में आठ प्रतिशत से ऊपर रही.

(पीटीआई-भाषा)

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