ETV Bharat / briefs

आरटी पीसीआर टेस्ट कभी कभी देता है कोरोना की गलत रिपोर्ट - अयोध्या हिंदी खबरें

अयोध्या में कोविड के मरीजों के लिए अलग से अस्पतालों का निर्माण किया गया है. एक्सपर्टस का कहना है कि इसे अन्य लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो पाएगी.

आरटी पीसीआर टेस्ट कभी कभी देता है कोरोना की गलत रिपोर्ट
आरटी पीसीआर टेस्ट कभी कभी देता है कोरोना की गलत रिपोर्ट
author img

By

Published : Apr 30, 2021, 1:31 AM IST

अयोध्या: रोगियों के बेहतर उपचार के लिए सरकार ने हर जिले में कोविड-19 चिकित्सा हेतु L1- L2 और L3 कैटेगरी में अलग-अलग स्थानों को चिन्हित कर हॉस्पिटल बनाए हैं. इन हॉस्पिटलों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को ही भर्ती और उनका समुचित उपचार करने का आदेश सरकार द्वारा दिया गया है.

यह भी पढ़ें: कोरोना जांच को लेकर भाजपा विधायक के भाई और डायग्नोस्टिक सेंटर कर्मचारियों में मारपीट

नॉन कोविड रोगियों का नहीं होगा उपचार

इन हास्पिटलों को बनाने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि कोविड मरीजों पर एक्सपर्ट डाक्टरों की निगरानी हो सके. साथ ही वे अन्य रोगियों के सम्पर्क में ना आ सकें. इन हास्पिटलों में नॉन कोविड रोगियों का उपचार नहीं किया जाता है. सरकार द्वारा कोविड हॉस्पिटलों में ऑक्सीजन समेत रेमिडसेविर इंजेक्शन आदि की पर्याप्त सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है.

कभी कभी टेस्ट का रिजल्ट आता है गलत

हर दिन कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बढ़ता चला जा रहा है. अयोध्या जिले मे मौजूद विशेषज्ञों का कहना है कि आरटी-पीसीआर परीक्षण कोरोना-संक्रमण के बारे में विश्वसनीय परिणाम देता है, लेकिन कभी-कभी ये निगेटिव रिजल्ट भी देता है. कुछ मरीजों में कोविड के सभी प्राथमिक लक्षण दिखते हैं, लेकिन उसके बाद भी उसका रिजल्ट निगेटिव आता है. मेडिकल भाषा में इसे फॉल्स निगेटिव कहते हैं. डाक्टरों का साफ कहना है कि ये खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इससे रोगी आजाद होकर घूमने लगते हैं और संक्रमण फैलाते हैं. जिले के प्रमुख राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ विजय कुमार का कहना है कि यदि अन्य सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों को एडमिट किया जाने लगे और उन्हें उपचार दिया जाए तो अधिक से अधिक मरीज रिकवर हों सकते हैं, जिससे कोरोना पर जल्दी ही विजय मिल सकती है.

राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज में की गई 200 बेडों की व्यवस्था

डॉ विजय कुमार के अनुसार कोविड मरीजों के बेहतर उपचार के लिए 200 बेडों की व्यवस्था राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज में की गई है. जिनमें हर बेड पर ऑक्सीजन पहुंचाने तथा अन्य सुविधाओं को समय-समय पर उपलब्ध कराया जा रहा है. सिलेंडर से मरीज तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए जिस रेगुलेटर का इस्तेमाल होता है वह पर्याप्त मात्रा में ना होने के कारण कोविड सेंटरों पर अतिरिक्त बेडों की व्यवस्था अभी नहीं कराई जा रही है.

नॉन कोविड मरीज की हो जाती है मौत

अभी के समय में अस्पताल आने वाले अधिकांश मरीज पूर्णतया कोरोना संक्रमित होते हैं. ऐसे में उपचार के दौरान ही रोगी का ऑक्सीजन लेवल भी काफी कम होने लगता है. ऑक्सीजन इत्यादि की पर्याप्त व्यवस्था नॉन कोविड हास्पिटलों मे न होने के चलते भर्ती मरीज की मौत हो जाती है या फिर उसे हायर सेंटर के लिए रेफर करना पड़ता है.

सभी लक्षण होने के बाद भी निगेटिव रिपोर्ट आने के पीछे का ये है कारण

डाक्टरों के मुताबिक स्वाब लेने के दौरान चूक, स्वाब लेने का गलत तरीका, वायरस को सक्रिय रखने के लिए तरल पदार्थ का आवश्यक मात्रा में कम होना, स्वाब के नमूनों का अनुचित ट्रांसपोर्टेशन फॉल्स निगेटिव आने की वजह हो सकते हैं. डाक्टर यह भी कहते हैं कि कभी-कभी मरीज के शरीर में वायरल लोड बहुत कम होता है, इसलिए लक्षणों के बावजूद निगेटिव रिपोर्ट आ जाती है.

