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Lok Kala Mandal in Udaipur: उदयपुर लोक कला मंडल में आदिवासी संस्कृति की झलक देख आप भी कहेंगे वाह - Rajasthan Hindi News

उदयपुर के भारतीय लोक कला मंडल में हजारों साल पुरानी आदिवासी संस्कृति का विभिन्न स्वरूप देखने को मिल रही है. यहां आदिवासी समाज की संस्कृति से जुड़ी हुई चीजों को संग्रहित किया गया है.

Lok Kala Mandal in Udaipur
लोक कला मंडल में आदिवासी संस्कृति की झलक
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Published : Jan 21, 2023, 11:02 PM IST

लोक कला मंडल में आदिवासी संस्कृति की झलक

उदयपुर. आधुनिकता के दौर में पीछे छूट रही प्राचीन संस्कृति की विरासत को सहेजने का काम उदयपुर में जारी है. उदयपुर के भारतीय लोक कला मंडल में सैकड़ों साल पुरानी आदिवासी संस्कृति के विभिन्न स्वरूप को संरक्षित और सुरक्षित रखा गया है. इस कला मंडल में रखी और प्रदर्शित की गई आदिवासी संस्कृति से जुड़ी वस्तुओं व चित्रों को देखकर हर कोई कह उठता है कि ये अदभुत विरासत है.

1960 के दशक के पहले और उसके बाद के आदिवासी समाज के संस्कृति से जुड़ी चीजें लोक कला मंडल में संग्रहित की गई हैं. लोक कला मंडल में आदिवासी संस्कृति से संबंधित मेहंदी मांडने, सांझी कलाएं, प्राचीन आभूषण, छायाचित्र, वेशभूषा, वाद्य यंत्र, आदिवासियों से संबंधित देवी-देवता आदि को संरक्षित किया गया है. साथ ही लोक कला मंडल में आदिवासी समाज की ओर से पहनी जाने वाली पकड़ियां सहित अन्य वस्तुओं का संग्रहण भी किया गया है.

देवीलाल सांभर ने किया वस्तुओं का संग्रहणः भारतीय लोक कला मंडल के निदेशक लाइक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मंडल के संस्थापक पदम श्री देवीलाल सांभर की ओर से 1952 में भारतीय लोक कला मंडल की स्थापना की गई थी. इसका उद्देश्य भारतीय आदिम लोक संस्कृति संरक्षण, सर्वेक्षण, संवर्धन, लेखन एवं प्रचार प्रसार दिलाना था. इसके लिए उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण करने के साथ भारत के विभिन्न लोक संस्कृति का अध्ययन किया. विभिन्न संस्कृति का अध्ययन करते हुए उन्हें पुस्तकों में प्रकाशित किया.

Lok Kala Mandal in Udaipur
उदयपुर लोक कला मंडल

देवीलाल उदयपुर के विद्या भवन में शिक्षक थे. लेकिन उनकी रुचि कला एवं संस्कृति में थी. इसके कारण उन्होंने विद्या भवन से नौकरी छोड़ कर भारतीय कला एवं संस्कृति को सहेजने में लग गए. साथ ही भारतीय लोक कला मंडल की स्थापना की. उन्होंने अलग-अलग विषयों पर 55 किताबों का प्रकाशन किया है और करीब 60 देशों का भ्रमण किया था.

लाइक हुसैन ने बताया कि आदिवासी समाज से संबंधित जानकारी संग्रहित की. इसके लिए उन्होंने राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, मणिपुर, नागालैंड, मेघालय के साथ अन्य राज्यों का भ्रमण किया. इन राज्यों में मिलने वाली आदिवासी कला एवं संस्कृति को संग्रहित करने का काम किया. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की विलुप्त होती संस्कृति की झलक भारतीय लोक कला मंडल में देखने को मिलती है.

Lok Kala Mandal in Udaipur
आदिवासी संस्कृति की झलक

पढ़ें: आदिवासी संस्कृति का कलाकुंभ आदि महोत्सव सम्पन्न, 7 राज्यों के कलाकारों ने दी अद्भुत प्रस्तुति

आदिवासी समाज की प्रमुख चीजें संग्रहितः आदिवासी समाज की संस्कृति का अपना एक विशेष महत्व है. आदिवासी समाज की ओर से मेहंदी मांडने के प्राचीन डिजाइन प्रदर्शित किए गए थे. इन्हें उदयपुर के लोक कला मंडल में संग्रहित किया गया है. मेहंदी मांडने में अलग-अलग डिजाइन के माध्यम से महिलाएं मेहंदी लगा रही हैं. इसके अलावा महिलाओं की ओर से घरों में तीज त्यौहार या शुभ अवसर पर घरों में की जाने वाली सांझी कलाएं भी दर्शाई गई हैं, जैसे दरवाजे पर पेंटिंग आदि प्रदर्शित किया गया है. इसके अलावा आदिवासी गांव में किस प्रकार रहते हैं. उनके जीवन को चित्र के माध्यम से विस्तार से बताया गया है. साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों से आदिवासी समाज के आभूषण संग्रहित करते हुए उनका प्रदर्शन किया गया है.

