श्रीगंगानगर. जिले में टीकाकरण को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने आमजन से अपील की हैं कि वे अपने बच्चों को हर हाल में यह टीका लगवाएं ताकि बच्चों को खसरा और रूबेला जैसी बीमारियों से बचाया जा सके. बुधवार को विभाग के सीएमएचओ डॉ गिरधारी मेहरड़ा, डब्ल्यूएचओ प्रतिनिधि डॉ मनीषा मंडल ने इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी. सीएमएचओ डॉ मेहरा ने बताया कि विभाग की टीमें 22 जुलाई से सरकारी और गैर-सरकारी स्कूलों सहित आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर टीकाकरण करेगी.
स्वास्थ्य विभाग ने 500 से अधीक टीमों का किया गठन
इस दौरान जिले के 2952 सरकारी और गैर-सरकारी स्कूलों में करीब 75 फ़ीसदी बच्चें, 1901 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 10 फ़ीसदी और शेष वंचित बच्चों का आउटरीच सेशन के जरिए टीकाकरण किया जाएगा. बताया जा रहा हैं कि करीब एक माह चलने वाले इस अभियान में शत-प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण होगा. इसके लिए विभाग ने 502 टीमों का गठन किया है. वहीं प्रत्येक 4 टीम पर निरीक्षण दल गठित कर ड्यूटी तय की गई है ताकि वे क्रॉस वेरिफिकेशन कर सके. इसके साथ ही जिला स्तरीय अधिकारियों को अलग अलग ब्लॉक आवंटित किए गए हैं, जो सघन मॉनिटरिंग करेंगे.
गौरतलब है कि टीकाकरण के जरीये खसरा और रूबेला जैसे रोगों से बचाव करने का सशक्त तरीका है. यह टीका लगाने से इसके प्रसार एवं खतरों को रोका जा सकता है. इसके किसी तरह के कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है. आपको बता दें कि करीब 40 से अधिक देशों में यह टीका लगाया जा रहा है. खसरा और रूबेला को देश से पूर्णत: समाप्त करने के लिए ही प्रदेश के 9 माह से 15 वर्ष तक की आयु के करीब ढाई करोड़ बच्चों को टीका लगाया जाएगा.
खसरा और रूबेला रोग नवजात शिशु एवं बच्चों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण
डॉ मेहरा ने बताया कि खसरा एक जानलेवा एवं तेजी से फैलने वाला खतरनाक संक्रामक रोग है. इसके प्रभाव से बच्चों में निमोनिया, दस्त एवं मस्तिष्क में संक्रमण जैसी घातक बीमारियों का खतरा बना रहता है. यह रोग नवजात शिशु एवं बच्चों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण भी है. इसी प्रकार गर्भावस्था के आरंभ से ही महिला को रूबेला का संक्रमण होने की संभावना बनी रहती हैं. इसमें शिशु में जन्मजात रूबेला सिंड्रोम हो सकता है. जिसके कारण शिशु में अंधापन, बहरापन, मानसिक विमदन्ता एवं दिल की बीमारी हो सकती है.
टीकाकरण पूर्णत: नि:शुल्क होगा
रूबेला संक्रमण से गर्भवती महिलाओं में गर्भपात एवं मृत शिशु जन्म की संभावना भी बढ़ जाती है. डॉ मनीषा मंडल ने बताया कि दवा को लेकर भी नियम कायदे तय किए गए हैं और इसकी विभाग राज्य स्तर से लगातार मॉनिटरिंग करेगा. दवाई यदि सही तापमान में नहीं रखी जाएगी तो कलर कोडिंग के हिसाब से खराब होने की जानकारी विभाग को मिल जाएगी. डॉक्टर मंडल के अनुसार विभाग द्वारा टीकाकरण पूर्णत: नि:शुल्क होगा.
जबकि यही टीका निजी स्वास्थ्य केंद्र पर लगवाए तो करीब 4000 का खर्चा आता है. उन्होंने माताओं से विशेष अपील करते हुए कहा कि वे बच्चों को यह टीका लगवाने के लिए अवश्य प्रेरित करें एवं सुनिश्चित करें कि बच्चे का टीका लगाया गया है. इस दौरान सीएमएचओ गिरधारी मेहरड़ा,एसीएमएचओ डॉ मुकेश मेहता, डिप्टी सीएमएचओ डॉ करण आर्य व विनोद विश्नोई मौजूद रहे.