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कांग्रेस-चीनी कम्युनिस्ट पार्टी समझौते से सुप्रीम कोर्ट हैरान, भाजपा ने घेरा

कांग्रेस पार्टी और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के बीच हुए समझौते को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस समझौते पर आश्चर्य व्यक्त किया और इस मामले के सारे तथ्यों की जांच के लिए वापस हाईकोर्ट के पास ले जाने को कहा है.

supreme court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Aug 7, 2020, 2:55 PM IST

Updated : Aug 7, 2020, 7:45 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस और चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच हुए समझौते का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने पर मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले पर हैरानी जताई है. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि इस पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी जवाब दें.

नड्डा ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, 'चीन सरकार के साथ कांग्रेस पार्टी द्वारा साइन किए गए एमओयू पर सुप्रीम कोर्ट भी हैरान है. श्रीमती गांधी और उनके बेटे, जिन्होंने एमओयू समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर का नेतृत्व किया, उन्हें अब यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या राजीव गांधी फाउंडेशन को दान के बदले में चीन के लिए भारतीय बाजार खोला गया, जिससे भारतीय व्यवसाय प्रभावित हुए.'

दरअसल, हालिया चीन विवाद के दौरान जब कांग्रेस केंद्र सरकार पर मुखर हुई थी तो भाजपा ने साल 2008 में उसके और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ हुए एमओयू साइन पर सवाल उठाए थे.

मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे ने सवाल उठाते हुए कहा कि कोई राजनीतिक दल किसी सरकार के साथ किस तरह समझौता कर सकता है, हालांकि बाद में वकील ने स्पष्ट किया कि ये एमओयू दो राजनीतिक दलों के बीच था. इस पर सीजेआई बोबडे ने याचिका में इस बात का जिक्र न होने की बात कही.

वहीं सीजेआई ने इस मामले को हाईकोर्ट ले जाने को कहा. याचिकाकर्ता ने कांग्रेस और चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ हुए समझौते को देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ते हुए इसकी केंद्रीय एजेंसियों से जांच कराने की मांग की थी.

पीठ ने कहा, 'याचिका में मांगी गयी प्रत्येक राहत उच्च न्यायालय दे सकता है. दूसरी बात, उच्च न्यायालय ही इसके लिये उचित अदालत है. तीसरा, इस विषय पर हमें उच्च न्यायालय के आदेश का लाभ भी मिलेगा.'

पीठ ने टिप्पणी की, 'हम पाते हैं कि इसमें ऐसा कुछ लगता है, जिसके बारे में सुना नहीं और जो न्याय विरुद्ध है. आप कह रहे हैं कि चीन ने एक राजनीतिक दल के साथ समझौता किया है सरकार से नहीं. एक राजनीतिक दल चीन के साथ कैसे समझौता कर सकता है.'

पढ़ें :- छोटे शहरों में कोविड 19 के इलाज को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिया सुझाव

अधिवक्ता द्वारा बार बार जोर दिये जाने पर पीठ ने कहा, 'हम आपको यह याचिका वापस लेने और नई याचिका दायर करने की अनुमति देंगे. आप जो कह रहें हैं, उसकी हम विवेचना करेंगे और अगर हमे कोई गलत बयानी मिली तो हम आप पर मुकदमा चला सकते हैं.'

न्यायालय ने कहा, 'हमने अपने सीमित अनुभव में ऐसा नहीं सुना कि एक राजनीतिक दल दूसरे देश के साथ कोई समझौता कर रहा हो.'

नई दिल्ली : कांग्रेस और चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच हुए समझौते का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने पर मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले पर हैरानी जताई है. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि इस पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी जवाब दें.

नड्डा ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, 'चीन सरकार के साथ कांग्रेस पार्टी द्वारा साइन किए गए एमओयू पर सुप्रीम कोर्ट भी हैरान है. श्रीमती गांधी और उनके बेटे, जिन्होंने एमओयू समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर का नेतृत्व किया, उन्हें अब यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या राजीव गांधी फाउंडेशन को दान के बदले में चीन के लिए भारतीय बाजार खोला गया, जिससे भारतीय व्यवसाय प्रभावित हुए.'

दरअसल, हालिया चीन विवाद के दौरान जब कांग्रेस केंद्र सरकार पर मुखर हुई थी तो भाजपा ने साल 2008 में उसके और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ हुए एमओयू साइन पर सवाल उठाए थे.

मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे ने सवाल उठाते हुए कहा कि कोई राजनीतिक दल किसी सरकार के साथ किस तरह समझौता कर सकता है, हालांकि बाद में वकील ने स्पष्ट किया कि ये एमओयू दो राजनीतिक दलों के बीच था. इस पर सीजेआई बोबडे ने याचिका में इस बात का जिक्र न होने की बात कही.

वहीं सीजेआई ने इस मामले को हाईकोर्ट ले जाने को कहा. याचिकाकर्ता ने कांग्रेस और चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ हुए समझौते को देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ते हुए इसकी केंद्रीय एजेंसियों से जांच कराने की मांग की थी.

पीठ ने कहा, 'याचिका में मांगी गयी प्रत्येक राहत उच्च न्यायालय दे सकता है. दूसरी बात, उच्च न्यायालय ही इसके लिये उचित अदालत है. तीसरा, इस विषय पर हमें उच्च न्यायालय के आदेश का लाभ भी मिलेगा.'

पीठ ने टिप्पणी की, 'हम पाते हैं कि इसमें ऐसा कुछ लगता है, जिसके बारे में सुना नहीं और जो न्याय विरुद्ध है. आप कह रहे हैं कि चीन ने एक राजनीतिक दल के साथ समझौता किया है सरकार से नहीं. एक राजनीतिक दल चीन के साथ कैसे समझौता कर सकता है.'

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अधिवक्ता द्वारा बार बार जोर दिये जाने पर पीठ ने कहा, 'हम आपको यह याचिका वापस लेने और नई याचिका दायर करने की अनुमति देंगे. आप जो कह रहें हैं, उसकी हम विवेचना करेंगे और अगर हमे कोई गलत बयानी मिली तो हम आप पर मुकदमा चला सकते हैं.'

न्यायालय ने कहा, 'हमने अपने सीमित अनुभव में ऐसा नहीं सुना कि एक राजनीतिक दल दूसरे देश के साथ कोई समझौता कर रहा हो.'

Last Updated : Aug 7, 2020, 7:45 PM IST
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