लोक कला मंडल में आदिवासी संस्कृति की झलक

उदयपुर. आधुनिकता के दौर में पीछे छूट रही प्राचीन संस्कृति की विरासत को सहेजने का काम उदयपुर में जारी है. उदयपुर के भारतीय लोक कला मंडल में सैकड़ों साल पुरानी आदिवासी संस्कृति के विभिन्न स्वरूप को संरक्षित और सुरक्षित रखा गया है. इस कला मंडल में रखी और प्रदर्शित की गई आदिवासी संस्कृति से जुड़ी वस्तुओं व चित्रों को देखकर हर कोई कह उठता है कि ये अदभुत विरासत है.

1960 के दशक के पहले और उसके बाद के आदिवासी समाज के संस्कृति से जुड़ी चीजें लोक कला मंडल में संग्रहित की गई हैं. लोक कला मंडल में आदिवासी संस्कृति से संबंधित मेहंदी मांडने, सांझी कलाएं, प्राचीन आभूषण, छायाचित्र, वेशभूषा, वाद्य यंत्र, आदिवासियों से संबंधित देवी-देवता आदि को संरक्षित किया गया है. साथ ही लोक कला मंडल में आदिवासी समाज की ओर से पहनी जाने वाली पकड़ियां सहित अन्य वस्तुओं का संग्रहण भी किया गया है.

देवीलाल सांभर ने किया वस्तुओं का संग्रहणः भारतीय लोक कला मंडल के निदेशक लाइक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मंडल के संस्थापक पदम श्री देवीलाल सांभर की ओर से 1952 में भारतीय लोक कला मंडल की स्थापना की गई थी. इसका उद्देश्य भारतीय आदिम लोक संस्कृति संरक्षण, सर्वेक्षण, संवर्धन, लेखन एवं प्रचार प्रसार दिलाना था. इसके लिए उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण करने के साथ भारत के विभिन्न लोक संस्कृति का अध्ययन किया. विभिन्न संस्कृति का अध्ययन करते हुए उन्हें पुस्तकों में प्रकाशित किया.

Lok Kala Mandal in Udaipur
उदयपुर लोक कला मंडल

देवीलाल उदयपुर के विद्या भवन में शिक्षक थे. लेकिन उनकी रुचि कला एवं संस्कृति में थी. इसके कारण उन्होंने विद्या भवन से नौकरी छोड़ कर भारतीय कला एवं संस्कृति को सहेजने में लग गए. साथ ही भारतीय लोक कला मंडल की स्थापना की. उन्होंने अलग-अलग विषयों पर 55 किताबों का प्रकाशन किया है और करीब 60 देशों का भ्रमण किया था.

लाइक हुसैन ने बताया कि आदिवासी समाज से संबंधित जानकारी संग्रहित की. इसके लिए उन्होंने राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, मणिपुर, नागालैंड, मेघालय के साथ अन्य राज्यों का भ्रमण किया. इन राज्यों में मिलने वाली आदिवासी कला एवं संस्कृति को संग्रहित करने का काम किया. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की विलुप्त होती संस्कृति की झलक भारतीय लोक कला मंडल में देखने को मिलती है.

Lok Kala Mandal in Udaipur
आदिवासी संस्कृति की झलक

पढ़ें: आदिवासी संस्कृति का कलाकुंभ आदि महोत्सव सम्पन्न, 7 राज्यों के कलाकारों ने दी अद्भुत प्रस्तुति

आदिवासी समाज की प्रमुख चीजें संग्रहितः आदिवासी समाज की संस्कृति का अपना एक विशेष महत्व है. आदिवासी समाज की ओर से मेहंदी मांडने के प्राचीन डिजाइन प्रदर्शित किए गए थे. इन्हें उदयपुर के लोक कला मंडल में संग्रहित किया गया है. मेहंदी मांडने में अलग-अलग डिजाइन के माध्यम से महिलाएं मेहंदी लगा रही हैं. इसके अलावा महिलाओं की ओर से घरों में तीज त्यौहार या शुभ अवसर पर घरों में की जाने वाली सांझी कलाएं भी दर्शाई गई हैं, जैसे दरवाजे पर पेंटिंग आदि प्रदर्शित किया गया है. इसके अलावा आदिवासी गांव में किस प्रकार रहते हैं. उनके जीवन को चित्र के माध्यम से विस्तार से बताया गया है. साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों से आदिवासी समाज के आभूषण संग्रहित करते हुए उनका प्रदर्शन किया गया है.

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