सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर). कस्बे में भवन नहीं होने के कारण आयुर्वेद चिकित्सालय का संचालन पशुपालन विभाग के खाली भवन में हो रहा है. वहीं पशुपालन विभाग की ओर आयुर्वेद चिकित्सालय को भवन खाली करने के लिए नोटिस भी दे चुका है. ऐसे में चिकित्सालय के भवनहीन होने का खतरा मंडराता जा रहा है.
आयुर्वेद चिकित्सालय के लिए भूमि आवंटन की कारवाई कागजों में दबकर रह गई है. भूमि आवंटन के लिए जिला कलक्टर से लेकर विभाग के सचिव तक गुहार लगाई जा चुकी है. लेकिन एक दशक बीतने के बावजूद चिकित्सालय को भूमि नहीं मिल सकी है. इसलिए चिकित्सकीय सुविधाओं को विस्तार के लिए बजट नहीं मिल पा रहा है.
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कस्बे में राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी. शुरूआती तौर पर चिकित्सालय एक धर्मशाला में संचालित किया गया. वर्ष 2008 में इसे बीकानेर रोड़ स्थित पशुपालन विभाग के खाली भवन में स्थानान्तरित कर दिया गया. आयुर्वेद विभाग ने चिकित्सकीय सुविधाओं के विस्तार के लिए जिला प्रशासन व विभागीय सचिव से भूमि का स्थाई आवंटन करवाने की मांग की लेकिन अबतक आवंटन की कारवाई कागजी साबित हुई है.
बता दें कि आयुर्वेद विभाग ने वर्ष 2011-12 में चिकित्सालय के नए भवन और चिकित्सा उपकरणों के लिए करीब पचास लाख रूपए का बजट जारी किया गया. लेकिन स्थाई भूमि आवंटन के अभाव के कारण बजट का उपयोग नहीं हो सका. वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर बजट को लौटाना पड़ा.