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ACB की ''ये'' बात गुलाबचंद कटारिया को पसंद नहीं आई, चाल और चरित्र पर उठा दिए कई सवाल

रिश्वतखोरी के मामले में एसीबी टीम (Anti Corruption Bureau Team) ने भरतपुर के सर्जन को रंगे हाथों पकड़ा. फिर 12 घंटे बाद उन्हें रिहा भी कर दिया. अब नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया (Opposition Leader Gulabchand Kataria) इसी रिहाई पर संदेह जता रहें हैं. उनका तर्क है कि डॉक्टर को यूं छोड़ने से एसीबी सवालों के घेरे में आता है.

Kataria is annoyed by the release of Corrupt doctor
घूसखोर सर्जन की रिहाई से खफा कटारिया
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Published : Aug 9, 2021, 12:50 PM IST

Updated : Aug 9, 2021, 1:04 PM IST

उदयपुर: एसीबी की टीम (ACB Team) ने भरतपुर के सर्जन डॉ अनिल गुप्ता को गिरफ्तारी के 12 घंटे बाद छोड़ दिया. ये मामला अब राजनीतिक रंग लेता जा रहा है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया प्रत्यक्ष तौर पर तो नहीं लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर एसीबी के बहाने राज्य सरकार को कानून और न्याय का पाठ पढ़ा रहे हैं. उन्होंने अपने गृहनगर उदयपुर में ये बातें कही.

एसीबी की ये बात कटारिया साहब को पसंद नहीं आई

गहलोत हिंदुस्तान के पहले मुख्यमंत्री जो 15 महीने तक क्वॉरेंटाइन रहेः गुलाबचंद कटारिया

दरअसल एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने आरबीएम के सर्जन डॉ अनिल गुप्ता को 2000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों ट्रैप किया था. इसके बाद आरोपी को टीम द्वारा चौकी पर ले आए.जहां उसे 12 घंटे के दरमियां उसे छोड़ दिया गया.इस पूरे मामले को लेकर अब सियासत भी शुरू हो गई.नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने इस पूरे मामले को लेकर एसीबी पर सवाल उठाए है.

आखिर क्यों किया रिहा?: कटारिया ने सिलेसिलेवार तरीके से अनिल गुप्ता प्रकरण को बयान किया. उन्होंने बताया- एसीपी भरतपुर ने गवर्नमेंट हॉस्पिटल के डॉक्टर अनिल गुप्ता को 2000 की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया. जिसे सुबह 9:00 बजे गिरफ्तार किया गया फिर अचानक 12 घंटे बाद रिहा कर दिया. उन्होंने इसमें किसी ''पहुंच'' का अंदेशा जताते हुए पूछा- आखिर किस के कहने या किस कारण से डॉक्टर को जमानत देकर रिहा कर दिया गया? इस पूरे मामले को लेकर मैंने एसीबी के डीजी से बात की... मैंने उनसे पूछा कि ऐसा क्या घटित हुआ कि 12 घंटे के दरमियान ही एक ट्रैप्ड डॉक्टर को छोड़ना पड़ा. ऐसे में अगर डॉक्टर को छोड़ना ही था. तो उसे 2 घंटे के दरमियान छोड़ देते...12 घंटे बाद डॉक्टर को छोड़ना कारण समझ में नहीं आया.

कोरोना का बहाना ठीक नहीं: कटारिया ने बताया कि उन्हें घूसखोर डॉक्टर को छोड़ने के पीछे कोरोना नियमों का हवाला दिया गया है. कटारिया ने कहा इस जवाब से वो संतुष्ट नहीं हैं. वो जानना चाहते हैं कि भरतपुर में फिलहाल कोरोना की ऐसी कौन सी स्थिति बिगड़ रही है, जिसके कारण डॉक्टर को छोड़ना पड़ा? ऐसे में एसीबी को कह देना चाहिए कोरोना काल में हम किसी भी डॉक्टर को ट्रैप करेंगे ही नहीं. चाहे वह कितना ही जनता को लूटा ना चाहे. इस पूरे मामले में एसीबी का जो चरित्र है वो संदेहास्पद है.

