लखनऊ: नृत्य एक ऐसी विधा है, जिसके माध्यम से लोग अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं. यह मन की पीड़ा कम करने में मदद करता है और आत्मा से परमात्मा का तारतम्य स्थापित करता है. लोकनृत्य की वरिष्ठ नृत्यांगना सरिता सिंह ने यह बात 29 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस के अवसर पर कही.
साल 1982 से शुरू हुआ था नृत्य दिवस
लोकनृत्य की वरिष्ठ नृत्यांगना सरिता सिंह ने बताया की अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस हर साल 29 अप्रैल को मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 1982 को हुई. यह दिवस रिफ़ोर्मर जीन जॉर्ज नावेरे की जन्म स्मृति के रूप मे मनाया जाता है. सरिता ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि करीब 2000 वर्ष पूर्व देवताओं के कहने पर ब्रम्हाजी ने नृत्य वेद की रचना की. उसी समय से नृत्य की उत्पत्ति मानी जाती है. इस नृत्य वेद में सामवेद, अथर्ववेद, ऋग्वेद और यजुर्वेद की कई बातें शामिल हैं.
इस दिन पूरी दुनिया में होते हैं कार्यक्रम
नृत्यांगना सरिता सिंह ने बताया कि पूरी दुनिया में विश्व नृत्य दिवस पर तमाम तरह के कार्यक्रम होते हैं, जैसे नुक्कड़ नाटक, प्रदर्शनी और नृत्य संध्या. लेकिन कोरोना के इस दौर में यह सम्भव नहीं है. उन्होंने बताया की यह व्यायाम का सर्वोत्तम रूप है. नृत्य के महत्त्व को आम जनमानस तक पहुंचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है. नृत्य करने के कई फायदे भी हैं जैसे इससे पेट की चर्बी कम होती है, वजन यानी मोटापा कम होता है, रात को गहरी नींद आती है, टेंशन कम होती है, रक्त का संचार सुचारू रूप से होता है, ब्लड प्रेशर कम होने में मदद मिलती है, आलस दूर होता है, बॉडी फ्लेक्सिबल रहती है और हड्डियां मजबूत होती हैं.
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