सिरोही. स्थानीय निकायों के निदेशालय ने हाल ही एक आदेश में माउंट आबू में एक समिति बनाने का फैसला किया है. जो इमारतों की बहाली और मरम्मत के लिए सामग्री के प्रवेश की अनुमति के मामले पर गौर करेगी. इस फैसले का अब सामाजिक कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं. 16 मार्च 2021 के आदेश में कहा गया था कि यदि सामग्री प्रविष्टि के लिए फाइल 15 दिनों में तीन सदस्यीय समिति द्वारा अनुमोदित नहीं की जाती है तो इसे अनुमोदित माना जाएगा. इस स्वीकृत अनुमोदन को बैक-डोर प्रविष्टि कहा जाता है, जो शहर में अवैध निर्माण को बढ़ाएगा.
गौरतलब है की प्रदेश के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू को एक इको-सेंसिटिव जोन होने के कारण एनजीटी के आदेशों के अनुसार नए निर्माण पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. ऐसे में निर्माण सामग्री लाने पर भी रोक हो पर स्वायत शासन विभाग द्वारा जारी किये गए आदेश के बाद अब 15 दिन में तीन सदस्य कमेटी निर्माण सामग्री लाने की अनुमति प्रदान करेगी.
तीन सदस्यीय समिति में माउंट आबू एसडीएम, माउंट आबू नगरपालिका के अध्यक्ष और नगर पालिका के आयुक्त शामिल हैं. फाइल को मंजूरी के लिए समिति के पास जाना होगा और सभी तीन सदस्यों को प्रस्तावित मरम्मत या बहाली पर सहमत होने के बाद अनुमति दी जायेगी. वही 29 जून 2010 को पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, माउंट आबू में एक निगरानी समिति का गठन किया जाना है जो किसी भी मरम्मत कार्य के अनुमोदन पर ध्यान देगी. लेकिन इससे पहले बनी समिति कोई कार्य नहीं दे रही है.
हालांकि, डीएलबी के निदेशक दीपक नंदी ने कहा, यह आदेश जनप्रतिनिधि की मांग के बाद निकाला गया. क्योंकि नगरपालिका में फाइलों का बैकलॉग लोगों को प्रभावित कर रहा है. विधानसभा की सिफारिशों के तर्क पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए माउंट आबू के एक अन्य कार्यकर्ता अरुण शर्मा ने कहा कि विधानसभा सिफारिश दे सकती है. लेकिन पर्यावरण मंत्रालय के आदेश को प्रभावित नहीं कर सकती.