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राजस्थान में IAS और RAS को दोपहर में सजा...शाम को स्टे

उदयपुर में नगर परिषद आयुक्त IAS जोगाराम जांगिड़ और RAS महावीर खराड़ी को कंटेम्प ऑफ कोर्ट मामले में 1 माह की साधारण कारावास की सजा सुनाई गई.

उदयपुर में आईएएस और आरएएस को सजा
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Published : Mar 8, 2019, 8:41 PM IST

उदयपुर. नगर परिषद आयुक्त IAS जोगाराम जांगिड़ और RAS महावीर खराड़ी को 1 माह की साधारण कारावास की सजा सुनाई गई. 10 साल पुराने मामले महेंद्र कुमार बनाम नगर परिषद और चंदर सिंह बनाम नगर परिषद दो प्रकरण में कंटेम्प ऑफ कोर्ट मामले को लेकर दोनों अधिकारियों को दोषी माना गया.

क्लिक कर देखें वीडियो

बता दें कि मामले की सुनवाई न्यायाधीश भूपेंद्र चौहान ने की. दोनों मामले के अनुसार तत्कालीन अधिकारियों को अपने पद पर बने रहने के दौरान नगर परिषद में बाउंड्रीवाल तोड़ने को लेकर कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया गया है.

कोर्ट के आदेश की अवमानना मामले में शुक्रवार को एक रोचक तथ्य सामने आया. खास बात यह रही की कोर्ट ने एक माह के कारावास की सजा का आदेश दोपहर में दिया और शाम तक इसी कोर्ट ने दोनों अधिकारियों की सजा पर एक महीने का स्टे भी दे दिया.

जानकारी के मुताबिक आईएएस और आरएएस अधिकारियों ने उत्तरी सुंदरवास स्थित शिवकुंज गली के वर्धमान नगर में मकान नं. बी-12 और बी-13 पर कथित अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में मिले स्टे के बाद दोबारा उन्हीं मकानों पर जाकर सड़क चौड़ी करने के नाम पर तोड़-फोड़ करवाए थे.

कुछ यूं समझें पूरा मामला

  • 23 जनवरी 2004 को तोड़-फोड़ किए गए मकानों पर नगर निगम की टीम ने कार्रवाई की थी.
  • 20 मई 2005 को मकान मालिकों को स्टे मिला. ताकि नगर निगम सड़क और नाली का निर्माण ना करे.
  • 16 जुलाई 2008 को नगर निगम की टीम उक्त मकानों पर दोबारा पहुंची और तोड़-फोड़ की.
  • 9 फरवरी 2009 को मकान मालिकों ने स्टे के बावजूद हुई तोड़-फोड़ पर कोर्ट में न्यायालय के आदेश के अवमानना की याचिका लगाई.
  • 8 मार्च 2019 को टीम के साथ स्टे के बावजूद मौके पर तोड़-फोड़ करने गए अधिकारियों को सजा सुनाई गई थी.
  • 8 मार्च 2019 को ही नगर निगम के वकील ने सजा पर रोक लगाने की याचिका लगाई.
  • 8 मार्च 2019 को ही कोर्ट ने दोनों अधिकारियों की सजा पर एक महीने के लिए स्टे दिया.


मामले के अनुसार चंदर सिंह नाहर का बी-12 और महेन्द्र कुमार मेहता का बी-13 मकान है. 23 जनवरी 2004 को नगर निगम के उक्त अधिकारियों ने मौके पर टीम के साथ जाकर इन दोनों मकानों के पास बनी हुई 6 फीट की बाउंड्री वॉल और लोहे का मेन गेट तोड़ दिया था. नगर निगम तोड़-फोड़ के बाद उक्त जमीन पर कोई सड़क या नाली निर्माण न करे इसलिए दोनों प्रार्थी चंदर सिंह और महेन्द्र कुमार कोर्ट में गए थे.

जहां 20 मई 2005 को इन्हें कोर्ट से स्टे मिल गया. स्टे के बावजूद 16 जुलाई 2008 को नगर निगम के उक्त अधिकारी कर्मचारियों को लेकर दोबारा मौके पर पहुंचे और बी-12 व बी-13 मकान की पूर्व में ध्वस्त की गई बाउंड़ी वॉल से चार फीट अंदर तक जाकर तोड़-फोड़ कर सेफ्टी टैंक भी ध्वस्त कर दिया. मौके पर प्रार्थी ने अधिकारियों को स्टे के दस्तावेज दिखाए. लेकिन उन्होंने नहीं सुनी और कार्रवाई जारी रखा. साथ ही कहा कि उन्हें रोड 15 फीट चौड़ी करनी है. इस पर दोनों मकान मालिकों ने स्टे होने के बावजूद मौके पर तोड़-फोड़ की कार्रवाई कर कोर्ट अवमानना करने के आरोप में उक्त अधिकारी और इनकी टीम के खिलाफ 9 फरवरी 2009 को कोर्ट में याचिका लगाई.

इस पर कोर्ट ने सुनवाई कर कोर्ट के आदेश की अवमानना के आरोप में नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त हाल प्रोटोकॉल अधिकारी महावीर खराड़ी और तत्कालीन सीईओ जोगाराम जांगीड़ को 8 मार्च 2019 को आज एक माह के सिविल कारावास की सजा सुनाई. प्रार्थियों को दोनों अधिकारियों के कारावास के दौरान जीवन निर्वाह भत्ता जाम करवाने के आदेश दिए.

