टोंक. राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के निर्देशानुसार कोविड महामारी की रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन के संबंध में जागरूकता फैलाने एवं अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता के अवसर पर एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण टोंक द्वारा ऑनलाइन विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण टोंक सचिव (अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश) डॉ. रूबीना परवीन अंसारी ने बताया कि जैव विविधता केवल जीव-जंतुओं से ही नहीं, बल्कि समस्त मानव समाज से जुड़ी हुई है. जैव विविधिता को बनाए रखने के लिए सरकार के साथ साथ नागरिकों को भी आगे आना होगा. हमें वन्य प्राणियों के शिकार को रोकना होगा और उन पहलूओं पर भी ध्यान देना होगा, जिसके चलते वन्य प्राणियों का शिकार किया जाता है. प्राकृति एवं पर्यावरण संतुलन को बनाए रखना होगा.
सचिव डॉ. रूबीना परवीन अंसारी ने वैक्सीनेशन के बारे में मूलभुत तथ्यों के बारे मे बात करते हुए कहा कि वैक्सीन आपके शरीर को किसी बीमारी, वायरस या संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार करती है. वैक्सीन में किसी जीव के कुछ कमजोर या निष्क्रिय अंश होते हैं, जो बीमारी का कारण बनते हैं. ये शरीर के इयून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण (आक्रमणकारी वायरस) की पहचान करने के लिए प्रेरित करते हैं और उनके खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी बनाते हैं, जो बाहरी हमले से लड़ने में हमारे शरीर की मदद करती हैं. वैक्सीन लगने का नकारात्मक असर कम ही लोगों पर होता है. वैक्सीन लगने के कुछ वक्त बाद ही आप उस बीमारी से लड़ने की इयूनिटी विकसित कर लेते हैं. वैक्सीन को आधुनिक दुनिया की सबसे बड़ी चिकित्सकीय उपलब्धियों में से एक माना जाता है.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वैक्सीन की वजह से हर साल करीब बीस से तीस लाख लोगों की जान बच पाती है. उन्होंने आगे जानकारी देते हुए बताया कि भारत में दो टीके तैयार किए गए हैं. एक का नाम है कोविशील्ड, जिसे एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने इसका उत्पादन किया और दूसरा टीका है भारतीय कंपनी भारत बायोटेक द्वारा बनाया गया कोवैक्सीन जो ना केवल कोविड-19 से सुरक्षा देती है, बल्कि दूसरों को भी सुरक्षित करती है.