डर से हो रही हैं मौतें

विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना वायरस को काफी भयानक बीमारी समझकर अधिकांश मरीजों की डर से मौत हो रही है. भले ही मौत की वजह कुछ भी हो लेकिन यदि मौतें हो रही है तो जनता की नाराजगी भी जायज है. अहम बात यह भी है कि नॉन कोविड हास्पिटलों में हुई रोगियों की मौत का डाटा प्रशासन द्वारा कोविड मृत्युदर में न तो कल्कुलेट किया जाता है और न ही शेयर किया जाता है. इस पर भी सरकार और प्रशासन की भारी किरकिरी देखने को मिल रही है.

अयोध्या: रोगियों के बेहतर उपचार के लिए सरकार ने हर जिले में कोविड-19 चिकित्सा हेतु L1- L2 और L3 कैटेगरी में अलग-अलग स्थानों को चिन्हित कर हॉस्पिटल बनाए हैं. इन हॉस्पिटलों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को ही भर्ती और उनका समुचित उपचार करने का आदेश सरकार द्वारा दिया गया है.

यह भी पढ़ें: कोरोना जांच को लेकर भाजपा विधायक के भाई और डायग्नोस्टिक सेंटर कर्मचारियों में मारपीट

नॉन कोविड रोगियों का नहीं होगा उपचार

इन हास्पिटलों को बनाने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि कोविड मरीजों पर एक्सपर्ट डाक्टरों की निगरानी हो सके. साथ ही वे अन्य रोगियों के सम्पर्क में ना आ सकें. इन हास्पिटलों में नॉन कोविड रोगियों का उपचार नहीं किया जाता है. सरकार द्वारा कोविड हॉस्पिटलों में ऑक्सीजन समेत रेमिडसेविर इंजेक्शन आदि की पर्याप्त सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है.

कभी कभी टेस्ट का रिजल्ट आता है गलत

हर दिन कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बढ़ता चला जा रहा है. अयोध्या जिले मे मौजूद विशेषज्ञों का कहना है कि आरटी-पीसीआर परीक्षण कोरोना-संक्रमण के बारे में विश्वसनीय परिणाम देता है, लेकिन कभी-कभी ये निगेटिव रिजल्ट भी देता है. कुछ मरीजों में कोविड के सभी प्राथमिक लक्षण दिखते हैं, लेकिन उसके बाद भी उसका रिजल्ट निगेटिव आता है. मेडिकल भाषा में इसे फॉल्स निगेटिव कहते हैं. डाक्टरों का साफ कहना है कि ये खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इससे रोगी आजाद होकर घूमने लगते हैं और संक्रमण फैलाते हैं. जिले के प्रमुख राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ विजय कुमार का कहना है कि यदि अन्य सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों को एडमिट किया जाने लगे और उन्हें उपचार दिया जाए तो अधिक से अधिक मरीज रिकवर हों सकते हैं, जिससे कोरोना पर जल्दी ही विजय मिल सकती है.

राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज में की गई 200 बेडों की व्यवस्था

डॉ विजय कुमार के अनुसार कोविड मरीजों के बेहतर उपचार के लिए 200 बेडों की व्यवस्था राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज में की गई है. जिनमें हर बेड पर ऑक्सीजन पहुंचाने तथा अन्य सुविधाओं को समय-समय पर उपलब्ध कराया जा रहा है. सिलेंडर से मरीज तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए जिस रेगुलेटर का इस्तेमाल होता है वह पर्याप्त मात्रा में ना होने के कारण कोविड सेंटरों पर अतिरिक्त बेडों की व्यवस्था अभी नहीं कराई जा रही है.

नॉन कोविड मरीज की हो जाती है मौत

अभी के समय में अस्पताल आने वाले अधिकांश मरीज पूर्णतया कोरोना संक्रमित होते हैं. ऐसे में उपचार के दौरान ही रोगी का ऑक्सीजन लेवल भी काफी कम होने लगता है. ऑक्सीजन इत्यादि की पर्याप्त व्यवस्था नॉन कोविड हास्पिटलों मे न होने के चलते भर्ती मरीज की मौत हो जाती है या फिर उसे हायर सेंटर के लिए रेफर करना पड़ता है.

सभी लक्षण होने के बाद भी निगेटिव रिपोर्ट आने के पीछे का ये है कारण

डाक्टरों के मुताबिक स्वाब लेने के दौरान चूक, स्वाब लेने का गलत तरीका, वायरस को सक्रिय रखने के लिए तरल पदार्थ का आवश्यक मात्रा में कम होना, स्वाब के नमूनों का अनुचित ट्रांसपोर्टेशन फॉल्स निगेटिव आने की वजह हो सकते हैं. डाक्टर यह भी कहते हैं कि कभी-कभी मरीज के शरीर में वायरल लोड बहुत कम होता है, इसलिए लक्षणों के बावजूद निगेटिव रिपोर्ट आ जाती है.

डर से हो रही हैं मौतें

विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना वायरस को काफी भयानक बीमारी समझकर अधिकांश मरीजों की डर से मौत हो रही है. भले ही मौत की वजह कुछ भी हो लेकिन यदि मौतें हो रही है तो जनता की नाराजगी भी जायज है. अहम बात यह भी है कि नॉन कोविड हास्पिटलों में हुई रोगियों की मौत का डाटा प्रशासन द्वारा कोविड मृत्युदर में न तो कल्कुलेट किया जाता है और न ही शेयर किया जाता है. इस पर भी सरकार और प्रशासन की भारी किरकिरी देखने को मिल रही है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.