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जायडस कैडिला की वैक्सीन को मंजूरी, 12 साल से ऊपर के बच्चों को लगेगा टीका, पीएम ने बताया उपलब्धि

ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने स्वदेशी फार्मा कंपनी जायडस कैडिला (Zydus Cadila) के कोविड टीके को मंजूरी दे दी है. यह तीन डोज वाली वैक्सीन है. यह वैक्सीन दुनिया की पहली प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है, जो नोवल कोरोना वायरस पर कारगर है. 12 साल से ऊपर के बच्चों को भी यह वैक्सीन दी जा सकेगी.

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Published : Aug 20, 2021, 6:40 PM IST

Updated : Aug 20, 2021, 10:01 PM IST

नई दिल्ली : ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने स्वदेशी फार्मा कंपनी जायडस कैडिला (Zydus Cadila) के कोविड टीके को मंजूरी दे दी है. यह तीन डोज वाली वैक्सीन है. 12 साल से ऊपर के बच्चों को भी यह वैक्सीन दी जा सकेगी.

अप्रूवल के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर इसे बड़ी उपलब्धि करार दिया. उन्होंने लिखा, 'Zydus Cadila के दुनिया के पहले DNA-आधारित 'ZyCov-D' वैक्सीन को मंजूरी भारत के वैज्ञानिकों के अभिनव उत्साह का प्रमाण है.' पीएम मोदी ने कहा कि जायडस को मंजूरी मिलना वास्तव में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

जायडस कैडिला की वैक्सीन को मंजूरी पर पीएम का ट्वीट
जायडस कैडिला की वैक्सीन को मंजूरी पर पीएम का ट्वीट

क्या कहा डीसीजीआई ने

डीसीजीआई ने बताया कि डीएनए आधारित कोरोना वायरसरोधी दुनिया का यह पहला टीका है. इसके अनुसार टीके की तीन खुराक दिए जाने पर यह सार्स-सीओवी -2 वायरस के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन करता है जो बीमारी तथा वायरस से सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने यह भी कहा कि 'प्लग-एंड-प्ले'' तकनीक जिस पर 'प्लाज्मिड डीएनए प्लेटफॉर्म' आधारित है, वायरस में उत्परिवर्तन से भी आसानी से निपटती है.

इसने कहा, 'भारत के औषधि महानियंत्रक से जाइडस केडिला के टीके जाइकोव-डी को 20 अगस्त को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल गयी है. कोविड-19 रोधी यह दुनिया का पहला और देश में विकसित ऐसा टीका है जो डीएनए पर आधारित है. इसे 12 साल की उम्र के अधिक के किशारों एवं वयस्कों को दिया जा सकता है. विभाग ने कहा कि इस टीके को मिशन कोविड सुरक्षा के तहत डीबीटी के साथ मिल कर विकसित किया गया है.

डीसीजीआई ने फार्मा कंपनी से इस वैक्सीन के 2 डोज के प्रभाव का अतिरिक्त डेटा भी मांगा है.

वैक्सीन का नाम जायकोव डी

अहमदाबाद स्थित फार्मा कंपनी जायडस कैडिला ने कोविड रोधी पहली डीएनए वैक्सीन विकसित की है, जिसका नाम जायकोव-डी रखा गया है.

कंपनी ने जुलाई महीने की शुरुआत में अपने कोरोना टीके जायकोव-डी (ZyCov-D) के आपातकालीन उपयोग के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) के पास आवेदन किया था.

50 से अधिक केंद्रों पर हुआ क्लीनिल परीक्षण

कंपनी का कहना है कि उसने भारत में अब तक 50 से अधिक केंद्रों में अपने कोविड-19 वैक्सीन के लिए क्लीनिकल परीक्षण किया है.

बता दें कि 12-18 साल के बच्चों के लिए जायडस कैडिला की वैक्सीन का ट्रायल पूरा हो गया है. यह वैक्सीन जल्द ही 12 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए उपलब्ध होगी.

कंपनी ने पहले कहा था कि अगस्त में 12-18 आयु वर्ग के बच्चों को यह टीका देना शुरू कर सकते हैं.

जाइडस कैडिला की वैक्सीन कैसे है अन्य से अलग?

यह वैक्सीन दुनिया की पहली 'प्लास्मिड डीएनए' वैक्सीन है, जो नोवल कोरोना वायरस पर कारगर है. वैक्सीन की डोज लगने के बाद शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ स्पाइक प्रोटीन यानी एंटीबॉडी (Antibodies) तेजी से उत्पन्न होता है. वैक्सीन सेलुलर (टी लिम्फोसाइट्स इम्युनिटी) और ह्यूमरल (एंटीबॉडी-मध्यस्थता प्रतिरक्षा) के मेल से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती है.

