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आयुर्वेद चिकित्सालय के पास नहीं है खुद का भवन, 10 साल से पशुपालन विभाग के इमारत में चल रहा इलाज - आयुर्वेद चिकित्सालय का संचालन पशुपालन विभाग में

श्रीगंगानगर के सूरतगढ़ कस्बे में स्थित आयुर्वेद चिकित्सालय का संचालन पशुपालन विभाग के खाली भवन में हो रहा है. स्थापना के 13 साल बाद भी चिकित्सालय के पास भवन नही होने से चिकित्सकीय सुविधाओं का विकास नहीं हो पा रहा. वहीं पशुपालन विभाग के ओर से भी भवन खाली करने का नोटिस दिया जा चुका है.

Ayurveda hospital in suratgarh without building, आयुर्वेद चिकित्सालय का संचालन पशुपालन विभाग में
भवनहीन सुरतगढ़ में आयुर्वेद चिकित्सालय
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Published : Dec 2, 2019, 2:17 PM IST

सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). कस्बे में भवन नहीं होने के कारण आयुर्वेद चिकित्सालय का संचालन पशुपालन विभाग के खाली भवन में हो रहा है. वहीं पशुपालन विभाग की ओर आयुर्वेद चिकित्सालय को भवन खाली करने के लिए नोटिस भी दे चुका है. ऐसे में चिकित्सालय के भवनहीन होने का खतरा मंडराता जा रहा है.

भवनहीन सुरतगढ़ में आयुर्वेद चिकित्सालय

आयुर्वेद चिकित्सालय के लिए भूमि आवंटन की कारवाई कागजों में दबकर रह गई है. भूमि आवंटन के लिए जिला कलक्टर से लेकर विभाग के सचिव तक गुहार लगाई जा चुकी है. लेकिन एक दशक बीतने के बावजूद चिकित्सालय को भूमि नहीं मिल सकी है. इसलिए चिकित्सकीय सुविधाओं को विस्तार के लिए बजट नहीं मिल पा रहा है.

ये पढे़ंः Exclusive: बीकानेर में नगर निगम चुनाव पर केंद्रीय मंत्री मेघवाल ने क्या कहा, खुद सुनिए

कस्बे में राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी. शुरूआती तौर पर चिकित्सालय एक धर्मशाला में संचालित किया गया. वर्ष 2008 में इसे बीकानेर रोड़ स्थित पशुपालन विभाग के खाली भवन में स्थानान्तरित कर दिया गया. आयुर्वेद विभाग ने चिकित्सकीय सुविधाओं के विस्तार के लिए जिला प्रशासन व विभागीय सचिव से भूमि का स्थाई आवंटन करवाने की मांग की लेकिन अबतक आवंटन की कारवाई कागजी साबित हुई है.

बता दें कि आयुर्वेद विभाग ने वर्ष 2011-12 में चिकित्सालय के नए भवन और चिकित्सा उपकरणों के लिए करीब पचास लाख रूपए का बजट जारी किया गया. लेकिन स्थाई भूमि आवंटन के अभाव के कारण बजट का उपयोग नहीं हो सका. वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर बजट को लौटाना पड़ा.

सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). कस्बे में भवन नहीं होने के कारण आयुर्वेद चिकित्सालय का संचालन पशुपालन विभाग के खाली भवन में हो रहा है. वहीं पशुपालन विभाग की ओर आयुर्वेद चिकित्सालय को भवन खाली करने के लिए नोटिस भी दे चुका है. ऐसे में चिकित्सालय के भवनहीन होने का खतरा मंडराता जा रहा है.

भवनहीन सुरतगढ़ में आयुर्वेद चिकित्सालय

आयुर्वेद चिकित्सालय के लिए भूमि आवंटन की कारवाई कागजों में दबकर रह गई है. भूमि आवंटन के लिए जिला कलक्टर से लेकर विभाग के सचिव तक गुहार लगाई जा चुकी है. लेकिन एक दशक बीतने के बावजूद चिकित्सालय को भूमि नहीं मिल सकी है. इसलिए चिकित्सकीय सुविधाओं को विस्तार के लिए बजट नहीं मिल पा रहा है.