स्पष्ट है कि कटारिया साहब अप्रत्यक्ष तौर पर प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहें हैं. वो जताना चाह रहें हैं कि बड़े डॉक्टर को किसी बड़े शख्स ने जानबूझकर बचाया है और प्रदेश सरकार भी इस भ्रष्ट कृत्य में भ्रष्टाचारियों का साथ दे रही है.

उदयपुर: एसीबी की टीम (ACB Team) ने भरतपुर के सर्जन डॉ अनिल गुप्ता को गिरफ्तारी के 12 घंटे बाद छोड़ दिया. ये मामला अब राजनीतिक रंग लेता जा रहा है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया प्रत्यक्ष तौर पर तो नहीं लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर एसीबी के बहाने राज्य सरकार को कानून और न्याय का पाठ पढ़ा रहे हैं. उन्होंने अपने गृहनगर उदयपुर में ये बातें कही.

एसीबी की ये बात कटारिया साहब को पसंद नहीं आई

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दरअसल एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने आरबीएम के सर्जन डॉ अनिल गुप्ता को 2000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों ट्रैप किया था. इसके बाद आरोपी को टीम द्वारा चौकी पर ले आए.जहां उसे 12 घंटे के दरमियां उसे छोड़ दिया गया.इस पूरे मामले को लेकर अब सियासत भी शुरू हो गई.नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने इस पूरे मामले को लेकर एसीबी पर सवाल उठाए है.

आखिर क्यों किया रिहा?: कटारिया ने सिलेसिलेवार तरीके से अनिल गुप्ता प्रकरण को बयान किया. उन्होंने बताया- एसीपी भरतपुर ने गवर्नमेंट हॉस्पिटल के डॉक्टर अनिल गुप्ता को 2000 की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया. जिसे सुबह 9:00 बजे गिरफ्तार किया गया फिर अचानक 12 घंटे बाद रिहा कर दिया. उन्होंने इसमें किसी ''पहुंच'' का अंदेशा जताते हुए पूछा- आखिर किस के कहने या किस कारण से डॉक्टर को जमानत देकर रिहा कर दिया गया? इस पूरे मामले को लेकर मैंने एसीबी के डीजी से बात की... मैंने उनसे पूछा कि ऐसा क्या घटित हुआ कि 12 घंटे के दरमियान ही एक ट्रैप्ड डॉक्टर को छोड़ना पड़ा. ऐसे में अगर डॉक्टर को छोड़ना ही था. तो उसे 2 घंटे के दरमियान छोड़ देते...12 घंटे बाद डॉक्टर को छोड़ना कारण समझ में नहीं आया.

कोरोना का बहाना ठीक नहीं: कटारिया ने बताया कि उन्हें घूसखोर डॉक्टर को छोड़ने के पीछे कोरोना नियमों का हवाला दिया गया है. कटारिया ने कहा इस जवाब से वो संतुष्ट नहीं हैं. वो जानना चाहते हैं कि भरतपुर में फिलहाल कोरोना की ऐसी कौन सी स्थिति बिगड़ रही है, जिसके कारण डॉक्टर को छोड़ना पड़ा? ऐसे में एसीबी को कह देना चाहिए कोरोना काल में हम किसी भी डॉक्टर को ट्रैप करेंगे ही नहीं. चाहे वह कितना ही जनता को लूटा ना चाहे. इस पूरे मामले में एसीबी का जो चरित्र है वो संदेहास्पद है.

स्पष्ट है कि कटारिया साहब अप्रत्यक्ष तौर पर प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहें हैं. वो जताना चाह रहें हैं कि बड़े डॉक्टर को किसी बड़े शख्स ने जानबूझकर बचाया है और प्रदेश सरकार भी इस भ्रष्ट कृत्य में भ्रष्टाचारियों का साथ दे रही है.

Last Updated : Aug 9, 2021, 1:04 PM IST
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