नगर निगम के वकील अशोक सिंघवी ने इस आदेश के बाद सजा पर रोक लगाने और अग्रिम कार्रवाई के लिए मौका दिए जाने का प्रार्थना पत्र इसी कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने शुक्रवार को यह प्रार्थना स्वीकार किया और एक महीने के लिए सजा पर स्टे दिया है.

उदयपुर. नगर परिषद आयुक्त IAS जोगाराम जांगिड़ और RAS महावीर खराड़ी को 1 माह की साधारण कारावास की सजा सुनाई गई. 10 साल पुराने मामले महेंद्र कुमार बनाम नगर परिषद और चंदर सिंह बनाम नगर परिषद दो प्रकरण में कंटेम्प ऑफ कोर्ट मामले को लेकर दोनों अधिकारियों को दोषी माना गया.

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बता दें कि मामले की सुनवाई न्यायाधीश भूपेंद्र चौहान ने की. दोनों मामले के अनुसार तत्कालीन अधिकारियों को अपने पद पर बने रहने के दौरान नगर परिषद में बाउंड्रीवाल तोड़ने को लेकर कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया गया है.

कोर्ट के आदेश की अवमानना मामले में शुक्रवार को एक रोचक तथ्य सामने आया. खास बात यह रही की कोर्ट ने एक माह के कारावास की सजा का आदेश दोपहर में दिया और शाम तक इसी कोर्ट ने दोनों अधिकारियों की सजा पर एक महीने का स्टे भी दे दिया.

जानकारी के मुताबिक आईएएस और आरएएस अधिकारियों ने उत्तरी सुंदरवास स्थित शिवकुंज गली के वर्धमान नगर में मकान नं. बी-12 और बी-13 पर कथित अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में मिले स्टे के बाद दोबारा उन्हीं मकानों पर जाकर सड़क चौड़ी करने के नाम पर तोड़-फोड़ करवाए थे.

कुछ यूं समझें पूरा मामला

  • 23 जनवरी 2004 को तोड़-फोड़ किए गए मकानों पर नगर निगम की टीम ने कार्रवाई की थी.
  • 20 मई 2005 को मकान मालिकों को स्टे मिला. ताकि नगर निगम सड़क और नाली का निर्माण ना करे.
  • 16 जुलाई 2008 को नगर निगम की टीम उक्त मकानों पर दोबारा पहुंची और तोड़-फोड़ की.
  • 9 फरवरी 2009 को मकान मालिकों ने स्टे के बावजूद हुई तोड़-फोड़ पर कोर्ट में न्यायालय के आदेश के अवमानना की याचिका लगाई.
  • 8 मार्च 2019 को टीम के साथ स्टे के बावजूद मौके पर तोड़-फोड़ करने गए अधिकारियों को सजा सुनाई गई थी.
  • 8 मार्च 2019 को ही नगर निगम के वकील ने सजा पर रोक लगाने की याचिका लगाई.
  • 8 मार्च 2019 को ही कोर्ट ने दोनों अधिकारियों की सजा पर एक महीने के लिए स्टे दिया.


मामले के अनुसार चंदर सिंह नाहर का बी-12 और महेन्द्र कुमार मेहता का बी-13 मकान है. 23 जनवरी 2004 को नगर निगम के उक्त अधिकारियों ने मौके पर टीम के साथ जाकर इन दोनों मकानों के पास बनी हुई 6 फीट की बाउंड्री वॉल और लोहे का मेन गेट तोड़ दिया था. नगर निगम तोड़-फोड़ के बाद उक्त जमीन पर कोई सड़क या नाली निर्माण न करे इसलिए दोनों प्रार्थी चंदर सिंह और महेन्द्र कुमार कोर्ट में गए थे.

जहां 20 मई 2005 को इन्हें कोर्ट से स्टे मिल गया. स्टे के बावजूद 16 जुलाई 2008 को नगर निगम के उक्त अधिकारी कर्मचारियों को लेकर दोबारा मौके पर पहुंचे और बी-12 व बी-13 मकान की पूर्व में ध्वस्त की गई बाउंड़ी वॉल से चार फीट अंदर तक जाकर तोड़-फोड़ कर सेफ्टी टैंक भी ध्वस्त कर दिया. मौके पर प्रार्थी ने अधिकारियों को स्टे के दस्तावेज दिखाए. लेकिन उन्होंने नहीं सुनी और कार्रवाई जारी रखा. साथ ही कहा कि उन्हें रोड 15 फीट चौड़ी करनी है. इस पर दोनों मकान मालिकों ने स्टे होने के बावजूद मौके पर तोड़-फोड़ की कार्रवाई कर कोर्ट अवमानना करने के आरोप में उक्त अधिकारी और इनकी टीम के खिलाफ 9 फरवरी 2009 को कोर्ट में याचिका लगाई.

इस पर कोर्ट ने सुनवाई कर कोर्ट के आदेश की अवमानना के आरोप में नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त हाल प्रोटोकॉल अधिकारी महावीर खराड़ी और तत्कालीन सीईओ जोगाराम जांगीड़ को 8 मार्च 2019 को आज एक माह के सिविल कारावास की सजा सुनाई. प्रार्थियों को दोनों अधिकारियों के कारावास के दौरान जीवन निर्वाह भत्ता जाम करवाने के आदेश दिए.

नगर निगम के वकील अशोक सिंघवी ने इस आदेश के बाद सजा पर रोक लगाने और अग्रिम कार्रवाई के लिए मौका दिए जाने का प्रार्थना पत्र इसी कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने शुक्रवार को यह प्रार्थना स्वीकार किया और एक महीने के लिए सजा पर स्टे दिया है.

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