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बकरी पालन कर यहां की महिलाओं ने कायम की मिसाल, जानें कैसे

अगर दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा और आत्मविश्वास हो तो कोई कार्य कठिन नहीं होता. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है उदयपुर में झाड़ोल तहसील के बाघपुरा गांव की महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने.

महिलाओं का कार्यक्रम
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Published : May 28, 2019, 12:01 AM IST

झाड़ोल (उदयपुर). बकरी के दूध का व्यावसायिक उत्पादन शुरूकर स्वालंबन की दिशा में कदम बढ़ाने वाली महिलाएं प्रदेश भर की महिलाओं के लिए मिसाल के रूप में सामने आई हैं. झाड़ोल तहसील के बाघपुरा गांव की महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को संबोधित करते हुए उदयपुर जिला कलेक्टर आनंदी ने सोमवार को यह बात कही.

बकरी पालन कर यहां की महिलाओं ने मिसाल की कायम

इससे जुड़ी प्रत्येक महिला अपने 10 महीने की कमाई में एक नई बकरी खरीदने की स्थिति में आ गई है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस स्थिति में और सुधार होगा. उदयपुर जिला परिषद सीईओ कमर चौधरी ने कहा कि वर्तमान में 200 मिली लीटर की बोतल में पैक बकरी का दूध उदयपुर सहित अन्य शहरों में बिक्री के लिए भेजा जा रहा है. जल्द ही इसका विस्तार करते हुए महानगरों में भी इसके बेचने की व्यवस्था की जाएगी.

कार्यक्रम के दौरान पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बकरियों के पालन-पोषण के साथ ही उनकी स्वच्छता और रखरखाव के बारे में जानकारी दी. इस अवसर पर बकरियों के स्तनों को साफ रखने हेतु उन्हें कपड़े की बनी चोली पहनाने के बारे में जानकारी दी. मौके पर ही महिलाओं को बकरियों के लिए चोलियां वितरित की गई. इस दौरान बकरी पालकों को नस्ल सुधार हेतु सिरोही नस्ल के 35 बीजू बकरे वितरित किए गए. यह बकरे क्षेत्र में नस्ल सुधार के लिए प्रयोग में लाए जाएंगे.

अभी तक बकरी दुग्ध उत्पादन से जुड़ी 60 महिलाओं को आरसेटी की ओर से प्रशिक्षण प्रदान किया गया है. प्रशिक्षण के दौरान उन्हें बकरी पालने और उसके भरण-पोषण, रखरखाव, साफ-सफाई और बीमारी के दौरान देखभाल आदि के बारे में प्रशिक्षण दिया जा चुका है. जिला कलेक्टर आनंदी ने कार्यक्रम के दौरान सभी प्रशिक्षित महिलाओं को प्रमाण पत्र वितरित किए.

झाड़ोल (उदयपुर). बकरी के दूध का व्यावसायिक उत्पादन शुरूकर स्वालंबन की दिशा में कदम बढ़ाने वाली महिलाएं प्रदेश भर की महिलाओं के लिए मिसाल के रूप में सामने आई हैं. झाड़ोल तहसील के बाघपुरा गांव की महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को संबोधित करते हुए उदयपुर जिला कलेक्टर आनंदी ने सोमवार को यह बात कही.

बकरी पालन कर यहां की महिलाओं ने मिसाल की कायम

इससे जुड़ी प्रत्येक महिला अपने 10 महीने की कमाई में एक नई बकरी खरीदने की स्थिति में आ गई है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस स्थिति में और सुधार होगा. उदयपुर जिला परिषद सीईओ कमर चौधरी ने कहा कि वर्तमान में 200 मिली लीटर की बोतल में पैक बकरी का दूध उदयपुर सहित अन्य शहरों में बिक्री के लिए भेजा जा रहा है. जल्द ही इसका विस्तार करते हुए महानगरों में भी इसके बेचने की व्यवस्था की जाएगी.

कार्यक्रम के दौरान पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बकरियों के पालन-पोषण के साथ ही उनकी स्वच्छता और रखरखाव के बारे में जानकारी दी. इस अवसर पर बकरियों के स्तनों को साफ रखने हेतु उन्हें कपड़े की बनी चोली पहनाने के बारे में जानकारी दी. मौके पर ही महिलाओं को बकरियों के लिए चोलियां वितरित की गई. इस दौरान बकरी पालकों को नस्ल सुधार हेतु सिरोही नस्ल के 35 बीजू बकरे वितरित किए गए. यह बकरे क्षेत्र में नस्ल सुधार के लिए प्रयोग में लाए जाएंगे.

अभी तक बकरी दुग्ध उत्पादन से जुड़ी 60 महिलाओं को आरसेटी की ओर से प्रशिक्षण प्रदान किया गया है. प्रशिक्षण के दौरान उन्हें बकरी पालने और उसके भरण-पोषण, रखरखाव, साफ-सफाई और बीमारी के दौरान देखभाल आदि के बारे में प्रशिक्षण दिया जा चुका है. जिला कलेक्टर आनंदी ने कार्यक्रम के दौरान सभी प्रशिक्षित महिलाओं को प्रमाण पत्र वितरित किए.

Intro:बाघपुरा की महिलाएं प्रदेश की महिलाओं के लिए मिसाल - कलक्टरBody:

बकरी के दूध का व्यावसायिक उत्पादन प्रारम्भ कर स्वावलम्बन की दिशा में कदम बढ़ाने वाली उदयपुर जिले के बाघपुरा गाँव की महिलाएं प्रदेश भर की महिलाओं के लिए मिसाल के रूप में सामने आई है। उदयपुर जिले के झाड़ोल तहसील के बाघपुरा गाँव की महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को संबोधित करते हुए उदयपुर जिला कलक्टर आनंदी ने सोमवार को यह बात कही। इस प्रोजेक्ट से जुड़ी प्रत्येक महिला अपने 10 महीने की कमाई में एक नई बकरी खरीदने की स्थिति में आ गई है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस स्थिति में और सुधार होगा। उदयपुर जिला परिषद सीईओ कमर चौधरी ने कहा वर्तमान में 200 मिलीलीटर की बोतल में पैक बकरी का दूध उदयपुर और बाहर अन्य शहरों में बिक्री हेतु भेजा जा रहा है। जल्द ही इसका विस्तार करते हुए महानगरों में भी इसके विपणन की व्यवस्था की जाएगी। कार्यक्रम के दौरान पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बकरियों के पालन-पोषण के साथ ही उनकी स्वच्छता एवं रखरखाव के बारे में भी जानकारी दी। इस अवसर पर बकरियों के स्तनों को साफ रखने हेतु उन्हें कपड़े की बनी चोली पहनाने का आग्रह भी किया गया और मौके पर ही महिलाओं को बकरियों के लिए चोलियां वितरित की गई। कार्यक्रम के दौरान बकरी पालकों को नस्ल सुधार हेतु सिरोही नस्ल के 35 बीजू बकरे वितरित किए गए। यह बकरे क्षेत्र में नस्ल सुधार हेतु प्रयोग में लाए जाएंगे।
अभी तक बकरी दुग्ध उत्पादन से जुड़ी 60 महिलाओं को आरसेटी की ओर से प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें बकरी पालने, उसके भरण-पोषण, उसके रखरखाव, साफ-सफाई और बीमारी के दौरान देखभाल आदि के बारे में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। जिला कलक्टर आनंदी ने कार्यक्रम के दौरान सभी प्रशिक्षित महिलाओं को प्रमाण पत्र वितरित किए।
बाईट- कमर चौधरी, सी ई ओ,जिला परिषद उदयपुर

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