इसकी एक और खासियत है कि ये एक इंट्राडर्मल वैक्सीन है यानी कि जिसे 'सुई-मुक्त इंजेक्टर' का उपयोग करके लगाया जाता है.

ये वैक्सीन मैसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड (Messenger Ribonucleic Acid) वैक्सीन की तरह से ही असर करती है और शरीर में स्पाइक प्रोटीन के कोड विकास करती है. जबकि अन्य वैक्सीन जैसे कि कोविशील्ड और स्पुतनिक-वी वायरल वैक्टर से शरीर में स्पाइक प्रोटीन के कोड का विकसित करते हैं.

इसी तरह नोवावैक्स वैक्सीन स्वयं प्रोटीन की आपूर्ति करता है, जबकि को-वैक्सिन एक निष्क्रिय वायरस को सक्रिय करके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करती है.

वैक्सीन ऐसे करती है काम

प्लाज्मिड डीएनए (Plasmid DNA) ऐसे अणु होते हैं जो कि स्वतंत्र रूप से शरीर में पहले से मौजूद डीएनए के गुणसूत्र को दोहराते हैं और ये मुख्य रूप से बैक्टीरिया में पाए जाते हैं. प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन में शरीर के सही ऊतकों में इंजेक्शन लगाना भी शामिल है जिसमें प्रतिजन यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता का डीएनए अनुक्रम में एन्कोड होता है. शरीर में बी और टी-सेल को मिलाकर ये वैक्सीन ज्यादा लाभ देती है.

50 से अधिक केंद्रों पर वैक्सीन के क्लीनिकल ​​​​ट्रायल में अभी तक वैक्सीन का रिजल्ट काफी बेहतर रहा है. कंपनी की ओर से बताया गया है कि सभी परीक्षणों की निगरानी एक स्वतंत्र डेटा सुरक्षा बोर्ड ने की है. देश में यह भी पहली बार हुआ कि 12-18 वर्ष आयु वर्ग के लोगों पर कोरोना वैक्सीन का परीक्षण हुआ और इस दौरान लगभग 1000 मापदंडों पर टीका सफल रहा है. कंपनी के अंतरिम विश्लेषण में रोगसूचक कोरोना के पॉजिटिव (Corona Positive) मरीजों पर टीके का प्राथमिक असर 66.6 प्रतिशत रहा.

जानें उत्पादक क्षमता के बारे में

मंजूरी मिलने के बाद डेढ़ महीने में वैक्सीन बाजार में आ जाएगी. कंपनी निर्माण संगठनों के साथ अनुबंध करके वैक्सीन की 50-70 मिलियन खुराक के उत्पादन की तकनीक को विकसित करेगी. कंपनी की ओर से वैक्सीन के ट्रायल और प्रोडक्शन क्षमता को बढ़ाने पर 400-500 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.

नई दिल्ली : ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने स्वदेशी फार्मा कंपनी जायडस कैडिला (Zydus Cadila) के कोविड टीके को मंजूरी दे दी है. यह तीन डोज वाली वैक्सीन है. 12 साल से ऊपर के बच्चों को भी यह वैक्सीन दी जा सकेगी.

अप्रूवल के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर इसे बड़ी उपलब्धि करार दिया. उन्होंने लिखा, 'Zydus Cadila के दुनिया के पहले DNA-आधारित 'ZyCov-D' वैक्सीन को मंजूरी भारत के वैज्ञानिकों के अभिनव उत्साह का प्रमाण है.' पीएम मोदी ने कहा कि जायडस को मंजूरी मिलना वास्तव में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

जायडस कैडिला की वैक्सीन को मंजूरी पर पीएम का ट्वीट
जायडस कैडिला की वैक्सीन को मंजूरी पर पीएम का ट्वीट

क्या कहा डीसीजीआई ने

डीसीजीआई ने बताया कि डीएनए आधारित कोरोना वायरसरोधी दुनिया का यह पहला टीका है. इसके अनुसार टीके की तीन खुराक दिए जाने पर यह सार्स-सीओवी -2 वायरस के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन करता है जो बीमारी तथा वायरस से सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने यह भी कहा कि 'प्लग-एंड-प्ले'' तकनीक जिस पर 'प्लाज्मिड डीएनए प्लेटफॉर्म' आधारित है, वायरस में उत्परिवर्तन से भी आसानी से निपटती है.

इसने कहा, 'भारत के औषधि महानियंत्रक से जाइडस केडिला के टीके जाइकोव-डी को 20 अगस्त को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल गयी है. कोविड-19 रोधी यह दुनिया का पहला और देश में विकसित ऐसा टीका है जो डीएनए पर आधारित है. इसे 12 साल की उम्र के अधिक के किशारों एवं वयस्कों को दिया जा सकता है. विभाग ने कहा कि इस टीके को मिशन कोविड सुरक्षा के तहत डीबीटी के साथ मिल कर विकसित किया गया है.

