गोरखपुर: तीखे बयानों से अक्सर योगी आदित्यनाथ की सरकार को कटघरे में खड़ा कर देने वाले प्रदेश सरकार के काबीना मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने इस बार सुप्रीम कोर्ट के बसपा सुप्रीमों मायावती को लेकर दिए गए फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. मंत्री ने कहा कि कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसका वह स्वागत करते हैं लेकिन उन सरकारों और नेताओं के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए जो सत्ता में आने के बाद जनता के धन से पत्थरों की तमाम मूर्तियां लगवा चुके हैं.
ओमप्रकाश राजभर आज गोरखपुर में थे और ईटीवी भारत से एक्सक्लुसिव बात कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने देश में चल रही सीबीआई और ईडी की छापेमारी को भी नाजायज ठहराया. मंत्री ने कहा कि जब चुनाव नजदीक आता है सत्ता में बैठे दल इन एजेंसियों का उपयोग अपने हित में करने लगते हैं. उन्होंने कहा कि आखिरकार छापे की कार्रवाई चुनाव से साल -दो साल पहले क्यों नही की जाती है. सरकार के खिलाफ अक्सर कड़ा बोल जाने के सवाल पर राजभर ने कहा कि वह सत्ता के खिलाफ नहीं बोलते हैं, सच बोलते हैं इसलिए वह बागी समझे जाते हैं.
उन्होंने कहा कि जहां भी जनता का अहित नजर आता है वह आवाज उठाते रहते हैं. वह गोरखपुर में रसोंइयों के सम्मेलन में शिरकत करने आए थे. उन्होंने कहा कि जिस प्राइमरी स्कूल में एक शिक्षक को कई हजार वेतन मिलता है, वहां पर बच्चों को भोजन बना कर देने वाली रसोइयों को मात्र 33 रुपए प्रतिदिन का भुगतान सही नहीं है. इसलिए उनके संघर्षों में साथ खड़ा होने आया हूं. ओम प्रकाश ने इस दौरान पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर कर्मचारियों के समर्थन की बात कही लेकिन, यह भी कहा कि मामला 2004 से अटका पड़ा है पर कर्मचारियों ने इसके पहले कि सरकार पर कोई दबाव बनाना उचित नहीं समझा. राजभर उत्तर प्रदेश के बंटवारे के भी पक्ष में है, उन्होंने कहा कि अगर इसको चार भागों में बांट दिया जाए तो विकास की संभावनाएं और गति तेज हो जाएंगी.