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कस्बे में राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी. शुरूआती तौर पर चिकित्सालय एक धर्मशाला में संचालित किया गया. वर्ष 2008 में इसे बीकानेर रोड़ स्थित पशुपालन विभाग के खाली भवन में स्थानान्तरित कर दिया गया. आयुर्वेद विभाग ने चिकित्सकीय सुविधाओं के विस्तार के लिए जिला प्रशासन व विभागीय सचिव से भूमि का स्थाई आवंटन करवाने की मांग की लेकिन अबतक आवंटन की कारवाई कागजी साबित हुई है.

बता दें कि आयुर्वेद विभाग ने वर्ष 2011-12 में चिकित्सालय के नए भवन और चिकित्सा उपकरणों के लिए करीब पचास लाख रूपए का बजट जारी किया गया. लेकिन स्थाई भूमि आवंटन के अभाव के कारण बजट का उपयोग नहीं हो सका. वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर बजट को लौटाना पड़ा.

Intro:आयुर्वेद चिकित्सालय के लिए भूमि आवंटन की कारवाई कागजों में दबकर रह गई है। भूमि आवंटन के लिए जिला कलक्टर से लेकर विभाग के सचिव तक गुहार लगाई जा चुकी है। लेकिन एक दशक बीतने के बावजूद चिकित्सालय को भूमि नहीं मिल सकी है। इसलिए चिकित्सकीय सुविधाओं को विस्तार के लिए बजट नहीं मिल पा रहा है। वर्तमान मे यह चिकित्सालय पशुपाल विभाग के भवन में संचालित हो रहा है। पशुपालन विभाग ने आयुर्वेद चिकित्सालय को भवन खाली करने के लिए नोटिस भी दे चुका है। ऐसे में चिकित्सालय के भवनहीन होने का खतरा मंडराता जा रहा है।Body:यहां राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी। शुरूआती तौर पर चिकित्सालय एक धर्मशाला में संचालित किया गया। वर्ष 2008 में इसे बीकानेंर रोड़ स्थित पशुपालन विभाग के खाली भवन में स्थानान्तरित कर दिया गया। आयुर्वेद विभाग ने चिकित्सकीय सुविधाओं के विस्तार के लिए जिला प्रशासन व विभागीय सचिव से भूमि का स्थाई आवंटन करवाने की मांग की लेकिन अबतक आवंटन की कारवाई कागजी साबित हुई है।
बाईट-1 मनोज गहलोत, चिकित्साधिकारी

आयुर्वेद विभाग ने वर्ष 2011-12 में चिकित्सालय के नए भवन व चिकित्सा उपकरणों के लिए करीब पचास लाख रूपए का बजट जारी किया गया। लेकिन स्थाई भूमि आवंटन के अभाव के कारण बजट का उपयोग नहीं हो सका। वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर बजट को लौटाना पड़ा।

पशुपालन विभाग ने आयुर्वेद चिकित्सालय प्रशासन को नोटिस देकर भूमि खाली करने को कह चुका है। भवन के लिए चिकित्सालय प्रशासन जनप्रतिनिधियों से लेकर नगरपालिका तक गुहार लगा चुके है लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है।
बाईट-2 पवन सोनी, स्थानीय नागरिक
Conclusion:बहरहाल जिले के बाद सबसे बडा यह आयुर्वेद चिकित्सालय है। यहां पर टिब्बा क्षेत्र के ग्रामीण अपना ईलाज करवाने के लिए आते है। अब देखने वाली बात होगी की क्या चिकित्सालय भूमि के अभाव में बंद हो जाता है या सरकार के नुमाइन्दे अथवा जनप्रतिनिधि इसकी सुध लेकर चिकित्सालय के लिए भूमि आवंटन का मार्ग प्रसस्त करवाएगे?
विजय स्वामी सूरतगढ़
मों 9001606958
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