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ओलंपिक खिलाड़ियों से प्रेरणा लें देश के युवा : उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने बुधवार को देश के युवाओं से उन ओलंपिक खिलाडियों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया, जिन्होंने न केवल अपनी उपलब्धियों से देश को गौरवान्वित किया, बल्कि विभिन्न खेलों में लोगों की व्यापक रुचि भी पैदा की है.

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उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू
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Published : Aug 26, 2021, 12:34 PM IST

नई दिल्ली: युवाओं से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करने का आग्रह करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, कड़ी मेहनत कभी बेकार नहीं जाती और इसका हमेशा सकारात्मक परिणाम मिलता है. उन्होंने कहा कि कभी हार मत मानो, अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करो और दुनिया के सामने आदर्श बनो.

शिवाजी कॉलेज के हीरक जयंती समारोह के समापन सत्र को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, छात्रों को शैक्षिक कक्षाओं और मनोरंजन तथा खेल के लिए एक समान समय बिताने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा, खेलों में भाग लेने से छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ता है, टीम भावना का निर्माण होता है और शारीरिक फिटनेस में भी सुधार होता है, जो कि हमारी जीवन शैली से संबंधित बीमारियों की बढ़ती समस्याओं से निपटने के लिए काफी महत्वपूर्ण है.

यह भी पढ़ें: 'Kohli को तुरंत Sachin को फोन कर पूछना चाहिए कि मैं क्या करूं'

एम वेंकैया नायडू ने कहा, खेल को पाठ्यक्रम का आवश्यक हिस्सा बनाया जाना चाहिए और छात्रों को खेलों एवं अन्य प्रकार की शारीरिक गतिविधियों पर समान रूप से परिश्रम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

एक छात्र के जीवन में परिवर्तन लाने वाली शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी व्यक्ति कितना भी सफल हो जाए, उसे अपने जीवन को आकार देने में अपने शिक्षकों की मुख्य भूमिका को कभी नहीं भूलना चाहिए. शिक्षक छात्रों को जो मान्यताएं एवं शिक्षा देते हैं, वह एक व्यक्ति के जीवन और समाज को बड़े पैमाने पर आकार देने में मदद करती हैं. सीखना एक अंतहीन, लेकिन लाभदायक प्रक्रिया है, जिसमें छात्र और शिक्षक दोनों ही एक साथ आगे बढ़ते हैं.

यह भी पढ़ें: IND vs ENG: इंग्लैंड के 'बिगड़ैल' दर्शकों की बदतमीजी, मोहम्मद सिराज पर फेंकी गेंद

उपराष्ट्रपति ने कहा, हमारे शिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ छात्रों में कठिन परिस्थितियों का साहस और धैर्य के साथ सामना करने की क्षमता भी विकसित करनी चाहिए.

कोविड- 19 महामारी के दौरान लोगों द्वारा दिखाई गई एकता की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, मानव जाति के सामने आई सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक को सामूहिक रूप से दूर करने के लिए, व्यक्तियों से लेकर समुदायों तक और स्वैच्छिक संगठनों से लेकर राज्य एजेंसियों तक भारत में हर कोई सामूहिक रूप से आगे आया.

उपराष्ट्रपति ने कोविड- 19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान प्रभावित हुए व्यक्तियों और उनके परिवारों तक स्वास्थ्य आपातकालीन सहायता प्रदाताओं को पहुंचाने की पहल करने के लिए शिवाजी कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों की सराहना की.

यह भी पढ़ें: टोक्यो पैरालंपिक 2020: टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविना ने दूसरे मैच में हासिल की शानदार जीत

इस बात पर जोर देते हुए कि संकट के समय में एक दूसरे की सहायता करना ही हमारी संस्कृति का मूल कर्तव्य है, नायडू ने कहा कि मुझे खुशी है कि हम एक समुदाय के रूप में सहयोग और देखभाल के अपने प्राचीन दर्शन पर खरे उतरे हैं.

नई दिल्ली: युवाओं से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करने का आग्रह करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, कड़ी मेहनत कभी बेकार नहीं जाती और इसका हमेशा सकारात्मक परिणाम मिलता है. उन्होंने कहा कि कभी हार मत मानो, अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करो और दुनिया के सामने आदर्श बनो.

शिवाजी कॉलेज के हीरक जयंती समारोह के समापन सत्र को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, छात्रों को शैक्षिक कक्षाओं और मनोरंजन तथा खेल के लिए एक समान समय बिताने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा, खेलों में भाग लेने से छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ता है, टीम भावना का निर्माण होता है और शारीरिक फिटनेस में भी सुधार होता है, जो कि हमारी जीवन शैली से संबंधित बीमारियों की बढ़ती समस्याओं से निपटने के लिए काफी महत्वपूर्ण है.

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एम वेंकैया नायडू ने कहा, खेल को पाठ्यक्रम का आवश्यक हिस्सा बनाया जाना चाहिए और छात्रों को खेलों एवं अन्य प्रकार की शारीरिक गतिविधियों पर समान रूप से परिश्रम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

एक छात्र के जीवन में परिवर्तन लाने वाली शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी व्यक्ति कितना भी सफल हो जाए, उसे अपने जीवन को आकार देने में अपने शिक्षकों की मुख्य भूमिका को कभी नहीं भूलना चाहिए. शिक्षक छात्रों को जो मान्यताएं एवं शिक्षा देते हैं, वह एक व्यक्ति के जीवन और समाज को बड़े पैमाने पर आकार देने में मदद करती हैं. सीखना एक अंतहीन, लेकिन लाभदायक प्रक्रिया है, जिसमें छात्र और शिक्षक दोनों ही एक साथ आगे बढ़ते हैं.

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उपराष्ट्रपति ने कहा, हमारे शिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ छात्रों में कठिन परिस्थितियों का साहस और धैर्य के साथ सामना करने की क्षमता भी विकसित करनी चाहिए.

कोविड- 19 महामारी के दौरान लोगों द्वारा दिखाई गई एकता की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, मानव जाति के सामने आई सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक को सामूहिक रूप से दूर करने के लिए, व्यक्तियों से लेकर समुदायों तक और स्वैच्छिक संगठनों से लेकर राज्य एजेंसियों तक भारत में हर कोई सामूहिक रूप से आगे आया.

उपराष्ट्रपति ने कोविड- 19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान प्रभावित हुए व्यक्तियों और उनके परिवारों तक स्वास्थ्य आपातकालीन सहायता प्रदाताओं को पहुंचाने की पहल करने के लिए शिवाजी कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों की सराहना की.

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इस बात पर जोर देते हुए कि संकट के समय में एक दूसरे की सहायता करना ही हमारी संस्कृति का मूल कर्तव्य है, नायडू ने कहा कि मुझे खुशी है कि हम एक समुदाय के रूप में सहयोग और देखभाल के अपने प्राचीन दर्शन पर खरे उतरे हैं.

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