डीसीजीआई ने फार्मा कंपनी से इस वैक्सीन के 2 डोज के प्रभाव का अतिरिक्त डेटा भी मांगा है.

वैक्सीन का नाम जायकोव डी

अहमदाबाद स्थित फार्मा कंपनी जायडस कैडिला ने कोविड रोधी पहली डीएनए वैक्सीन विकसित की है, जिसका नाम जायकोव-डी रखा गया है.

कंपनी ने जुलाई महीने की शुरुआत में अपने कोरोना टीके जायकोव-डी (ZyCov-D) के आपातकालीन उपयोग के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) के पास आवेदन किया था.

50 से अधिक केंद्रों पर हुआ क्लीनिल परीक्षण

कंपनी का कहना है कि उसने भारत में अब तक 50 से अधिक केंद्रों में अपने कोविड-19 वैक्सीन के लिए क्लीनिकल परीक्षण किया है.

बता दें कि 12-18 साल के बच्चों के लिए जायडस कैडिला की वैक्सीन का ट्रायल पूरा हो गया है. यह वैक्सीन जल्द ही 12 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए उपलब्ध होगी.

कंपनी ने पहले कहा था कि अगस्त में 12-18 आयु वर्ग के बच्चों को यह टीका देना शुरू कर सकते हैं.

जाइडस कैडिला की वैक्सीन कैसे है अन्य से अलग?

यह वैक्सीन दुनिया की पहली 'प्लास्मिड डीएनए' वैक्सीन है, जो नोवल कोरोना वायरस पर कारगर है. वैक्सीन की डोज लगने के बाद शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ स्पाइक प्रोटीन यानी एंटीबॉडी (Antibodies) तेजी से उत्पन्न होता है. वैक्सीन सेलुलर (टी लिम्फोसाइट्स इम्युनिटी) और ह्यूमरल (एंटीबॉडी-मध्यस्थता प्रतिरक्षा) के मेल से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करती है.

इसकी एक और खासियत है कि ये एक इंट्राडर्मल वैक्सीन है यानी कि जिसे 'सुई-मुक्त इंजेक्टर' का उपयोग करके लगाया जाता है.

ये वैक्सीन मैसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड (Messenger Ribonucleic Acid) वैक्सीन की तरह से ही असर करती है और शरीर में स्पाइक प्रोटीन के कोड विकास करती है. जबकि अन्य वैक्सीन जैसे कि कोविशील्ड और स्पुतनिक-वी वायरल वैक्टर से शरीर में स्पाइक प्रोटीन के कोड का विकसित करते हैं.

इसी तरह नोवावैक्स वैक्सीन स्वयं प्रोटीन की आपूर्ति करता है, जबकि को-वैक्सिन एक निष्क्रिय वायरस को सक्रिय करके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करती है.

वैक्सीन ऐसे करती है काम

प्लाज्मिड डीएनए (Plasmid DNA) ऐसे अणु होते हैं जो कि स्वतंत्र रूप से शरीर में पहले से मौजूद डीएनए के गुणसूत्र को दोहराते हैं और ये मुख्य रूप से बैक्टीरिया में पाए जाते हैं. प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन में शरीर के सही ऊतकों में इंजेक्शन लगाना भी शामिल है जिसमें प्रतिजन यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता का डीएनए अनुक्रम में एन्कोड होता है. शरीर में बी और टी-सेल को मिलाकर ये वैक्सीन ज्यादा लाभ देती है.

50 से अधिक केंद्रों पर वैक्सीन के क्लीनिकल ​​​​ट्रायल में अभी तक वैक्सीन का रिजल्ट काफी बेहतर रहा है. कंपनी की ओर से बताया गया है कि सभी परीक्षणों की निगरानी एक स्वतंत्र डेटा सुरक्षा बोर्ड ने की है. देश में यह भी पहली बार हुआ कि 12-18 वर्ष आयु वर्ग के लोगों पर कोरोना वैक्सीन का परीक्षण हुआ और इस दौरान लगभग 1000 मापदंडों पर टीका सफल रहा है. कंपनी के अंतरिम विश्लेषण में रोगसूचक कोरोना के पॉजिटिव (Corona Positive) मरीजों पर टीके का प्राथमिक असर 66.6 प्रतिशत रहा.

जानें उत्पादक क्षमता के बारे में

मंजूरी मिलने के बाद डेढ़ महीने में वैक्सीन बाजार में आ जाएगी. कंपनी निर्माण संगठनों के साथ अनुबंध करके वैक्सीन की 50-70 मिलियन खुराक के उत्पादन की तकनीक को विकसित करेगी. कंपनी की ओर से वैक्सीन के ट्रायल और प्रोडक्शन क्षमता को बढ़ाने पर 400-500 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.

Last Updated : Aug 20, 2021, 10:01 PM IST
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